कर नियोजन का अर्थ बताइए
प्रश्न 2. 'कर नियोजन' शब्द से आप क्या समझते हैं ? इसके उद्देश्यों को बताइए।
अथवा ''कर नियोजन का अर्थ बताइए तथा कर
नियोजन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा "कर नियोजन कर
बचाने का एक वैधानिक एवं नैतिक तरीका है।" इस कथन को
समझाइए।
अथवा कर नियोजन का प्रमुख उद्देश्य
होता है करदाता के कर-दायित्व को न्यूनतम करना'। इस
कथन के सन्दर्भ में कर नियोजन की आवश्यकता समझाइए।
उत्तर-
कर नियोजन
का अर्थ-
किसी करदाता पर कर का जो भार होता है, उसे
देश में प्रचलित कर सम्बन्धी कानूनों का अनुपालन करके नियोजित करना, कर का नियोजन कहलाता है।
वास्तव में कर नियोजन से आशय प्रचलित कानूनों का अनुपालन करते हुए तथा वैधानिक कटौतियों एवं छूटों का लाभ उठाते हुए कर में कमी लाना है। ऐसा करना प्रत्येक करदाता का संवैधानिक अधिकार है। इसके अन्तर्गत करदाता अपनी समस्त आयों, व्ययों एवं विनियोगों की ऐसी व्यवस्था करता है जिससे उसका कर-दायित्व कम हो तथा आय में वृद्धि हो।
डॉ. डाल्टन के अनुसार, "कर नियोजन सरकार की नीतियों के अनरूप ईमानदारी से कार्य करते हुए कर छूटों
एवं कर प्रेरणाओं का लाभ उठाते हरा कर-दायित्व को न्यूनतम करने का वैधानिक तरीका
है।".
कर नियोजन के उद्देश्य कर नियोजन के
प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(1) करदाता के कर-भार में कमी लाना–
प्रत्येक मनुष्य की सामान्य प्रवत्ति यह होती है कि वह अपनी आय का हिस्सा किसी को न दे। करदाता द्वारा कर भुगतान के सम्बन्ध में भी यही प्रवृत्ति लागू होती है। यदि करदाता प्रचलित आयकर कानून एवं वित्त अधिनियम का विवेकपूर्ण अध्ययन करता है, तो वैधानिक कटौतियों एवं छूटों का लाभ प्राप्त करके अपने कर-भार में कमी ला सकता है।
(2) करदाता की बचत में वृद्धि-
कर नियोजन के द्वारा जब करदाता कर की कम
रकम चुकाता है, तो निश्चित रूप से कर के रूप में बचाई गई राशि से
उसकी बचत में वृद्धि होती है।
(3) जीवन-स्तर में सुधार एवं सम्पन्नता—
कर नियोजन के परिणामस्वरूप करदाता की आय
में वृद्धि होती है, जिससे उसके जीवन-स्तर में सुधार होता है अर्थात्
बचत के आधार पर करदाता ऐसी वस्तुओं को खरीद सकता है जो जीवन-स्तर को उच्च बनाती
हैं।
(4) भविष्य की निश्चितता—
कर नियोजन के द्वारा प्राप्त बचतों से
करदाता भविष्य की आवश्यकताओं के लिए धन इकट्ठा कर सकता है। भविष्य में आर्थिक संकट
एवं आपत्तिकाल में यह बचत उसकी काफी सहायता कर सकती है।
(5) आर्थिक ज्ञान में वृद्धि-
कर नियोजन करते समय करदाता इस बात पर
विचार करता है कि प्राप्त बचतों को किस प्रकार के विनियोगों में लगाए, जिससे
धन सुरक्षित रहे तथा अच्छा प्रत्याय प्राप्त हो सके। इस प्रकार कर नियोजन करदाता
के आर्थिक ज्ञान में वृद्धि करता है।
(6) आर्थिक स्थिरता-
आर्थिक स्थिरता लाना भी कर नियोजन का एक
प्रमुख उद्देश्य है। कर नियोजन के बाद करदाता द्वारा प्राप्त होने वाली एक निश्चित
आय का सरकार द्वारा अनुमान लगाया जा सकता है और इस आधार पर सरकार देश में आर्थिक
स्थिरता ला सकती है।
(7) अन्य उद्देश्य-
उपर्युक्त के अतिरिक्त कर नियोजन काले
धन में कमी,
राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि, आर्थिक अपराधों
में कमी तथा आर्थिक विकास की क्षेत्रीय असमानताओं में कमी लाने में सहायक होता है।
कर नियोजन की आवश्यकता अथवा महत्त्व
नियोजित ढंग से किए गए कार्यों की सफलता की सम्भावना अधिक होती है अर्थात् नियोजन ही सफलता की कुंजी है। कर नियोजन करदाता, समाज, देश एवं सम्पर्ण अर्थव्यवस्था के लिए अत्यन्त महत्त्वपर्ण है। कर नियोजन का महत्त्व केवल करदाता के लिए ही नहीं है. वरन यह समाज, देश, उद्योग, व्यापार आदि सबके उत्थान के लिए भी आवश्यक है। कर नियोजन हमारे देश के लिए इसलिए भी आवश्यक है कि यहाँ कर की दरें ऊँची हैं तथा करदाताओं पर कर का भार अधिक है।
कर नियोजन की आवश्यकता (महत्त्व)
को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) करदाताओं के लिए-
कर नियोजन के द्वारा करदाता अपने कर-भार
में कमी करता है। आयकर अधिनियम के प्रावधानों द्वारा प्रदत्त कटौतियों, छूटों,
राहतों आदि से वह लाभ उठाता है। करदाता ऐसी योजनाओं में विनियोग
करता है जिसकी आय कर से मुक्त है।
(2) सरकार के लिए महत्त्व-
देश की सरकार कर नियोजन करके अपना
राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ देशहित के लिए अनेक विकास योजनाएँ बना सकती है। इसके लिए
सरकार करदाताओं की बचत को विनियोग करवाकर पूँजी प्राप्त कर सकती है। इससे सरकारी
राजस्व पर कर नहीं पड़ता है।
(3) समाज के लिए महत्त्व—
कर नियोजन से समाज को अनेक लाभ प्राप्त
होते हैं। रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है, देश का सन्तुलित विकास
होता है, जन-सामान्य में अपने भविष्य के बारे में सोचने व
नियोजन करने की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है तथा अपने परिवार के विकास के लिए भावी
अवसर उपलब्ध होते हैं।
(4) उद्योग एवं व्यापार के लिए महत्त्व-
कर नियोजन के द्वारा उद्योग, व्यापार,
व्यवसाय का नियमित एवं सन्तुलित विकास सम्भव होता है। ग्रामीण
क्षेत्रों, पिछड़े क्षेत्रों, कठिन
क्षेत्रों आदि में कर की छूटों, राहतों व कटौतियों को
प्रोत्साहन देकर इन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन दिया जा सकता है,
जिससे इन क्षेत्रों का आर्थिक, सामाजिक व
राजनीतिक विकास सम्भव होता है।
(5) क्षेत्रीय आर्थिक असमानताओं को दूर करने में सहायक-
कर नियोजन क्षेत्रीय आर्थिक असमानताओं
को दूर करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कर नियोजन के द्वारा ऐसे
क्षेत्रों में व्यापार करने का अवसर मिलता है जहाँ आर्थिक विकास दूसरे क्षेत्रों
की अपेक्षा बहुत कम है । इस प्रकार क्षेत्रीय आर्थिक असमानताएँ घटती हैं।
Very nice
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