नेपोलियन बोनापार्ट - प्रथम कौंसल के रूप में कार्य एवं सफलता

B.A.II,History II 

प्रश्न 4. नेपोलियन बोनापार्ट के कौंसल सुधारों का वर्णन कीजिए। 
अथवा ''नेपोलियन द्वारा फ्रांस के प्रथम कौंसल के रूप में किए गए कार्यों एवं सफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा "नेपोलियन विश्व के महानतम समाज सुधारकों में से एक था।" इस कथन के सन्दर्भ में प्रथम कौंसल के रूप में नेपोलियन द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन कीजिए।
अथवा ''प्रथम कौंसल के रूप में नेपोलियन बोनापार्ट के सुधारों का वर्णन कीजिए।

नेपोलियन बोनापार्ट - प्रथम कौंसल के रूप में कार्य एवं सफलता

napoleon-bonaparte-pratham-kaunsil

उत्तर -1799. में नेपोलियन फ्रांस का प्रथम कौंसल बना। इसके पश्चात् उसने फ्रांस पर लगभग 14 वर्ष शासन किया। इस अल्पकाल में उसने अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार उसी प्रकार किए, जिस प्रकार पाँच वर्ष के छोटे-से शासनकाल में भारत में शेरशाह सूरी ने किए थे। फिशर ने सत्य ही लिखा है, "नेपोलियन की विजयें अस्थायी थीं, जबकि उसका शासन प्रबन्ध फ्रांस को स्थायी देन था।" 'नेपोलियन बोनापार्ट एक महान योद्धा और विजेता ही नहीं था, बल्कि एक दूरदर्शी राजनीतिज्ञ भी था। युद्ध के मैदान में वह जितना कुशल था, उतना ही राष्ट्र निर्माण की कला में निपुण था। वह फ्रांस की जनता के मनोभावों को भलीभाँति जानता था। राज्यक्रान्ति तथा विदेशी युद्धों के फलस्वरूप फ्रांस
का राष्ट्रीय जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। जनता इस अशान्त वातावरण से मुक्त होना चाहती थी। अत: नेपोलियन ने विदेशी युद्धों से मुक्त होकर प्रथम कौंसल के रूप में फ्रांस की आन्तरिक दशा सुधारने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाए। उसके मुख्य सुधार कार्य निम्नलिखित थे-

(1) आर्थिक सुधार -

राज्यक्रान्ति के पूर्व से ही फ्रांस की आर्थिक स्थिति खराब थी। उद्योग, व्यापार, कर व्यवस्था आदि सभी क्षेत्रों में दुर्व्यवस्था थी। अतः देश की आर्थिक दशा सुधारने के लिए नेपोलियन ने सर्वप्रथम संविधान प्रणाली एवं कर वसूली व्यवस्था में सुधार किया। करों की वसूली का कार्य केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को सौंपा गया। ठेकेदारों के अनुचित मुनाफे और सट्टेबाजी को रोक दिया गया। राष्ट्रीय ऋण का भुगतान करने के लिए अलग से एक कोष की व्यवस्था की गई। अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए 1800 ई. में 'बैंक ऑफ फ्रांस' की स्थापना की गई। बेकारी दूर करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया गया। नवीन सड़कों व नहरों का निर्माण किया गया। देश के मुख्य बन्दरगाहों का विस्तार किया गया। कारीगरों को तकनीकी एवं यान्त्रिक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई। नवीनतम यन्त्रों का प्रचार करने के लिए अनेक प्रदर्शनियाँ आयोजित की गईं। उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से अधिकतम उत्पादन करने वालों को पुरस्कृत करने की घोषणा की गई।

(2) प्रशासनिक सुधार -

फ्रांस में शक्तिशाली शासन स्थापित करने तथा शान्ति व्यवस्था बनाए रखने के लिए नेपोलियन ने शासन की सम्पूर्ण शक्ति को अपने हाथों में केन्द्रित कर लिया। प्रान्तीय एवं स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को नियुक्त करके प्रशासनिक अराजकता को समाप्त कर दिया। यद्यपि जनता को राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया, तथापि देश में कानून व व्यवस्था स्थापित हो जाने के कारण जनता ने नेपोलियन की प्रशासनिक व्यवस्था का स्वागत किया। वस्तुतः फ्रांस की जनता स्वतन्त्रता की अपेक्षा समानता एवं शान्ति चाहती थी।

(3) शिक्षा सम्बन्धी सुधार -

नेपोलियन ने फ्रांस में शिक्षा का प्रसार करने तथा उसका स्तर उठाने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए। प्राइमरी स्तर से उच्च शिक्षा के स्तर तक अनेक नवीन विद्यालय खोले गए। शिक्षकों को राज्य से वेतन मिलने लगा, अनेक प्रशिक्षण केन्द्र खोले गए। एक इम्पीरियल विश्वविद्यालय खोला गया, जिसके कुलपति तथा अन्य कर्मचारी नेपोलियन द्वारा नियुक्त किए गए। शोध कार्य को प्रोत्साहन देने के लिए 'Research Institute of France' की स्थापना की गई। योग्य छात्रों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान करने की व्यवस्था की गई।

(4) सामाजिक कटुता का अन्त -

 नेपोलियन क्रान्ति काल में उत्पन्न सामाजिक वैमनस्य और कटुता को समाप्त करना चाहता था। इस दृष्टि से उसने सरकारी पदों पर योग्यता के आधार पर समाज के प्रत्येक वर्ग के व्यक्तियों को नियुक्त किया। प्रवासी कुलीनों एवं पादरियों के विरुद्ध बने हुए सभी कानूनों को रद्द कर दिया गया। सभी वर्गों के व्यक्तियों को शासन के प्रति वफादार रहने की शपथ लेना अनिवार्य कर दिया गया।

(5) राजधानी का सौन्दयीकरण -

बढ़ती बेकारी की समस्या को हल करने तथा जनता की सौन्दर्यप्रियता की भावना का सम्मान करते हुए नेपोलियन ने राजधानी पेरिस के सौन्दर्याकरण की योजना बनाई। नगर में अनेक नवीन सड़कों का निर्माण करवाया तथा उनके दोनों ओर छायादार वृक्ष लगाए गए। 'लूबरे के अजायबघर' का निर्माण करवाया। पेरिस के राजमहलों तथा अन्य प्राचीन राजभवनों का पुनर्निर्माण कराया गया।

(6)'लीजियन ऑफ ऑनर' (Legion of Honour) का प्रचलन-

फ्रांस की जनता की सम्मान की भावना को सन्तुष्ट करने, लोगों में परस्पर प्रतियोगिता की भावना को उत्पन्न करने तथा योग्य व्यक्तियों को योग्यता का पुरस्कार देने के उद्देश्य से 'लीजियन ऑफ ऑनर' की उपाधि कों प्रचलित किया गया। यह उपाधि केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्रदान की जाती थी जो अपनी प्रतिभा और योग्यता के द्वारा नेपोलियन को प्रभावित करते थे। इस प्रकार इस उपाधि को प्रदान करने का आधार योग्यता थी, न कि वंश-परम्परा।

(7) नेपोलियन विधि संहिता (Napolean Code) का निर्माण -

फ्रांस के लिए एक विधि संहिता तैयार करना नेपोलियन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य था। उस समय फ्रांस की कानून व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो चुकी थी। अनेक प्रकार के कानून प्रचलित थे। नेपोलियन ने प्रथम कौंसल बनने के पश्चात् कानून व्यवस्था में सुधार करने के लिए देश के विधि विशेषज्ञों को आमन्त्रित किया। पर्याप्त विचारविमर्श के पश्चात् एक विधि संहिता का निर्माण किया गया, जिसे 'नेपोलियन कोड' कहा जाता है। इसके अन्तर्गत सभी प्रचलित कानूनों की अच्छी विशेषताओं को सम्मिलित किया गया था। उसके इस कार्य ने नेपोलियन की कीर्ति को स्थायी बना दिया। स्वयं नेपोलियन ने कहा था-
"मेरी सैकड़ों विजयें नहीं, अपितु मेरा विधान मुझे दीर्घकाल तक अमरता प्रदान करेगा।"

(8) धार्मिक समझौता -

धार्मिक क्षेत्र में नेपोलियन की कोई रुचि नहीं थी, फिर भी वह धर्म को बहुत बड़ी शक्तिं मानता था तथा व्यवस्था कायम करने में धर्म को एक उपयोगी वस्तु मानता था। उस समय फ्रांस में धार्मिक असन्तोष व्याप्त था। राष्ट्रीय सभा ने रोमन कैथोलिक चर्च तथा पोप के लिए एक लौकिक संविधान बनाया था। इस संविधान का विरोध पोप तथा रोमन कैथोलिक जनता द्वारा किया जा रहा था। देश में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए नेपोलियन इस धार्मिक संकट को समाप्त करना चाहता था। इस उद्देश्य से उसने 15 जुलाई, 1801 को पोप पायस प्रथम के साथ एक धार्मिक समझौता किया। इसके आधार पर पोप ने यह स्वीकार किया कि क्रान्ति काल में चर्च तथा पादरियों की जब्त की गई सम्पत्ति को वापस नहीं किया जाएगा। नेपोलियन ने कैथोलिक धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया। पादरियों को वेतन देने का दायित्व सरकार ने लिया। पादरियों को फ्रांस के शासन विधान के प्रति वफादार रहने की शपथ लेना अनिवार्य कर दिया । क्रान्ति काल में बन्दी बनाए गए पादरियों को मुक्त कर दिया गया। प्रत्येक नागरिक को पूर्ण धार्मिक स्वतन्त्रता प्रदान की गई। इस प्रकार नेपोलियन की धार्मिक नीति से फ्रांस की जनता पूरी तरह सन्तुष्ट हो गई। * इस प्रकार नेपोलियन ने राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, न्याय व्यवस्था, उद्योग, व्यापार, वाणिज्य, शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण सुधार किए। उसके सुधार कार्य फ्रांस की अमूल्य निधि माने जाते हैं। मॉरिस के शब्दों में कहा जा सकता है कि "नेपोलियन ने तुरन्त अपने को क्रान्ति का उत्तराधिकारी और क्रान्ति की प्रतिक्रिया के विरुद्ध अपने को परिणाम सिद्ध कर दिया।"

mjpru study point

Comments

Post a Comment

Important Question

कौटिल्य का सप्तांग सिद्धान्त

सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी पत्र में अन्तर

ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की शक्ति और कार्य

नौकरशाही का अर्थ,परिभाषा ,गुण,दोष

मैकियावली अपने युग का शिशु - विवेचना

प्लेटो का न्याय सिद्धान्त - आलोचनात्मक व्याख्या

पारिभाषिक शब्दावली का स्वरूप एवं महत्व

प्रयोजनमूलक हिंदी - अर्थ,स्वरूप, उद्देश्य एवं महत्व

राजा राममोहन राय के राजनीतिक विचार

शीत युद्ध के कारण और परिणाम