इटली का एकीकरण - मेजिनी, गैरीबाल्डी एवं कैवूर का योगदान


M.J.P.R.U.,B.A.II,History II /2020 
प्रश्न 15. इटली के एकीकरण में मेजिनी, गैरीबाल्डी एवं कैवूर का योगदान बताइए।
अथवा  "कैवूर इटली का वास्तविक निर्माता था।" स्पष्ट कीजिए।.
अथवा  ''इटली के एकीकरण में कैवूर के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा  ''इटली के एकीकरण के विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए। 
अथवा  ''इटली के एकीकरण का इतिहास लिखिए।
इटली

उत्तर इटली की स्वतन्त्रता एवं राष्ट्रीय एकीकरण के पावन यज्ञ में असंख्य देशभक्तों ने अपने अमूल्य जीवन की आहुति दी थी। अनेक देशभक्तों को इस पुनीत कार्य का पुरस्कार देश से निकाले जाने के रूप में प्राप्त हुआ। इटालियन देशभक्तों में चार महान् विभूतियों को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उनके महत्त्व का दिग्दर्शन इस वाक्य में भलीभाँति हो जाता है, "मेजिनी ने इटली की आत्मा, कैवूर ने मस्तिष्क, गैरीबाल्डी तथा विक्टर इमैनुअल द्वितीय ने शरीर बनकर अपनी मातृभूमि इटली की पराधीनता की जंजीरें काट डाली और देश के एकीकरण के कार्य को सम्पूर्ण किया।" उपर्युक्त चारों महान् देशभक्तों ने इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दी थी।
इटली के एकीकरण की दिशा में प्रमुख कार्य
 इटली के एकीकरण का कार्य अनेक प्रयासों के माध्यम से पूरा हुआ था। इटली के राष्ट्रवादियों ने स्थान-स्थान पर कार्बोनरी नामक गुप्त समितियाँ स्थापित की थीं। समितियों की बैठक रात में होती थी। देश के सभी मुख्य नेता इन समितियों के सदस्य बन गए थे। कार्बोनरी का मुख्य उद्देश्य
विदेशियों को इटली से बाहर निकालना तथा वैधानिक स्वतन्त्रता की स्थापना करना था। इटली के एकीकरण के इतिहास में किए गए प्रारम्भिक प्रयासों में कार्बोनरी का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण था।
मेजिनी का योगदान -
मेजिनी
मेजिनी 

जिस समय कार्बोनरी समितियाँ राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में प्रयासरत थीं, उसी समय इटली की राजनीति में मेजिनी नामक देशभक्त का उदय हुआ, जिसने इटली के एकीकरण के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। वह कार्बोनरी का सदस्य रह चुका था। 1830 ई. में उसने इटली के राज्यों में होने वाली क्रान्तियों का नेतृत्व किया। उसने इटली की जनता को सन्देश
दिया तथा राष्ट्रीय जीवन में चेतना जाग्रत की। 1830 ई. तक की असफलताओं से मेजिनी ने दो निष्कर्ष निकाले
(1) इटली का सबसे प्रबल शत्रु ऑस्ट्रिया है।
(2) एकीकरण को पूरा करने के लिए कार्बोनरी अपर्याप्त है।
इन निष्कर्षों के आधार पर मेजिनी ने 'युवा इटली' नामक दल का गठन किया। इसकी सहायता से उसने देश में जन-जागरण का कार्य प्रारम्भ किया और इटली की जनता को समझाया कि बनावटी राजनीतिक सीमाओं के द्वारा हमारे देश के टुकड़े कर दिए गए हैं, किन्तु इटली एक राष्ट्र है और उसमें एकता है। उस एकता को जीवित रखना इटली के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। मेजिनी का कथन था, "जब तक कार्य और उद्देश्य अलग-अलग हैं, तब तक सफलता अनिश्चित है।"
1848 ई. की प्रसिद्ध क्रान्ति से सम्पूर्ण यूरोप महाद्वीप प्रभावित हुआ था। मैटरनिख के पतन का समाचार सुनकर मार्च, 1848 में इंटलीवासियों ने मेजिनी के नेतृत्व में स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। मेजिनी ने पोप की राजधानी रोम में गणतन्त्र की घोषणा कर दी, किन्तु फ्रांस के राष्ट्रपति लुई नेपोलियन ने सेना भेजकर पोप की सहायता की। मेजिनी पराजित हो गया और पोप को पुनः सत्तारूढ़ कर दिया गया। मेजिनी पराजित होकर स्विट्जरलैण्ड भाग गया।
कैवूर का योगदान
कैवूर
कैवूर 

इटली के राज्य पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमैनुअल काण्ट की यह इच्छा थी कि इटली का एकीकरण पीडमॉण्ट के नेतृत्व में पूरा होना चाहिए। उसके प्रधानमन्त्री कैवूर का भी यही विचार था। कैवूर राजतन्त्र का समर्थक, कूटनीतिज्ञ तथा दूरदर्शी नेता था। इटली के एकीकरण की दिशा में उसने निम्नलिखित कार्य किए थे-
(1) सर्वप्रथम कैवूर का ध्यान इटली की समस्या को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए आकर्षित हुआ। क्रीमिया के युद्ध में उसे यह अवसर प्राप्त हो गया। क्रीमिया का युद्ध टर्की की समस्या और चर्च के प्रश्न से सम्बन्धित था। इटली न तो रूस का शत्रु था और न ही इंग्लैण्ड व फ्रांस का। फिर भी कैवूर ने इस युद्ध में इंग्लैण्ड, फ्रांस व टर्की के समर्थन में अपनी सेना भेजकर महान् दूरदर्शिता का परिचय दिया। इससे कैवूर को इटली की समस्या के प्रति इंग्लैण्ड व फ्रांस जैसे बड़े देशों की सहानुभूति प्राप्त हो गई। यही कैवूर का उद्देश्य था।
(2) कैवूर ने ऑस्ट्रिया के विरुद्ध 31 जुलाई, 1858 को फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय के साथ एक समझौता किया, जिसमें नेपोलियन तृतीय ने इटली को ऑस्ट्रिया के विरुद्ध सैनिक सहयोग का वचन दिया। कैवूर की यह महान् सफलता थी। 
(3) सन् 1858 में ऑस्ट्रिया व पीडमॉण्ट के मध्य युद्ध प्रारम्भ हुआ। नेपोलियन तृतीय ने अपनी सेना को पीडमॉण्ट की सहायता के लिए भेज दिया। युद्ध में ऑस्ट्रिया की पराजय हुई और लोम्बार्डी का प्रदेश ऑस्ट्रिया से छीन लिया गया।
(4) मध्य इटली के परमा, मोडिना, टुस्कने राज्यों की जनता ने पीडमॉण्ट के साथ रहने की इच्छा प्रकट की। कैवूर के प्रयासों के फलस्वरूप मार्च, 1860 में इन प्रदेशों में जनमत कराया गया। बहुमत के आधार पर राज्यों का एकीकरण करके उत्तर-मध्य इटली का निर्माण किया गया।
दुर्भाग्यवश 6 जून, 1861 को कैवूर की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के समय वेनेशिया और रोम को छोड़कर शेष सम्पूर्ण इटली का एकीकरण हो चुका था। मरते समय कैवूर ने कहा था, "अब सब सुरक्षित है। इटली का निर्माण हो चुका
गैरीबाल्डी का योगदान
गैरीबाल्डी
गैरीबाल्डी
इटली, सिसली व नेपिल्स राज्यों की जनता ने भी विद्रोह कर दिया। गैरीबाल्डी नामक नाविक योद्धा ने अपनी लालकुर्ती सेना के साथ वहाँ की जनता का पूरा सहयोग किया। फलस्वरूप उक्त दोनों राज्यों को भी इटली में मिला दिया गया।
इटली का पूर्ण एकीकरण-इस समय बिस्मार्क के नेतृत्व में जर्मनी के एकीकरण का अभियान चल रहा था। 1866 ई. में सेडोवा के युद्ध में प्रशा तथा पीडमॉण्ट की सेनाओं ने ऑस्ट्रिया को पराजित कर दिया और वेनेशिया का प्रदेश.. पीडमॉण्ट को प्राप्त हो गया। इसी प्रकार 1870 ई. में फ्रांस व प्रशा का युद्ध प्रारम्भ हो गया। अवसर का लाभ उठाकर इटली की सेनाओं ने रोम पर अधिकार कर लिया। इसके साथ ही इटली का एकीकरण पूरा हो गया। रोम को इटली की राजधानी बनाया गया। 1856 ई. में कैवूर ने कहा था"मुझे विश्वास है कि एक दिन इटली स्वतन्त्र राष्ट्र बनेगा और रोम उसकी राजधानी।"
इटली का एकीकरण -
इटली के राष्ट्रीय एकीकरण का कार्य निम्नलिखित चार चरणों में पूरा हो सका था। इनका विवरण निम्न प्रकार है
प्रथम चरण -
मई, 1858 में कैवूर ने प्लोम्बियर्स समझौते के द्वारा फ्रांस के सम्राट् नेपोलियन तृतीय को नीस एवं सेवॉय के प्रदेश देने का आश्वासन प्रदान करके उससे लाखों फ्रांसीसी सैनिकों की सहायता प्राप्त की। इसके उपरान्त 'ऑस्ट्रिया के साथ पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमैनुअल का युद्ध हुआ, जिसमें फ्रांसीसी सैनिक सहायता के बल पर उसको ऑस्ट्रियन सेना को दो युद्धों में पराजित करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस प्रकार लोम्बार्डी के प्रान्त से ऑस्ट्रिया का अधिकार जाता रहा और वह पीडमॉण्ट संघ में सम्मिलित कर लिया गया। लोम्बार्डी पर अधिकार किया जाना इटली के एकीकरण की प्रथम सीढ़ी थी। ___
द्वितीय चरण-
मध्य इटली के छोटे-छोटे प्रान्तों पर्मा, मोडेना, टस्कनी तथा पोप के राज्य के रामागना एवं बोलोगना आदि प्रान्तों की जनता ने देशभक्ति एवं स्वतन्त्रता की भावनाओं के प्रवाह में बहकर अपने यहाँ के निरंकुश शासकों के अत्याचारपूर्ण शासन का अन्त कर दिया और पीडमॉण्ट संघ में सम्मिलित होने के लिए पीडमॉण्ट के शासक से निवेदन किया। ऑस्ट्रिया ने इसका भारी विरोध किया। परन्तु कैवूर की राजनीतिक पटुता के कारण नेपोलियन तृतीय की इस सम्बन्ध में सहमति प्राप्त कर ली गई। जनता के मतदान से ज्ञात हुआ कि बहुमत उन राज्यों को पीडमॉण्ट संघ में मिलाए जाने का पक्षपाती है। अत: उत्तरी इटली के उन छोटे-छोटे राज्यों को भी पीडमॉण्ट संघ का सदस्य बना लिया गया। इस प्रकार इटली के राष्ट्रीय एकीकरण का द्वितीय चरण पूर्ण हुआ।
तृतीय चरण-
1860 ई. में सिसली की जनता ने नेपिल्स के निरंकुश शासक के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। प्रसिद्ध देशभक्त गैरीबाल्डी अपने लालकुर्ती दल के लगभग सहस्त्र सैनिकों सहित जन-आन्दोलन की सहायतार्थ सिसली पहुँच गया। उसने नेपिल्स के राजा को दो युद्धों में बुरी तरह पराजित करके सिसली पर अधिकार कर लिया। इसके उपरान्त उसने नेपिल्स के राज्य पर आक्रमण कर दिया। राजा बिना युद्ध किए ही नेपिल्स छोड़कर गेटा (Gaeta) भाग गया। इस प्रकार सिसली और नेपिल्स का विशाल राज्य गैरीबाल्डी के अधीन हो गया।
चतुर्थ चरण-
1866 ई. में प्रशा का ऑस्ट्रिया के साथ भीषण युद्ध हुआ, जिसमें प्रशा को अपूर्व विजय प्राप्त हुई। इस विजय का प्रमुख कारण प्रशा के चांसलर बिस्मार्क के संकेत पर विक्टर इमैनुअल द्वितीय द्वारा वेनेशिया और टायरील पर किया आक्रमण था। इस आक्रमण के कारण ऑस्ट्रिया प्रशा के विरुद्ध युद्ध में अपना सम्पूर्ण सैन्य दल नहीं उतार सका। अतः उनकी सैनिक शक्ति प्रशा के समक्ष कमजोर पड़ गई और उसे पराजित होना पड़ा। अन्त में सन्धि की गई, जिसमें बिस्मार्क ने अपने वचन का पालन करते हुए ऑस्ट्रिया के अधीन वेनेशिया प्रदेश को पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमैनुअल द्वितीय को अर्पित करने के लिए विवश किया। 1870 ई. में फ्रांस का प्रशा के साथ युद्ध छिड़ गया। अतः नेपोलियन तृतीय को रोम से फ्रांसीसी सेना वापस बुलानी पड़ी। इस प्रकार रोम की सुरक्षा जाती रही। नेपोलियन का पतन होते ही विक्टर इमैनुअल द्वितीय ने अपनी सेना भेजकर रोम पर अधिकार जमा लिया। इस प्रकार इटली के राष्ट्रीय एकीकरण का स्वप्न पूरा हुआ और संगठित इटली राष्ट्र की राजधानी रोम को बनाया गया। यही इटली के राष्ट्रीय एकीकरण की अन्तिम सीढ़ी थी, जिसे पार करके इटली ने यूरोप के शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में अपनी स्थापना की। मेजिनी ने लिखा भी था, "इटली एक राष्ट्र होना चाहता है और कुछ भी हो, वह एक राष्ट्र अवश्य बन जाएगा।"

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