अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की तुलना

प्रश्न 9. अमेरिकी राष्ट्रपति एक राजा से कम तथा अधिक दोनों है। वह एक प्रधानमन्त्री से कम तथा अधिक दोनों है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।

अथवा "अमेरिका का राष्ट्रपति ब्रिटिश सम्राट् से कुछ कम और कुछ अधिक है, वह प्रधानमन्त्री से भी कुछ कम और कुछ अधिक है।" (लास्की) अमेरिक राष्ट्रपति की शक्तियों की तुलना ब्रिटिश प्रधानमन्त्री से कीजिए।

अथवा अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधानमन्त्री एक ही नाव पर सवार नहीं हैं।' विवेचना कीजिए।

अथवा '' ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की स्थिति, शक्तियों और कार्यों की अमेरिकी राष्ट्रपति से तुलना लीजिए।

अथवा '' अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियों एवं स्थिति की तुलना ब्रिटिश प्रधानमन्त्री से कीजिए।

उत्तर - वर्तमान प्रजातन्त्रात्मक युग में दो सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्री और अमेरिका के राष्ट्रपति हैं। इन दोनों की शक्तियाँ अपने-अपने देशों में महान् हैं, लेकिन इनकी तुलना करना कठिन है, क्योकि दोनों देशों में अलग-अलग प्रकार की शासन प्रणालियाँ हैं । इंग्लैण्ड में मन्त्रि या संसदीय शासन व्यवस्था है, जो कार्यकारिणी का व्यवस्थापिक के प्रति उत्तरदायित्व और इन दोनों के निकट सम्पर्क पर आधारित है। और अमेरिका मे अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था है,जो शक्ति विभाजन पर आधारित है।

अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की तुलना

दोनों ही अपने देशों की कार्यपालिकाओं के वास्तविक प्रधान है दोनों ही का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होता है। एक का निर्वाचक मण्डल द्वारा का एक का संसद के बहुमत दल के नेता के रूप में । दोनों ही पदाधिकारी शान्ति काल मे  व्यापक शक्तियों का प्रयोग करते हैं और युद्ध काल में एक प्रकार के निरंकुश शासन का रूप धारण कर लेते हैं। उपर्युक्त समानताओं के अतिरिक्त इन दोनों के अधिकार में विभिन्नता भी है।

us president vs uk prime minister

अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा जिन शक्तियो का प्रयोग किया जाता है, वे अमेरिका के संविधान के माध्यम से उसे ही प्रदत्त हैं  ब्रिटिश प्रधानमन्त्री के द्वारा जिन शक्तियों का प्रयोग होता है, वे उसे सविधान द्वारा प्राप्त नहीं होती, अपितु ब्रिटिश सम्राट के द्वारा प्रदत्त शक्तिया होती है ,

सुविधा की दृष्टि से हम उनके अधिकारों के अन्तर का निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत अध्ययन कर सकते हैं

(1) नियक्ति की विधि-

अमेरिका के राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचन मण्डल करता है, जिसका निर्वाचन अमेरिका की जनता करती है। परन्तु दलबन्दी के विकास के कारण राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति व्यवहार मे परोक्ष न रह कर प्रत्यक्ष हो गई है। ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री की नियुक्ति ब्रिटेन का सम्राट करता है, परन्तु वह ब्रिटेन की कॉमन सभा में बहुमत दल का नेता होता है।

(2) कार्यकाल-

अमेरिका के राष्ट्रपति का कार्यकाल संविधान द्वारा 4 बर्ष के लिए निश्चित है। ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री का कार्यकाल निश्चित नहीं है , वह अपने पद पर उस समय तक आसीन रह सकता है जब तक उसे ब्रिटेन की कॉमन सभा का बहुमत प्राप्त है।

(3) पदच्युत करने की विधि-

अमेरिका का राष्ट्रपति अवधि समाप्त होने से पहले पदच्युत किया जा सकता है। इसके लिए प्रतिनिधि सभा द्वारा राष्ट्रपति पर महाभियोग का आरोप लगाया जाता है। इसके बाद उस पर सीनेट मे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में विचार होता है । यदि सीनेट उसको बहुमत से स्वीकार कर लेती है, तो राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ेगा , ब्रिटेन का प्रधानमन्त्री उस समय अपने पद से हट जाएगा जब उसके विरुद्ध कॉमन सभा  अविश्वास का प्रस्ताव पारित कर दे या कॉमन सभा से उसके दल: का वहुमत समाप्त हो जाए अथवा सरकार द्वारा प्रस्तुत कोई विधेयक कॉमन सभा पारित न कर दे।

(4) अध्यक्षता-

अमेरिका का राष्ट्रपति राज्य एवं सरकार, दोनों का अध्यक्ष होता है, जबकि ब्रिटेन का प्रधानमन्त्री सरकार का अध्यक्ष होता है, राज्य का नहीं।

(5) व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायित्व-

अमेरिका का राष्ट्रपति अपने कार्यों एवं नीतियों के प्रति कांग्रेस के प्रति उत्तरदायी नहीं है। कांग्रेस उसके प्रति अविश्वास का प्रस्ताव पारित नहीं कर सकती। ब्रिटेन का प्रधानमन्त्री अपने समस्त कार्यों एवं दायित्वों के प्रति कॉमन सभा के प्रति उत्तरदायी है। कॉमन सभा उसे अविश्वास के प्रस्ताव द्वारा कभी भी पदच्युत कर सकती है।

(6) मन्त्रिमण्डल से सम्बन्ध-

अमेरिका के राष्ट्रपति का अपने मन्त्रिमण्डल पर पूरा नियन्त्रण है। राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल के परामर्श को स्वीकार करने के लिए विवश नहीं है। उनका परामर्श मानना या न मानना उसकी अपनी इच्छा पर निर्भर है। ब्रिटेन का सम्राट प्रधानमन्त्री के परामर्श से अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्री उसी दल के होते हैं जिसका कॉमन सभा में बहुमत होता है। मन्त्रियों में उसका स्थान बहुत उच्च है, मन्त्री उसके आदेशों का पालन करते हैं। वह किसी भी मन्त्री को उसके पद से हटा सकता है। वह उसके कार्यों एवं विभागों पर रियन्त्रण रखता है।

ब्रिटेन में सुस्थापित राजनीतिक परम्परा के अनुसार प्रधानमन्त्री के लिए यह आवश्यक है कि वह सभी महत्त्वपूर्ण विषय निर्णय के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत करे। प्रधानमन्त्री यह भी चेष्टा करता है कि कैबिनेट के निर्णय सर्वसम्मत हों। इस सर्वसम्मति को प्राप्त करने के लिए जहाँ अनेक बार कैबिनेट के सदस्य प्रधानमन्त्री की इच्छा के सामने झुकते हैं, वहीं कभी-कभी प्रधानमन्त्री को भी कैबिनेट के महत्त्वपूर्ण सदस्यों के सामने झुकना पड़ता है। लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति को इस बात की स्वतन्त्रता है कि मन्त्रिमण्डल से परामर्श ले अथवा न ले और यदि वह मन्त्रिमण्डल से परामर्श लेता है, तो इस परामर्श को स्वीकार या अस्वीकार करना उसके अपने विवेक पर निर्भर करता है।

(7) विधायी शक्तियाँ-

विधायी क्षेत्र में ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की शक्तियाँ और उत्तरदायित्व अमेरिकी राष्ट्रपति की अपेक्षा कहीं अधिक है। इंग्लैण्ड का प्रधानमन्त्री कॉमन सभा में बहुमत दल का नेता होता है और इस नाते वह जो भी विधेयक प्रस्तुत करता है, वह कानून बन जाता है । यद्यपि सिद्धान्त रूप में कानून बनाने का अधिकार संसद को है, किन्तु वास्तव में इस अधिकार का प्रयोग प्रधानमन्त्री व मन्त्रिपरिषद् के द्वारा किया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति के पास ऐसी कोई विधायो शक्ति नहीं है। यह किसी भी कानूनी कार्यवाही में भाग नहीं ले सकता और न ही अपने इच्छित विधेयकों को कांग्रेस पर प्रभाव डालकर पास करा सकता है।

(8) आर्थिक शक्तियाँ-

आर्थिक क्षेत्र में भी इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्री की शक्तियाँ अधिक दिखाई देती हैं,क्योंकि मन्त्रिमण्डल बजट को तैयार करती है और संसद के पास भेजती है। वहाँ वह निश्चित रूप से पास हो जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति बजट को तैयार कराता है और उसे कांग्रेस के पास भेज देता है । बजट को पास करना या न करना पूर्ण रूप से कांग्रेस के हाथ में है।

(9) प्रशासकीय शक्तियाँ-

शासन के क्षेत्र में सिद्धान्तत: अमेरिकी राष्ट्रपति की शक्तियाँ बहुत अधिक हैं। प्रो. ऑग ने लिखा है कि वह संसार का सबसे अधिक शक्तिशाली शासक है। वह देश के शासन का प्रधान अधिकारी और सेना का प्रधान सेनापति है। राज्य के कानूनों के उचित पालन कराने का उत्तरदायित्व भी उसी पर है। विदेशी मामलों का कार्य भी राष्ट्रपति पर ही होता है । वह विदेशों में राजदूतों की नियुक्ति करता है और वही विदेशी राजदूतों का परिचय-पत्र स्वीकार करता है। मन्त्रिमण्डल के मन्त्रियों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति के द्वारा ही होती है। इसी प्रकार अमेरिका का राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक अध्यक्ष है। इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्री को वैधानिक दृष्टि से ये सब शक्तियाँ प्राप्त नहीं हैं, क्योंकि वह अपने प्रत्येक कार्य के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी है। संसद द्वारा पारित निन्दा अथवा अविश्वास प्रस्ताव द्वारा प्रधानमन्त्री को किसी भी समय अपने पद से अलग किया जा सकता है। दूसरी ओर अमेरिका का राष्ट्रपति साधारणतया 4 वर्ष के कार्यकाल से पूर्व अपने पद से अलग नहीं किया जा सकता है।

अमेरिका में शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धान्त अपनाए जाने के कारण राष्ट्रपति के अधिकार सीमित हैं, किन्तु उस सीमित क्षेत्र में उसकी शक्तियाँ अधिक हैं। उसके मन्त्री उसके परामर्शदाता हैं। वे उसकी बराबरी का दावा नहीं कर सकते। ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की शक्तियाँ असीमित हैं । वह सम्राट् तथा संसद की समस्त शक्तियों का उपभोग करता है, किन्तु इन शक्तियों के प्रयोग में उसके मन्त्री केवल परामर्श देने वाले नहीं हैं। प्रधानमन्त्री मन्त्रिपरिषद् का नेता है,स्वामी नहीं।

इस प्रकार स्पष्ट है कि अमेरिका का राष्ट्रपति ब्रिटिश प्रधानमन्त्री से अधिक शक्तिशाली है और कम भी। राष्ट्रपति राज्य तथा सरकार दोनों का प्रधान है,जबकि प्रधानमन्त्री केवल सरकार का । कुछ क्षेत्रों में जैसे विधि-निर्माण तथा वित्त व्यवस्था में प्रधानमन्त्री राष्ट्रपति से अधिक शक्तिशाली है। रैम्जे म्योर ने प्रधानमन्त्री की स्थिति स्पष्ट करते हुए लिखा है कि प्रधानमन्त्री यदि कानूनी रूप में नहीं तो वास्तविक रूप में राज्य का कार्यवाहक प्रधान अवश्य है । उसे इतने अधिकार हैं जितने संसार के किसी वैधानिक शासक को नहीं हैं। यहाँ तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति तक को प्राप्त नहीं हैं।" रैम्जे म्योर ने एक अन्य स्थान पर लिखा है कि ब्रिटिश प्रधानमन्त्री पहले से यह वायदा कर सकता है कि अमुक सन्धि की जाएगी अथवा उसमें परिवर्तन किया जाएगा और अमुक कानून पास किया जाएगा तथा अमुक धन विधेयक संसद द्वारा स्वीकृत किया जाएगा।"

दूसरी ओर अमेरिका का राष्ट्रपति इतनी विस्तृत शक्तियों की कल्पना नहीं कर सकता। लेकिन प्रशासकीय क्षेत्र में अमेरिका के राष्ट्रपति को जितने अधिकार प्राप्त हैं, उतने किसी अन्य प्रजातन्त्रात्मक देश में निर्वाचित प्रधान को प्राप्त नही

अन्त में यह स्वीकार करना पड़ेगा कि शक्तियों का प्रयोग बहुत कुछ पदाधिकारी के व्यक्तित्व पर निर्भर होता है। इसमें सन्देह नहीं कि अमेरिका मे जॉर्ज वाशिंगटन, अब्राहम लिंकन, विल्सन तथा रूजवेल्ट जैसे महान् व्यक्तियों ने राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया है, किन्तु साथ ही टायलर और फिलमोर साधारण व्यक्ति भी इस पद पर रहे हैं।

इसी प्रकार ग्रेट ब्रिटेन में भी एक 'ग्लैडस्टोन, चर्चिल जैसे महान् व्यक्ति प्रधानमन्त्री रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चेम्बरलेन जैसे साधारण व्यक्तियों ने भी इस पद पर कार्य किया है।

 

 

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