अमेरिकी संविधान में सन्तुलन सिद्धान्त

प्रश्न 7. संयुक्त राज्य अमेरिका की शासन व्यवस्था में शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त के स्वरूप एवं व्यवहार की विवेचना कीजिए।

अथवा '' संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान शक्तियों के पृथक्करण तथा नियन्त्रण और सन्तुलन के सिद्धान्तों पर आधारित है। क्या आप इससे सहमत हैं ? कारण दीजिए।

अथवा ''अमेरिकी संविधान में शक्ति पृथक्करण तथा नियन्त्रण और सन्तुलन के सिद्धान्त को किस प्रकार लागू किया गया है ?

अथवा  "अमेरिकी संविधान शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त पर आधारित है।" व्याख्या कीजिए।

उत्तर-संयुक्त राज्य अमेरिका में सरकार के तीन अंग हैं

(1) व्यवस्थापिका, (2) कार्यपालिका, और (3) न्यायपालिका।

यद्यपि ये तीनों अंग पृथक्-पृथक् और स्वतन्त्र ढंग से कार्य करते हैं, फिर भी वे आपस में सन्तुलन रखते हैं। अनेक विद्वानों; जैसे-अरस्तू, सिसरो, लॉक, मॉण्टेस्क्यू आदि ने शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का समर्थन किया है। इन विद्वानों का विश्वास था कि शासन की समस्त शक्तियाँ किसी एक व्यक्ति में केन्द्रित नहीं होनी चाहिए, जिससे शासन में निरंकुशता न आ सके । इसी कारण उन्होंने शक्तियों के विकेन्द्रीकरण की संस्तुति की।


शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त

इस सिद्धान्त की स्पष्ट व्याख्या फ्रांसीसी दार्शनिक मॉण्टेस्क्यू ने अपनी पुस्तक 'The Spirit of Laws' में की है। उसने अपनी पुस्तक में लिखा है कि "व्यवस्थापिका और कार्यपालिका की शक्तियाँ यदि एक ही व्यक्ति या व्यक्ति समूह के हाथों में केन्द्रित हो जाएँ, तो उस परिस्थिति में किसी प्रकार की स्वतन्त्रता सम्भव नहीं है। इसका कारण यह है कि आशंका रहती है कि कहीं सम्राट् या व्यवस्थापिका अपनी इच्छानुसार कानून बनाकर उनको मनमाने ढंग से लागू न करने लगे। यदि न्यायपालिका की शक्तियों को व्यवस्थापिका तथा कार्यपालिका की शक्तियों से पृथक् नहीं किया जाता, तो भी नागरिकों की स्वतन्त्रता खतरे में रहती है। न्यायिक और विधायिनी शक्तियों के मिश्रण से स्वेच्छाचारी शासन स्थापित हो सकता है। इसका कारण यह है कि ऐसी परिस्थिति में न्यायाधीश ही कानून का निर्माण करने वाला होगा। न्यायपालिका और कार्यपालिका की शक्तियों के मिश्रण से न्यायाधीश निरंकुश तथा अत्याचारी बन सकते हैं। यदि एक ही व्यक्ति या व्यक्ति समूह के हाथों में तीनों शक्तियाँ केन्द्रित कर दी जाएं, तो सर्वनाश अवश्यम्भावी है।"

शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का अमेरिकी संविधान में प्रयोग

1787 ई. में फिलाडेल्फिया में संविधान के निर्माण के लिए एक सम्मेलन बुलाया गया। संविधान निर्माता मॉण्टेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त से बहुत अधिक प्रभावित थे। इसी कारण उन्होंने मॉण्टेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त को अमेरिका के संविधान का आधारभूत सिद्धान्त बनाया। उसने सरकार के तीनों अंगों को एक-दूसरे से पृथक् रखने की व्यवस्था की। इसी प्रकार शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त को व्यावहारिक रूप दिया गया।

अमेरिकी संविधान में शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त को अपनाने की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है परन्तु संविधान के प्रथम तीन अनुच्छेद यह स्पष्ट करते हैं कि इस सिद्धान्त का पालन किया जा रहा है। संविधान के प्रथम तीन अनुच्छेद इस प्रकार हैं

प्रथम अनुच्छेद खण्ड 1- संविधान द्वारा प्रदत्त समस्त विधायिनी शक्तियाँ कांग्रेस में निहित होंगी।

द्वितीय अनुच्छेद, खण्ड 1- समस्त कार्यपालिका शक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति में निहित होगी।

तृतीय अनुच्छेद खण्ड 1-न्यायिक शक्ति एक सर्वोच्च न्यायालय एवं कांग्रेस द्वारा प्रतिष्ठित तथा स्थापित अधीनस्थ न्यायालयों में निहित होगी।

संविधान की उपर्युक्त व्यवस्था के अनुसार अमेरिकी शासन की विधायिनी, कार्यपालिका तथा न्यायिक शक्तियाँ तीन पृथक्-पृथक् संस्थाओं के हाथ में होंगी।

अमेरिका में विधि-निर्माण का कार्य कांग्रेस को दिया गया है। कानून बनने के पश्चात अमेरिका का राष्ट्रपति उनको लागू करता है। अमेरिका का सर्वोच्च न्यायालय कानूनों तथा प्रशासकीय आदेशों का संवैधानिक परीक्षण करता है। शासन के तीनों अंगों के कार्य तथा अधिकार क्षेत्र अलग-अलग निर्धारित हैं। प्रत्येक अंग अपने-अपने क्षेत्र में सम्प्रभु तथा स्वतन्त्र है। इस प्रकार कोई भी विभाग किसी अन्य विभाग के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। वे अपनी शक्ति भी किसी अन्य विभाग को हस्तान्तरित नहीं कर सकते।

संविधान द्वारा न केवल शासन के तीनों अंगों को पृथक् किया गया है, वरन् एक-दूसरे को बहुत अधिक स्वतन्त्रता भी प्रदान की गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जनता द्वारा निर्वाचित होता है और अपने कार्यों एवं शक्ति के सम्बन्ध में कांग्रेस से स्वतन्त्र होता है। कांग्रेस केवल महाभियोग द्वारा ही राष्ट्रपति को हटा सकती है। किन्तु यह प्रक्रिया अत्यन्त जटिल है, जिसे अपवाद स्वरूप ही माना जा सकता है। वहीं राष्ट्रपति भी कांग्रेस के किसी सदन को समय से पूर्व भंग नहीं कर सकता। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति सीनेट राष्ट्रपति की सहमति से करती है। महाभियोग के अलावा किसी अन्य साधन से उन्हें पदच्युत नहीं किया जा सकता।

न्यायपालिका भी शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त को संविधान का प्रमुख आधार मानते हुए उसकी रक्षा के लिए स्वतः प्रयलशील रहती है।

अमेरिकी संविधान में नियन्त्रण और सन्तुलन का सिद्धान्त

अमेरिकी संविधान निर्माताओं ने यह सोचा कि शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त पूरी तरह अपनाने पर शासन का प्रत्येक अंग अपने क्षेत्र में पूर्णरूपेण स्वतन्त्र हो जाएगा, जिससे उसके निरंकुश बन जाने का भय था। अतः शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त को अपनाने के साथ ही वे ऐसी व्यवस्था अपनाना चाहते थे जिससे शासन के तीनों अंगों में सहयोग बना रहे एवं वे एक-दूसरे पर थोड़ा नियन्त्रण भी रख सकें। इसी कारण शक्ति पृथक्करण के साथ ही नियन्त्रण एवं सन्तुलन के सिद्धान्त को भी अपनाया गया।

इसके अन्तर्गत कानून-निर्माण की शक्ति कांग्रेस को प्रदान करते हुए उस पर नियन्त्रण लगाने के लिए राष्ट्रपति को 'विलम्बकारी निषेधाधिकार' और 'जेबी निषेधाधिकार' के रूप में ऐसा अधिकार प्रदान किया गया है जिससे कांग्रेस की शक्तियों पर कार्यपालिका का आंशिक नियन्त्रण स्थापित हो गया है । व्यवहार में राष्ट्रपति के द्वारा कांग्रेस को सन्देश भेजकर, राष्ट्र के नाम सन्देश प्रसारित कर, कांग्रेस के सदस्यों पर विभिन्न अनुग्रह कर राष्ट्रपति कांग्रेस पर नियन्त्रण रखता है। न्यायालय को संविधान की व्याख्या करने की शक्ति प्रदान कर कांग्रेस को मनमाने कानूनों को बनाने पर प्रतिबन्ध लगाता है।

राष्ट्रपति कार्यपालिका का प्रधान होता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह प्रशासन में मनमानी कर निरंकुश बन सकता है। उस पर कांग्रेस का नियन्त्रण रहता है, जिसके सम्बन्ध में यह वित्तीय मामलों पर प्रतिबन्ध लगा सकती है। दूसरी ओर राष्ट्रपति द्वारा की जाने वाली सन्धियों को सीनेट के 2/3 बहुमत का समर्थन प्राप्त होना आवश्यक है। राष्ट्रपति द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों का सीनेट द्वारा 2/3 बहुमत से समर्थन करना आवश्यक होता है। ऐसे ही कई प्रकार के प्रतिबन्ध हैं, जिससे कार्यपालिका स्वच्छन्द नहीं हो सकती।

न्यायपालिका पर भी व्यवस्थापिका तथा कार्यपालिका के द्वारा नियन्त्रण रखा जाता है। कांग्रेस द्वारा न्यायाधीशों की संख्या एवं वेतन निश्चित किया जाता है और राष्ट्रपति सीनेट की सहमति से न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। कांग्रेस द्वारा संघीय न्यायालय का अपीलीय क्षेत्राधिकार कम किया जा सकता है।

इस प्रकार उपर्युक्त तथ्यों को देखते हुए तथा संविधान का सफलतापूर्वक संचालन यह स्पष्ट करता है कि अमेरिकी संविधान शक्ति पृथक्करण और नियन्त्रण एवं सन्तुलन का अनुपम उदाहरण है।

ऑगरे ने ठीक ही लिखा है, “अमेरिकी शासन का कोई लक्षण इतना प्रमुख नहीं है जितना कि नियन्त्रण और सन्तुलन की धारणा के साथ अपनाया गया शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त ।

 

Comments

Post a Comment

Important Question

कौटिल्य का सप्तांग सिद्धान्त

मैकियावली अपने युग का शिशु - विवेचना

सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी पत्र में अन्तर

नौकरशाही का अर्थ,परिभाषा ,गुण,दोष

प्लेटो का न्याय सिद्धान्त - आलोचनात्मक व्याख्या

पारिभाषिक शब्दावली का स्वरूप एवं महत्व

राजा राममोहन राय के राजनीतिक विचार

प्रयोजनमूलक हिंदी - अर्थ,स्वरूप, उद्देश्य एवं महत्व

जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विचार

प्लेटो के शिक्षा सिद्धांत की आलोचना