प्लेटो के शिक्षा सिद्धांत की आलोचना

BA-II-Political Science-I
प्रश्न 3. 'रिपब्लिक' में वर्णित प्लेटों के शिक्षा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
अथवा "रिपब्लिक शिक्षा पर कभी भी लिखा गया सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है।" इस कथन के आधार पर प्लेटो की शिक्षा योजना का परीक्षण कीजिए।
अथवा "प्लेटो की 'रिपब्लिक' को एक राजनीतिक पुस्तक नहीं माना जा सकता, परन्तु शिक्षा पर यह एक सर्वोत्तम ग्रन्थ है।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
 उत्तर - प्लेटो ने अपनी पुस्तक 'The Republic' में बताया है कि नैतिक गुणों का विकास केवल शिक्षा से ही सम्भव है और अच्छे शासन के लिए भी उत्तम शिक्षा की व्यवस्था आवश्यक है। शिक्षा की दृष्टि से यह ग्रन्थ इतना महत्त्वपूर्ण है कि इसके सम्बन्ध में रूसो ने लिखा है, "रिपब्लिक राजनीति का ग्रन्थ न होकर शिक्षा पर कभी भी लिखा गया सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है।
                                               प्लेटो की शिक्षा सिद्धांत की आलोचना
सेबाइन ने भी लिखा है कि "प्लेटो ने शासकों के मार्ग से बाधाओं को दूर करने के लिए साम्यवाद को चाहे कितना भी महत्त्व क्यों न दिया हो, परन्तु प्लेटो का मुख्य बल साम्यवाद पर न होकर शिक्षा पर है। शिक्षा ही वह सकारात्मक साधन है जिसके द्वारा शासक आदर्श राज्य की स्थापना करने के लिए मानव प्रकृति को सही दिशा में मोड़ सकेगा।"निःसन्देह यह कहना गलत नहीं होगा किThe Republic' का केन्द्रीय विषय शिक्षा ही है। प्लेटो के अनुसार यदि शिक्षा अच्छी है, तो कोई भी सुधार सम्भव है। यदि शिक्षा की अनदेखी की जाती है तो राज्य चाहे कुछ भी करे, उसका कोई महत्त्व नहीं रहेगा जहाँ शिक्षा का उद्देश्य समाज में जागृति, कर्त्तव्यपरायणता और एकता की भावना का संचार व प्रसार करना है, वहीं उसका उद्देश्य मानव मस्तिष्क में ज्ञान की गंगा प्रवाहित कर मनुष्य को अन्धकूप से निकालना भी है, जिससे वह अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर सके।

प्लेटो की शिक्षा योजना

प्लेटो ने अपने समय में प्रचलित स्पार्टा और एथेंस, दोनों नगरों की शिक्षाप्रणालियों के गुणों और दोषों को देखा था। यद्यपि उसकी दृष्टि में एथेंस की शिक्षा प्रणाली अच्छी थी, फिर भी उसका गम्भीर दोष यह था कि उस पर राज्य का कोई नियन्त्रण नहीं था। स्पार्टा एक सैनिक राज्य था, इसमें शिक्षा पर नहीं, अपितु सैनिक शिक्षा पर राज्य द्वारा बल दिया जाता था। इस प्रकार एथेंस में नैतिक शिक्षा पर और स्पार्टा में शारीरिक शिक्षा पर बल दिया जाता था। प्लेटो अपनी शिक्षा योजना में बौद्धिक व शारीरिक, दोनों प्रकार की शिक्षा में समन्वय स्थापित करना चाहता था। इसलिए.वह एक ओर जहाँ शिक्षा को अनिवार्य करना चाहता था, वहीं दूसरी ओर शिक्षा पर राज्य का नियन्त्रण भी चाहता था। अनिवार्य तथा नियन्त्रित शिक्षा एथेंस के लिए एक नई बात थी। सेबाइन ने इस सम्बन्ध में लिखा है कि "हम उसे जनतन्त्रीय प्रथा को एक समालोचना कह सकते हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति को अपने बच्चों के लिए ऐसी शिक्षा खरीदने की स्वतन्त्रता देती है जो या तो उसे अच्छी लगती हो या जो बाजार में उपलब्ध हो।

प्लेटो की शिक्षा योजना की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं

(1) प्लेटो ने स्त्री तथा पुरुषों के लिए एक ही प्रकार की शिक्षा का समर्थन किया है। प्लेटो ने अपने आदर्श राज्य में स्त्री और पुरुष, दोनों को समान रूप से प्रत्येक पद का अधिकारी बताया है।

(2) मानव के शरीर व मन, दोनों के उचित विकास के लिए प्लेटो अपनी विशेष शिक्षा योजना प्रस्तुत करते हैं। उसने शारीरिक विकास हेतु जिमनास्टिक एवं मन के विकास के लिए संगीत की शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया है।

(3) यद्यपि प्लेटो अनिवार्य शिक्षा की बात कहता है, परन्तु वह उत्पादकों और श्रमिकों को इस शिक्षा में शामिल नहीं करता है। प्लेटो की शिक्षा उन्हीं लोगों के लिए है जो उसे प्राप्त करने के लिए हैं। सेबाइन कहता है, "राज्य में शिक्षा के इतने महत्त्व को ध्यान में रखते हुए यह आश्चर्यजनक मालूम पड़ता है कि प्लेटो उत्पादकों की शिक्षा के सम्बन्ध में कहीं विचार नहीं करता। वह यह भी नहीं बताता है कि उन्हें प्राथमिक शिक्षा भो देनी है या नहीं।"

शिक्षा का पाठ्यक्रम

प्लेटो ने अपनी शिक्षा योजना आयु-भेद के अनुसार रखी थी, इसीलिए उसने अपने पाठ्यक्रम को निम्न प्रकार निर्धारित किया था

(1) प्रारम्भिक शिक्षा, और

(2) उच्च शिक्षा।

प्लेटो ने उपर्युक्त विभाजन भी दो आधारों पर किया है-आयु के आधार पर और वर्ग के आधार पर। प्रारम्भिक शिक्षा जहाँ बाल्यकाल से युवावस्था तक के लिए है, वहाँ यह सैनिक वर्ग के लिए है। दूसरी ओर उच्च शिक्षा युवावस्था से प्रौढ़ावस्था तक है, साथ ही वह केवल शासक वर्ग के लिए है ! प्लेटो की प्रारम्भिक शिक्षा, जो कि 20 वर्ष की आयु तक दी जाएगी, का उद्देश्य 'स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क' बनाए रखना है। प्लेटो ने 'The Republic' में उच्च शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया है। इसके द्वारा प्लेटो का उद्देश्य 20 से 35 वर्ष तक की आयु के लोगों को संरक्षक वर्ग के उच्च पदों के योग्य बनाना था। उच्च शिक्षा के लिए उसने दो स्तर बनाए थे-20 से 30 वर्ष तक का शिक्षण और 30 से 35 वर्ष तक की आयु के लोगों का शिक्षण। प्रथम, स्तर में गणित और ज्यामिति की शिक्षा पर बल दिया गया है। प्लेटो गणित पर कितना बल देता था, यह इसी से स्पष्ट है कि उसने अपनी विद्यापीठ के द्वार पर लिखवा दिया था कि "गणित ज्ञान से शून्य व्यक्ति इसमें प्रवेश न करें।"-

दार्शनिक शिक्षा-

गणित की शिक्षा पूरी हो जाने के पश्चात् एक परीक्षा । होगी। इसमें उत्तीर्ण छात्र 30 से 35 वर्ष की आयु तक द्वन्द्व और दर्शन की शिक्षा ग्रहण करेंगे। इस परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों के लिए प्रयोगात्मक शिक्षा की व्यवस्था . थी, जिससे दार्शनिक शासकों का निर्माण हो सके। यह शिक्षा 15 वर्ष की थी। प्लेटो के अनुसार 50 वर्ष की आयु के पश्चात् की शिक्षा व्यक्तिगत थी अर्थात् शासकों को स्वयं ही चिन्तन करते रहना चाहिए, जिससे जनहित और राज्य-हितं हो सके। प्लेटो शिक्षा को आध्यात्मिक जीवन से भी जोड़ देते हैं, जिसके अन्तर्गत व्यक्ति सत्य के वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति करता है, साथ ही आदर्श राज्य के निर्माण में सहायक भी होता है।

प्लेटो की शिक्षा योजना की आलोचना

प्लेटो की शिक्षा योजना की निम्न आधारों पर आलोचना की जाती है

(1) उत्पादक वर्ग की उपेक्षा -

सेबाइन ने इस दोष को बताते हुए कहा है कि "शिक्षा का राज्य में महत्त्वपूर्ण स्थान होने के कारण प्लेटो को उत्पादकों की शिक्षा के सम्बन्ध में अवश्य ही कुछ विचार करना चाहिए था, परन्तु वह तो इस सम्बन्ध में यह भी नहीं बताता है कि प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में इन उत्पादकों को क्या स्थान देना है ?"

(2) अव्यावहारिक शिक्षा योजना

प्लेटो की शिक्षा का कोई अन्त नहीं है। जीवनभर की शिक्षा में कितना व्यय होगा और कितने लोग इसे वहन कर सकेंगे ?

(3) एकरूपता का दोष -

मानव बुद्धि विविधता को पसन्द करती है; जबकि प्लेटो सभी के लिए एक से विषयों की शिक्षा देने की बात कहता है। .

(4) कला व संगीत पर राज्य का नियन्त्रण उचित नहीं -

आलोचकों का कहना है कि प्रथम तो शारीरिक शिक्षा एवं संगीत व कला की शिक्षा में सम्बन्ध नहीं है, दूसरे संगीत व कला पर यदि राज्य का नियन्त्रण होगा, तो उनका उचित विकास नहीं हो सकेगा।

(5) साहित्य की उपेक्षा -

प्लेटो की शिक्षा योजना में साहित्य की उपेक्षा की गई है। इस योजना में दर्शन और गणित पर आवश्यकता से अधिक बल दिया गया है।

(6) व्यक्ति के विकास की उपेक्षा-

प्लेटो की शिक्षा योजना वस्तुतः राज्य " के विकास के लिए है, व्यक्ति के विकास के लिए नहीं है। प्लेटो की शिक्षा योजना का आधार न्याय है। वह शिक्षा द्वारा ही आदर्श राज्य की स्थापना करना चाहता है।

(7) स्त्री-पुरुषों के लिए समान पाठ्यक्रम -

आलोचकों के अनुसार स्त्री व पुरुष, दोनों के लिए समान शिक्षा की योजना भी ठीक नहीं है, क्योंकि उन दोनों में बौद्धिक समानता होते हुए भी भावात्मक अन्तर है, जो एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है।

प्लेटो की शिक्षा योजना का महत्त्व

उपर्युक्त दोषों के होने पर भी प्लेटो की शिक्षा योजना बहुत महत्त्वपूर्ण है। वास्तविकता यह है कि शिक्षा की दृष्टि से 'The Republic' व्यापक रूप में एक विश्वविद्यालय है, एक चर्च तथा एक परिवार है। प्लेटो की शिक्षा योजना के सम्बन्ध में बार्कर ने ठीक कहा है, "उसकी शिक्षा मानसिक रोग को मानसिक औषधि द्वारा ठीक करने का प्रयास है।" जिस प्रकार रोगी के लिए दवा आवश्यक होती है, वैसे ही विभिन्न स्तरों पर मनुष्यों के लिए शिक्षा आवश्यक है। शासकों के लिए निःसन्देह शिक्षा आवश्यक है। इसे कौन गलत कह सकता है कि "शासन एक कठिन कला है, जिसके लिए एक विशेष शिक्षा और दीक्षा आवश्यक है।" भले ही प्लेटो ने दूसरे सामाजिक विषयों के अध्ययन की उपेक्षा की है, फिर भी यह स्वीकार करना होगा कि प्लेटो ने राज्य को ही सर्वोच्च शिक्षा संस्था माना है। इन्हीं कारणों से रूसो ने कहा है कि "रिपब्लिक शिक्षा पर कभी भी लिखा गया सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है।"





Comments

  1. Darshan prodhavastha k liye he yuvavastha k liye nhi yah kisne kaha tha

    ReplyDelete

Post a Comment

Important Question

कौटिल्य का सप्तांग सिद्धान्त

प्लेटो का न्याय सिद्धान्त - आलोचनात्मक व्याख्या

सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी पत्र में अन्तर

जोसेफ़ स्टालिन की गृह नीति

पारिभाषिक शब्दावली का स्वरूप एवं महत्व

व्यवहारवाद- अर्थ , विशेषताएँ तथा महत्त्व

मैकियावली अपने युग का शिशु - विवेचना

बड़े भाई साहब कहानी की समीक्षा

ऋणजल धनजल - सारांश