ऋण-पत्र किसे कहते हैं -सिकिंग फण्ड विधि
प्रश्न 15. ऋण-पत्र क्या है ?
अथवा ‘’
ऋण-पत्रों के शोधन की कौन-कौन सी विधियाँ हैं ? उनकी विशेषताओं का . वर्णन कीजिए और कम्पनी के लेखों पर उनके प्रभाव को
बताइए।
अथवा ‘’
ऋण-पत्र क्या हैं ? ये कितने प्रकार के होते
हैं ? ऋण-पत्रों के शोधन की रीतियों को समझाइए।
अथवा ‘’
ऋण-पत्र से आप क्या समझते हैं ? ऋण-पत्रों
के शोधन की 'सिकिंग फण्ड विधि' का
विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा ‘’
ऋण-पत्र किसे कहते हैं ? ऋण-पत्रों के विभिन्न
प्रकारों को संक्षेप में समझाइए। इनके भुगतान (शोधन) की विधियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
ऋण-पत्र की परिभाषा-
'ऋण-पत्र'
कम्पनी द्वारा लिये गये ऋण की स्वीकृति है, जो
कम्पनी की सार्वमुद्रा के अन्तर्गत ऋणदाता को दी जाती है, जिसमें
ऋण की मूल राशि के साथ निश्चित ब्याज की दर तथा शोधन विधि और शोधन का समय आदि का
स्पष्ट उल्लेख रहता है।
ऋण-पत्रों की किस्में या प्रकार
(Kinds of Debenture)
ऋण-पत्र कई प्रकार
के होते हैं, जैसे-
(1) सामान्य और आरक्षित-
यह साधारण किस्म में
ऋण होते हैं, जिनको किसी प्रतिभूति की जमानत
पर प्राप्त नहीं किया जाता । यदि कम्पनी के जीवनकाल में इनका शोधन नहीं हो जाता तो
कम्पनी के समापन पर यह आरक्षित लेनदारों की सूची में शामिल किये जाते हैं।
(2) बन्धक ऋण-पत्र-
यह ऋण-पत्र ऐसे दीर्घकालीन ऋणों के बाधक हैं.जो कम्पनी ने किसी प्रतिभूति की जमानत पर प्राप्त किये हैं। ऋण का शोधन निश्चित काम लिये गये है, जिसमें समय पर न हो सकने पर ऋणदाता प्रतिभूति को बेचकर अपना भुगतान प्राप्त कर सकता है। ऋणदाता की प्रतिभूति पर प्रथम अधिकार अथवा द्वितीय उस अधिकार की सीमा तक वह पूर्ण रक्षित है, शेष के लिए आरक्षित ।
(3) शोध्य ऋण-पत्र-
इस प्रकार के
ऋण-पत्र ऐसे ऋण-पत्रों के लिए निर्गमित होते हैं, जिनका
शोधन कम्पनी के जीवनकाल में निश्चित अवधि बीतने पर कर दिया जाता है। यह ऋण-पत्र
अधिक प्रचलित हैं।
(4) अशोध्य या स्थायी ऋण-
पत्र-इन ऋण-पत्रों
का शोधन कम्पनी के जीवन काल में नहीं होता, केवल कम्पनी के समापन पर ही हो
सकता है । उस समय इनकी स्थिति वही होती है,जो लेनदारों की
होती है। ऐसे ऋण-पत्र जनता कम लेना पसन्द करती है।
(5) परिवर्तनशील ऋण-पत्र-
यह ऐसे ऋण-पत्र हैं,
जिनके धारक को यह विकल्प प्राप्त रहता है कि वह इन्हें अंशों में या
दूसरे प्रकार के ऋण-पत्रों में परिवर्तित करवा सकता है।
(6) पंजीकृत ऋण-पत्र-
यह ऋण-पत्र कम्पनी
के रजिस्टर में दर्ज रहते हैं और इनका मूल और ब्याज केवल उसी व्यक्ति को प्राप्त
होता है, जिनका नाम कम्पनी के रजिस्टर में दर्ज है।
इनका हस्तान्तरण करने में धारक को पूर्ण स्वतन्त्रता होती है और कम्पनी केवल रसीद
दिखाने पर वाहक को इसके मूल और ब्याज का भुगतान कर देती है।
ऋण-पत्रों का शोधन
(Redemption of Debentures)
ऋण-पत्रों के शोधन
का आशय ऋण-पत्रों का भुगतान करने से है अर्थात् ऋण-पत्र की राशि ऋण-पत्रधारियों को
वापस करने से है। ऋण-पत्रों का शोधन निम्नलिखित विधियों द्वारा किया जा सकता है-
(1) ऋण-पत्रों का परिवर्तन के द्वारा शोधन-
इस विधि के अन्तर्गत
कम्पनी ऋण-पत्रधारियों को यह सुविधा देती है कि निश्चित अवधि के बाद वे अपने
ऋण-पत्रों को लौटाकर इनके बदले में समता या पूर्वाधिकार अंश ले सकते हैं।
(2) ऋण-पत्रों का निर्धारित अवधि के पश्चात् शोधन-
इस विधि के द्वारा
कम्पनी पूर्व निर्धारित तिथि पर या ऋण-पत्रों के धारकों को एक अधिसूचना जारी करके
किसी निश्चित तिथि पर ऋण-पत्रों का भुगतान कर सकती है । इसके अन्तर्गत निम्न दो
विधियों द्वारा भुगतान हो सकता है
(A) सिकिंग फण्ड-
सिकिंग फण्ड दो प्रकार का होता है-
(1)
संचयी सिकिंग फण्ड-
इसके अन्तर्गत
प्रतिवर्ष लाभ में से एक निश्चित धनराशि निकालकर इस फण्ड में हस्तान्तरित कर दी
जाती है उसे चक्रवृद्धि ब्याज वाली प्रतिभूतियों में विनियोजित कर दिया जाता है
तथा निश्चित अवधि के बाद विनियोगों को बेचकर ऋण-पत्रों का शोधन किया जाता है।
(ii) (A) असंचयी सिकिंग फण्ड-
इस विधि के अन्तर्गत
प्रतिवर्ष लाभ में से एक से निश्चित राशि सिकिंग फण्ड में तो हस्तान्तरित की जाती
है और उसे प्रतिभूतियों में विनियोजित किया जाता है, परन्तु
ब्याज की राशि को उसमें विनियोजित न करके सीधे लाभ-हानि खाते में क्रेडिट कर दिया
जाता है ।
(B) बीमा पॉलिसी पद्धति-
कभी-कभी ऋण-पत्रों
का शोधन के लिए एक बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर प्रतिवर्ष ब्याज नहीं मिलता,
वरन् एक निश्चित अवधि के पश्चात् मूलधन व ब्याज सहित राशि प्राप्त
हो जाती है और उस राशि से एक ऋण-पत्रों का शोधन किया जा सकता है।
(3) वार्षिक किस्तों द्वारा ऋण-पत्रों का शोधन-
कम्पनी प्रत्येक
वर्ष एक निर्धारित संख्या के ऋण-पत्रों का शोधन करती है। लेकिन ऋण-पत्रों का शोधन
किया जायेगा, इसका निर्धारण लॉटरी द्वारा
किया जाता है । वार्षिक किस्तों द्वारा ऋण-पत्रों का शोधन का आशय यह नहीं है कि
ऋण-पत्रों के अंकित मूल्य का शोधन किस्तों में किया जायेगा।
(4) खुले बाजार में ऋण-पत्रों के क्रय द्वारा शोधन-
जब कम्पनी यह देखती
है कि उसके ऋण-पत्रों का स्कन्ध विनिमय (Stock Exchange) में मूल्य अंकित
मूल्य से कम होता है तो वह इन्हें खुले बाजार में स्वयं क्रय कर लेती है और इस
प्रकार ऋण-पत्रों का शोधन हो जाता है । प्रायः कम्पनी बाद में ऐसे ऋण-पत्रों को
रद्द (निरस्त) कर देती है।
Good
ReplyDeleteItne short me samja dete ho Aap
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