मैकियावली आधुनिक युग का प्रथम विचारक है
प्रश्न 3. मैकियावली को आधुनिक राजनीतिक चिन्तन का पिता क्यों कहा जाता है?
अथवा
"मैकियावली प्रथम आधुनिक राजनीतिक विचारक था।" व्याख्या कीजिए।
अथवा
"मैकियावली आधुनिक राजनीतिक चिन्तन का जनक था।" इस कथन का व्याख्या कीजिए।
अथवा '' राजनीतिक चिन्तन के इतिहास में मैकियावली के
स्थान की विवेचना कीजिए।
अथवा '' मैकियावली आधुनिक युग का प्रथम विचारक है।" विवेचना कीजिये।
अथवा ''मैकियावली को प्रथम आधुनिक राजनीतिक विचारक
क्यों कहा जाता है ?
अथवा "प्रथमत: मैकियावली यथार्थवादी था।" विवेचना
कीजिए।
उत्तर-
मैकियावली ने यूरोप में आधुनिक राजनीतिक चिन्तन का प्रारम्भ किया। मैकियावली को प्रथम आधुनिक विचारक इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह पहला विचारक था जिसने मध्य युग के विचारों का खण्डन प्रारम्भ किया। प्रो. डनिंग के अनुसार, "मैकियावली को कभी-कभी प्रथम आधुनिक राजनीतिक दार्शनिक कहकर पुकारते हैं। यह कहना कि वह आधुनिक युग का प्रारम्भ करता है, उसी प्रकार सही है जैसे यह कहना कि वह मध्य युग की समाप्ति करता है।"
गैटेल ने मैकियावली को आधुनिक युग का प्रथम यथार्थवादी
विचारक कहा है। कारण यह है कि मैकियावली ने जो कुछ कहा, वह इटली, फ्रांस, रोम, जर्मनी आदि अनेक
देशों की शासन प्रणालियों का सूक्ष्म निरीक्षण करने के बाद हो कहा है
मैकियावली : प्रथम आधुनिक विचारक –
मैकियावली प्रथम आधुनिक विचारक कहलाने के लिए
निम्नलिखित मध्ययुगीन परम्पराओं,
मान्यताओं और आदर्शों को अस्वीकार करता है I -
(1)
सामन्तवाद-सच्चे राष्ट्रभक्त मैकियावली ने सामन्तवाद का कट्टर
विरोध किया और शक्तिशाली राजतन्त्रात्मक शासन का समर्थन किया।
(2)
पोपतन्त्र-मैकियावली ने शक्तिशाली शासक की आवश्यकता पर बल दिया
तथा पोप की सत्ता को राज्य व शासन के अधीन कर दिया।
(3)
दैवीय कानून तथा पवित्र रोमन साम्राज्य का विरोध-मैकियावली ऐसे साम्राज्य व
उसके दैवीय कानूनों की पूर्णतया अवहेलना की और राज्य । सर्वोच्च संस्था के रूप में
स्वीकार किया।
उपर्युक्त से स्पष्ट है कि मैकियावली पर मध्य युग के
प्रचलित आदर्भ एवं परम्पराओं का प्रभाव नहीं पड़ा, उसने तो उनकी कड़ी आलोचना की है।
मैकियावली को ‘प्रथम यथार्थवादी विचारक' अथवा 'आधुनिक युग का निर्माता' उसके निम्न विचारों के कारण कहा जाता
है
(1) राष्ट्रीय राज्य का सन्देशवाहक-
आधुनिक युग के प्रत्येक विचारक ने राष्ट्रीय राज्य की
कल्पना का प्रतिपादन किया है और मैकियावली उनमें सर्वप्रथम था। डॉयल के
शब्दों में, "मैकियावली प्रथम विचारक था जिसने राष्ट्रीय राज्य के लक्षणों की विवेचना
और विश्लेषण किया और इस राजनीतिक सावयव की
धारणा को जन्म देने की चेष्टा की।" उसकी श्रेष्ठ कृति 'The Prince' इस बात का
सबसे बड़ा प्रमाण है। वह अपने समय के राष्ट्रीय राज्यों-जर्मनी, स्पेन, फ्रांस और इंग्लैण्ड को बड़े सम्मान की
दृष्टि से देखता था और उसकी समस्त राजनीतिक कृतियों का यदि कोई एक उद्देश्य बताया
जा सकता है, तो वह इटली को राष्ट्रीय राज्य के रूप में परिणत
करना ही था।
(2) धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक चिन्तन का उद्घाटक-
मैकियावली के समय में सम्पूर्ण राजनीतिक चिन्तन
धार्मिक प्रभाव से बुरी तरह ग्रस्त और पीड़ित ही नहीं था, वरन् वह धर्म का
ही एक अंग माना जाकर उसका हितवर्धक माना जाता था। उसका कोई स्वतन्त्र अस्तित्व
नहीं था। राजनीतिक चिन्तन की इस गिरी हुई स्थिति में मैकियावली के मानस में गहरी
प्रतिक्रिया को जन्म दिया। यह धर्मग्रस्त राजनीतिक स्थिति उस समय की समस्त
बुराइयों की जड़ ही नहीं थी, वरन् उसने राजनीतिक चिन्तन के
स्वतन्त्र विकास के मार्ग को भी अवरुद्ध कर दिया था। मैकियावली ने अपने
धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक चिन्तन से उसे धर्म के प्रतिक्रियावादी बन्धनों से मुक्त ही
नहीं किया वरन् उसके स्वतन्त्र विकास के मार्ग को भी प्रशस्त किया। धर्मनिरपेक्षता
मैकियावली के राजनीतिक चिन्तन की मुख्य विशेषता है, जिसका वह
प्रथम प्रतिपादक था। कोकर का मत है कि मैकियावली को 'प्रथम
आधुनिक राजनीतिक विचारक' कहने का सर्वप्रमुख कारण धर्म
के प्रति उसकी उदासीनता तथा उसकी इस दृष्टि से धर्मनिरपेक्ष अनुभव और मानवीय विवेक
के प्रति की गई अपील है।
(3) राजनीति को नैतिकता के बन्धन से मुक्त करना-
मैकियावली ने धर्म 5 साथ-साथ राजनीति को नैतिकता के बन्धन
से मुक्त करने का कार्य भी किया। "पकी मान्यता थी कि
राजा का एकमात्र कर्तव्य राज्य के अस्तित्व को बनाए २ वना और उसे निरन्तर सुदृढ़
करना है। इस हेतु उसके द्वारा अपनाए गए सभी स धन उचित और नैतिक हैं। इस दृष्टि से
मैकियावली वैयक्तिक और राजकीय नैतिक ता में भेद करता है और यह प्रतिपादित करता है
कि जो नियम व्यक्ति के लिए नैतिक हो सकते हैं, यह आवश्यक
नहीं है कि वे नियम राज्य के लिए भी नैतिक महत्त्व रखते हों और व्यक्ति की तरह
उनका पालन उसके लिए आवश्यक हो। राज्य इस दृष्टि से स्वतन्त्र है। वह अपनी सुरक्षा,
सुदृढ़ता और विस्तार हेतु आवश्यक होने पर कोई भी साधन नैतिक,
अनैतिक की चिन्ता किए बिना अपना सकता है और ऐसा करना उसके लिए
पूर्णतया उचित है। इस प्रकार राज्य से नैतिकता का सम्बन्ध विच्छेद कर मैकियावली ने
राज्य को स्वतन्त्र और नैतिकता निरपेक्ष बना दिया।
(4) सम्प्रभुता की अवधारणा का प्रथम प्रतिपादक-
आधुनिक युग में बोदाँ, हॉब्स, ऑस्टिन
आदि विचारकों के द्वारा विधिवत् रूप से जिस राज्य सम्प्रभुता की अवधारणा का
प्रतिपादन किया गया है, उसका बीज हमें मैकियावली के चिन्तन
में दिखाई देता है। उसने प्रथम बार यह प्रतिपादित किया कि राज्य अपने में पाए जाने
वाले सभी मानव समुदायों-संगठनों में सर्वोपरि और श्रेष्ठ है। यही सम्प्रभु राज्य
को अवधारणा का आदि रूप है, जो बाद में सम्प्रभुता की अवधारणा
के रूप में विकसित हुआ। आधुनिक समय में यह एक सर्वमान्य अवधारणा है अंर राज्य के
मुख्य लक्षण की द्योतक है।
(5) गणतन्त्रवादी जनतन्त्र का समर्थक –
जनतन्त्र का गणतन्त्रात स्वरूप आधुनिक युग में एक लोकप्रिय स्वरूप है। मैकियावली ने उसके इस रूप का समर्थन ही नहीं किया, वरन् उसे राज्य शासन का आदर्श स्वरूप भी माना। यद्यपि हमें उसके ग्रन्थ 'The Prince' का अध्ययन करने से यह ज्ञात होता है कि मैकियावली निरकुंश राजतन्त्र का समर्थक है, लेकिन उसका राजतन्त्र को समर्थन कुछ परिस्थिति विशेष के कारण है और वह परिस्थिति विशेष है उसके समय में इटली का छोटे-छोटे परस्पर संघर्षशील राज्यों में विभाजन और उनका इटली के राष्ट्रीय राज्य के रूप में एकीकरण में अवरोधक की भूमिका निर्वाह करना। इस कारण मैकियावली की यह धारणा बन गई थी कि इटली को उसकी इस विभाजित दुर्दशा से कोई शक्तिशाली राजा ही नेतृत्व कर मुक्ति दिला सकता है।
अत: इस कारण उसने 'The Prince' के माध्यम से
एक ऐसे राजा की कल्पना प्रस्तुत की जो इस उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूर्ण कर इटली
के राष्ट्रीय एकीकरण का माध्यम सिद्ध हो सके। उसने अपने दूसरे ग्रन्थ 'The
Discourses' में जनतन्त्र के गणतन्त्रात्मक रूप को सबसे अच्छा
राज्य शासन सिद्ध करते हुए उसका इस आधार पर समर्थन किया है कि उसमें अधिक-से-अधिक
लोग भाग ले सकते हैं और इस प्रकार वह सबसे स्थायी और सुशासित शासन व्यवस्था का रूप
ग्रहण कर लेती है। इस प्रकार परिस्थितिवश राजतन्त्र का समर्थक होते हुए भी
मैकियावली एक निष्ठावान जनतन्त्रधारी था और उसके गणतन्त्रात्मक रूप को शासन की
सबसे अच्छी व्यवस्था मानता था।
(6) संघ राज्य का प्रथम उल्लेखक-
आधुनिक समय में विशाल भूभाग वाले लगभग
सभी राज्य संघ राज्य हैं। इस संघ राज्य के विचार का प्रथम प्रतिपादक मैकियावली था।
उसके समय में इटली पाँच छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था तथा परस्पर संघर्षशील
होने के कारण इटली के एकीकरण हेतु उन्हें अस्तित्वहीन करना सम्भव नहीं था। अत:
उसने इटली के एकीकरण के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु उनके एक विकेन्द्रित राष्ट्रमण्डल के निर्माण की योजना
प्रस्तावित की, जिसकी केन्द्रीय सत्ता के पास सीमित अधिकार
तथा अन्य सारे अधिकार उसमें शामिल होने वाले राज्यों को प्राप्त होने थे। आधुनिक
संघ राज्य शक्ति विभाजन के इसी सिद्धान्त पर आधारित एवं संगठित है।
(7) शक्तिशाली राजनीति के प्रणेता –
आधुनिक युग की एक विशेषता शक्तिवादी राजनीति है और इस
शक्तिशाली राजनीति को मैकियावली ने ही प्रारम्भ किया। मैकियावली ने एक केन्द्रीय
सत्ता की स्थापना पर जोर दिया और शक्ति की सर्वोच्चता की पूजा की। उसके अनुसार
शक्ति का औचित्य स्वयं शकि ही है। मैक्सी के अनुसार इस सम्बन्ध में यथार्थवादी
दृष्टिकोण अपनाने वाला वह प्रथम विचारक था। इसी प्रकार डोनाल्ड एटवैलजोल ने लिखा
है, “यदि एक शब्द में मैकियावली के चिन्तन के केन्द्रीय तत्त्व को संक्षिप्त
करना सम्भव हो तो वह तत्त्व है 'शक्ति'।
उसका कैसे निर्माण किया जाए, उसे कैसे बनाए रखा जाए और उसका
विस्तार कैसे किया जाए।" आधुनिक राजनीति में जिन
राजनीतिक एवं कूटनीतिक दाँवपेंच तथा छल-कपट का प्रयोग किया जाता है, औपचारिक एवं स्पष्ट रूप से इन साधनों के प्रयोग का समर्थन मैकियावली ने ही
किया।
(8) आधुनिक अध्ययन पद्धति का अनुयायी-
इन सबके अतिरिक्त मैकियावली पद्धति की दृष्टि से भी आधुनिक युग का जनक है। आधुनिक अध्ययन पद्धति के प्रमुख लक्षण बताए जा सकते हैं-पर्यवेक्षण, यथार्थवादी दृष्टिकोण, वैज्ञानिक तटस्थता, विश्लेषण और ऐतिहासिक आधार।
मैकियावली ने अपनी अध्ययन पद्धति में मध्य युग
के अति धार्मिकतावादी दृष्टिकोण का बहिष्कार किया और बहुत कुछ सीमा तक उसकी अध्ययन
पद्धति में आधुनिक युग की अध्ययन पद्धति के उपयुक्त सभी लक्षण विद्यमान हैं। उसने
अपनी सूक्ष्म और स्पष्ट दृष्टि के आधार पर तत्कालीन परिस्थितियों का पर्यवेक्षण
किया और ऐतिहासिक आधार पर विभिन्न परिणाम निकाले। यद्यपि मैकियावली में दूरदर्शिता
का अभाव है और उसकी अध्ययन पद्धति में कुछ त्रुटियाँ भी हैं, लेकिन उसकी अध्ययन पद्धति आधुनिक ही है।
यद्यपि कहीं-कहीं मैकियावली की विचारधारा में मध्य युग
के विचारों का भी प्रत्यक्ष प्रभाव दिखाई पड़ता है, किन्तु उसके राजनीतिक दर्शन में
आधुनिक युग की प्रवृत्तियाँ ही प्रबल हैं और उसे बहुत कुछ सीमा तक, सत्य रूप में 'आधुनिक राजनीतिक चिन्तन का जनक'
कहा जा सकता है।
मैकियावली के चिन्तन की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि उसने तत्कालीन राजनीतिक जीवन का यथार्थवादी दृष्टिकोण से सूक्ष्म विश्लेषण करते हुए शासकों के उन कुकृत्यों को खोलकर रख दिया, जिन पर अब तक पर्दा पड़ा हुआ था।
इसी कारण गैटेल ने उसे 'प्रथम यथार्थवादी विचारक' कहा है। इस सम्बन्ध में मैक्सी ने सत्य ही लिखा है, "उसने राजनीति की नैतिकता को भ्रष्ट नहीं किया, वह तो सदियों पहले ही हो चुकी थी। किन्तु उसने जिस निर्दयी स्पष्टवादिता के साथ उच्च पदों पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों में पाए जाने वाले पवित्र कपटी के दम्भपूर्ण होंग का पर्दाफाश किया, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। उसे इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि वह सच्चा उत्साही देशभक्त तथा आधुनिक राष्ट्रीयता का एक अग्रदूत था।"
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