उद्यम पूँजी क्या है ?
प्रश्न 14. जोखिम पूँजी से आप क्या समझते हैं ?
अथवा "साहसी पूँजी एक विनियोग है।" इस कथन की
व्याख्या कीजिए।
अथवा ‘’उद्यम पूँजी क्या है ?
अथवा ‘’साहसी पूँजी को परिभाषित कीजिए एवं इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर—
'जोखिम पूँजी' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है—'जोखिम' तथा 'पूँजी'। 'जोखिम' या 'साहस' शब्द से अभिप्राय ऐसी क्रियाविधि से है
जिसका परिणाम हानि के जोखिम से घिरा तथा अनिश्चित होता है। ‘पूँजी' से आशय उस संसाधन से है जो उपक्रम को
प्रारम्भ करने के लिए आवश्यक होता है। इस प्रकार जोखिम पूँजी से अभिप्राय उन
उद्यमों को संसाधन उपलब्ध कराने से है जिनमें जोखिम का खतरा रहता है। जोखिम पूँजी
का उद्देश्य नवीन व्यावसायिक उपक्रमों को वित्त उपलब्ध कराना होता है।
जोखिम पूँजी नवीन
उपक्रम हेतु एक महत्त्वपूर्ण संसाधन बन चुका है। जोखिम पूँजीपति जोखिम पूँजी पर
पूँजी लाभ के रूप में प्रतिफल अर्जित करते हैं। उद्यमी तथा जोखिम पूँजीपति एक
भागीदार के रूप में कार्य करते हैं।
जोखिम पूँजी की परिभाषाएँ
विभिन्न विद्वानों ने जोखिम पूँजी को अपने-अपने ढंग से परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
डिक्सन के अनुसार,
"20वीं शताब्दी का महत्त्वपूर्ण नवोन्मेष साहसिक पूँजी है।
इसको उच्च जोखिम पूँजी का पर्यायवाची भी कहते हैं। यह विशुद्ध रूप से उद्यम की
प्रारम्भिक परियोजना अवस्था से ही वित्तीय संसाधन है।"
प्रेट के अनुसार,
"विकास महत्त्वाकांक्षी नव-उपक्रमों के प्रारम्भिक स्तर के
वित्त संसाधन को साहसिक पूँजी कहते हैं।"
इंग्लैण्ड के केन्द्रीय बैंक के अनुसार, "उद्यम पूँजी एक ऐसी समता पूँजी है जिसके द्वारा एक विनियोक्ता उद्यमिता, निपुणता एवं व्यावसायिक चातुर्य के लिए वित्त उपलब्ध कराता है, ताकि वह बाजार एवं अवसरों का दोहन कर सके तथा दीर्घ अवधि बाजार लाभों को प्राप्त कर सके।"
"जोखिम पूँजी एक विनियोग है।"
जोखिम पूँजीपति
द्वारा किसी नब-उपक्रम के विकास एवं विस्तार हेतु जोखिम पूँजी का विनियोग किया
जाता है। भविष्य में जोखिम पूँजी से जो पूँजी लाभ प्राप्त होता है,
वह एक प्रकार से विनियोग से आय होती है। बिना जोखिम उठाये लाभों की
प्रत्याशा नहीं की जानी चाहिए (No Risk No Gain) ।
जोखिम पूँजी एक विनियोग है। यह समता, अर्द्ध-समता और ऋण पूँजी के रूप में शर्त रहित होता है, जो आधुनिक अथवा प्रचलित तकनीक पर आधारित अथवा उच्च जोखिम वाले उपक्रमों में
किया जाता है। जोखिम पूँजी के द्वारा दीर्घकालीन लाभ प्राप्त होता है।
जोखिम पूँजी की विशेषताएँ
जोखिम पूँजी की
प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) दीर्घकालिक विनियोग-
जोखिम पूँजी एक
दीर्घकालिक विनियोग है। दीर्घकालिक विनियोग होने के कारण इसकी वापसी माँग पर होती
है। इस विनियोग से जोखिम पूँजी संस्थाओं को दीर्घकाल में लाभ प्राप्त होता है। यह
समय अन्तराल 5 वर्ष से लेकर 10 वर्ष का हो सकता है।
(2) नव-उपक्रमों में उच्च लाभ की आशा से विनियोग-
जे रूप में किया
जाने वाला विनियोग मुख्यतया नई तकनीकों वाले नव-उपक्रमों में नवीन उत्पादन हेतु
उच्च लाभ प्राप्त करने की आशा से किया जाता है।
(3) जोखिम पूँजी पर अर्जित लाभ पूँजी लाभ है-
वास्तविक व सक्रिय
पूँजी भागीदारी अंशों व परिवर्तन योग्य प्रतिभूतियों के प्रत्यक्ष क्रय द्वारा की
जाती है। इसका लक्ष्य उपक्रम के लाभदायक बन जाने के पश्चात् उस विनियोग का विक्रय
करके लाभ कमाना होता
है। इस प्रकार के विनियोग पर अर्जित लाभ पँजी लाभ माना जाता है।
(4) प्रवर्तकों से सम्पर्क-
जोखिम पूँजी
विनियोगकर्ता यद्यपि उपक्रम के प्रबन्ध में शामिल हो जाते हैं,
फिर भी उपक्रम के दिन-प्रतिदिन के प्रबन्धन में हस्तक्षेप नहीं कर
सकते हैं। वे केवल विनियोग की सुरक्षा व वृद्धि हेतु प्रवर्तकों से सदैव सम्पर्क
रखते हैं।
(5) विनियोक्ताओं के प्रस्तावों से भिन्नता-
जोखिम पूँजीपतियों
का विनियोग प्रस्ताव बैंकर तथा शेयर मार्केट के विनियोक्ताओं के प्रस्तावों से
पूर्णरूपेण भिन्न है।
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