अंशों के आबंटन से आप क्या समझते हैं ?

प्रश्न 10. अंशों के आबंटन से आप क्या समझते हैं ? कम्पनी अधिनियम में अंशों के आबंटन से सम्बन्धित प्रतिबन्धों को बताइए। अनियमित आबंटन का क्या प्रभाव होता है ?

अथवा '' अनियमित आबंटन क्या है ? अंशों के अनियमित आबंटन का (अ) कम्पनी के विरुद्ध (ब) संचालकों के विरुद्ध क्या प्रभाव होता है ?

उत्तर- आबंटन का आशय एवं परिभाषा

प्रविवरण निर्गमन के पश्चात् संचालकों द्वारा अंशों के लिए आवेदन-पत्र देने वालों में अंशों का वितरण करना ही अंश आबंटन कहलाता है। दूसरे शब्दों में, कम्पनी द्वारा अपने अंशों के आवेदक के अंश खरीदने के प्रार्थना-पत्र के प्रस्ताव को स्वीकार करना ही आबंटन है।

जे. सी. बहल के अनुसार, “आबंटन कम्पनी के अंशों को उन लोगों में जिन्होंने इनके क्रय हेतु आवेदन तैयार किया है, बाँटने की क्रिया है।"

अंशों के आबंटन पर वैधानिक प्रतिबन्ध अंशों के आबंटन के सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम द्वारा निम्न प्रतिबन्ध लगाये गये हैं -

aniymat avantan kya

1.किसी भी कम्पनी की अंशपूंजी का आबंटन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक न्यूनतम अभिदान की राशि प्राप्त न हो जाये। यह राशि नकद में ही प्राप्त होनी चाहिए। [धारा 69 (i)]

2. प्रत्येक अंश के आवेदन पर देयधन, अंश के अंकित मूल्य से 5% से कम नहीं होना चाहिए। [धारा 69 (3)]

3. यदि प्रविवरण के प्रथम निर्गमन के 120 दिन के अन्दर न्यूनतम अभिदान की राशि प्राप्त नहीं होती तो संचालकों को 10 दिन के अन्दर आवेदकों को आवेदन राशि लौटा देनी चाहिए। यदि प्रविवरण निर्गमन के 130 दिन के अन्दर इस राशि को नहीं लौटाया जाता तो संचालक व्यक्तिगत रूप से इस राशि पर उस समय तक 6% वार्षिक की दर से ब्याज देने के लिए दायी होंगे जब तक कि इस राशि का भुगतान नहीं कर दिया जाता।

4. यदि कम्पनी ने प्रविवरण का निर्गमन नहीं किया है, तो अंश आबंटन के कम से कम 3 दिन पूर्व रजिस्ट्रार के पास प्रविवरण का स्थानापन्न विवरण पत्र प्रस्तुत कर दिया जाना चाहिए।[धारा 70 (1)]

5. प्रविवरण निर्गमन के 5वें दिन के प्रारम्भ तक कोई आबंटन नहीं किया जाना चाहिए।[धारा 72]

6. यदि प्रविवरण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि किसी मान्यता प्राप्त स्कन्ध विपणि में अंशों के व्यवहार की आज्ञा लेने हेतु आवेदन-पत्र दे दिया है या दिया जायेगा तो ऐसे आवेदन-पत्र प्रविवरण निर्गमन के 10 दिन के अन्दर आज्ञा मिल जा नी चाहिए। [धारा 73]

7. यदि अंशों का आबंटन किसी अनिवासी को अथवा किसी विदेशी को किया जाना हो, अथवा किसी ऐसी कम्पनी को किया जाना हो जिसका 40% से अधिक अनिवासी हित हो, तब इसके लिए रिजर्व बैंक की अनुमति लेनी होगी बिना अनुमति लिए हुए यदि अंश आबंटित किये गये हैं तो यह वैध नहीं होंगे।

(विदेशी विनिमय रेगूलेशन एक्ट 1973 की धारा 1929 के अनुसार)

अनियमित आबंटन-(Irregular Allotment)

कोई भी आबंटन 'अनियमित' कहलाता है। यदि वह कम्पनी अधिनियम की धाराओं 69 तथा 70 के प्रावधानों के विरुद्ध किया गया हो, अर्थात् जब कम्पनी द्वारा-

1. आवेदन पर कम से कम 5% राशि प्राप्त न की हो।

2. न्यूनतम अभिदान राशि के बराबर राशि के आवेदन प्राप्त नहीं हुए हों।

3. कम्पनी ने आवेदन पर प्राप्त राशि को किसी अधिसूचित बैंक में जमा न , किया हो।

एक सार्वजनिक कम्पनी जो प्रविवरण निर्गमित नहीं करती उसे प्रथम आबंटन से कम से कम 3 दिन पहले एक स्थानापन्न प्रविवरण रजिस्ट्रार के पास जमा करना होता है, यदि उसने ऐसा नहीं किया है तो उसके द्वारा किया गया अंशों का आबंटन अनियमित होगा।

अनियमित आबंटन का प्रभाव

कम्पनी द्वारा किया गया अनियमित आबंटन आवेदक की इच्छा पर व्यर्थनीय होता है भले ही कम्पनी समापन की प्रक्रिया में है। ऐसे आबंटन के दो प्रभाव होते  है-

(1) कम्पनी के विरुद्ध-

ऐसे आबंटन को वैधानिक सभा होने के बाद दो माह के अन्तर्गत आबंटकी द्वारा रद्द कर देना चाहिए। आबंटन वैधानिक सभा के बाद किया गया है अथवा ऐसी कम्पनी के द्वारा किया गया है जिसमें वैधानिक सभा नहीं होती तो भी आबंटनों को आवेदन के दो माह के अन्दर ही आबंटन रद्द करने की वैधानिक प्रक्रिया प्रारम्भ कर देनी चाहिए।

(2) संचालकों के विरुद्ध-

यदि कम्पनी के किसी भी संचालक को अंगों अनियमित आबंटन के तथ्य की जानकारी है तो वह कम्पनी तथा आबंटनियों के क्षतिपर्ति के लिए उत्तरदायी होगा। सम्बन्धित पक्षकार क्षतिपूर्ति की वैधानिक कार्यवाही आबंटन के 2 वर्ष के अन्दर ही प्रारम्भ कर सकता है।

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