उद्यमी के कार्यों का वर्णन कीजिए

प्रश्न 3. "उद्यमी वह व्यक्ति है जो कुछ नहीं से निरन्तर चलने वाले व्यावसायिक उपक्रम का सृजन करता है।" इस कथन की व्याख्या करते हुए उद्यमी के कार्यों का वर्णन कीजिए।

अथवा '' उद्यमी के कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से उद्यमी के कार्यों को निम्न तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-

(I) उपक्रम की स्थापना सम्बन्धी कार्य,

(II) प्रबन्ध एवं संचालन सम्बन्धी कार्य, तथा

(III) आधुनिक कार्य।

(I) उपक्रम की स्थापना सम्बन्धी कार्य

उद्यमी को प्रवर्तन एवं उपक्रम की स्थापना करते समय निम्नलिखित काय करने पड़ते हैं-

(1) व्यावसायिक विचार की कल्पना-

उद्यमी वह व्यक्ति है जिसक मस्तिष्क में उपक्रम की स्थापना की कल्पना आती है और वह अपने मौलिक एव व्यावहारिक विचारों से उस कल्पना को मूर्त रूप देता है।

(2) विचार की जाँच-पड़ताल एवं मूल्यांकन-

विचार की व्यावहारिकता की जाच के लिए उद्यमी सरकारी नीति, साधनों की उपलब्धता, उत्पादन एवं वितरण व्यवस्था, तकनीक एवं कौशल तथा लाभदायकता पर विचार करता है।

udymi ke karya

(3) परियोजना नियोजन-

परियोजना नियोजन में उद्यमी प्रारम्भिक अनुसन्धान करते हैं, आवश्यक सूचनाएँ एवं तथ्य एकत्रित करते हैं, सूचनाओं का विश्लेषण करके विभिन्न विकल्प विकसित करते हैं तथा सर्वोत्तम विकल्प का चयन करते हैं।

(4) परियोजना रिपोर्ट तैयार करना-

परियोजना नियोजन के आधार पर समकों के रूप में तैयार की गई विस्तृत विश्लेषणात्मक रिपोर्ट परियोजना या सम्भाव्यता रिपोर्ट कहलाती है। उद्यमी इस रिपोर्ट को भावी उपक्रम की लागत तथा लाभदायकता को ज्ञात करने के लिए तैयार करता है।

(5) परियोजना का अनुमोदन करना-

उद्यमी सम्बन्धित संस्थाओं व विभागों में परियोजना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने तथा उसका अनुमोदन कराने का कार्य करता है। प्रभावी एवं विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का शीघ्र अनुमोदन सम्भव होता है।

(6) उपक्रम की स्थापना करना-

उद्यमी पूर्व निर्धारित परियोजना के अनुसार उपक्रम की स्थापना के लिए आवश्यक कार्यवाही करता है। उद्यमी उपक्रम की स्थापना के लिए आवश्यक साधनों व सुविधाओं की भी व्यवस्था करता है।

(II) प्रबन्ध एवं संचालन सम्बन्धी कार्य

उद्यमी के प्रबन्ध एवं संचालन सम्बन्धी कार्य निम्नलिखित हैं-

(1) उपक्रम का प्रबन्ध करना-

उपक्रम के स्थापित हो जाने के पश्चात् उद्यमी को इसका सफल संचालन एवं प्रबन्ध करना होता है। बड़े उद्योगों में तो. प्रबन्ध का कार्य पेशेवर प्रबन्धक करते हैं, जबकि छोटे तथा मध्यम श्रेणी के उद्योगों में उद्यमी ही प्रबन्ध सम्बन्धी कार्य करता है।

(2) वित्त प्राप्त करना-

उद्यमी उपक्रम की अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन पूँजीगत आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की व्यवस्था करता है।

(3) विपणन व्यवस्था करना-

वर्तमान तीव्र प्रतिस्पर्धा के युग में उत्पादन के प्रभावी विपणन की व्यवस्था करना भी उद्यमी का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए वह योग्य मध्यस्थों एवं विक्रय प्रतिनिधियों की नियुक्ति करके उत्पादन के विपणन की व्यवस्था करता है।

(4) पारिश्रमिक प्रदान करना-

उद्यमी उत्पादन के प्रत्येक साधन को उसकी सेवाओं के प्रतिफल स्वरूप पारिश्रमिक प्रदान करता है।

(5) जोखिम वहन करना-

जोखिम वहन करना उद्यमी का प्रमुख कार्य है, क्योंकि जोखिम के बिना व्यवसाय की कल्पना करना असम्भव है। उद्यमी बड़ी कुशलता, अनुभव व सतर्कता से कार्य करते हुए जोखिमों को न्यूनतम करता है।

(III) आधुनिक कार्य

उद्यमी के आधुनिक कार्यों को निम्नलिखित शीर्षकों के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) नव-प्रवर्तन एवं विभेदीकरण-

नव-प्रवर्तन उद्यमी का आधारभूत कार्य है। उद्यमी नवीन परिवर्तनों को जन्म देता है तथा नये उत्पाद विकसित कर उत्पाद विभेदीकरण का कार्य करता है।

(2) उद्यमिता विकास कार्यक्रमों में सहभागिता-

देश में उद्यमिता के विकास के लिए सरकारी विभागों, बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, व्यावसायिक एवं तकनीकी संगठनों, प्रबन्ध संस्थानों आदि द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेना उद्यमी का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है।

(3) राष्ट्रीय विकास में योगदान

देश के भौतिक एवं मानवीय संसाधनों का अधिकतम विदोहन करके, रोजगार व आय का सृजन करके तथा अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह करके उद्यमी राष्ट्र के विकास में अपना योगदान देता है।

(4) व्यवसाय के भविष्य को सुरक्षित बनाना-

उद्यमी का वास्तविक कार्य उपक्रम के वर्तमान एवं भविष्य, दोनों को सुरक्षित बनाना है। उद्यमी को प्रत्येक योजना का निर्माण दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में करना चाहिए। पीटर एफ. ड्रकर के शब्दों में, "किसी भी व्यावसायिक उपक्रम में उद्यमी का विशिष्ट कार्य आज के व्यवसाय को इस योग्य बनाना है कि वह कल का निर्माण कर सके। वह आज के विद्यमान व्यवसाय को जीवित रहने तथा भविष्य में सफल होने की सामर्थ्य प्रदान करता है।"

 

Comments

Important Question

मैकियावली अपने युग का शिशु - विवेचना

राजा राममोहन राय के राजनीतिक विचार

सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी पत्र में अन्तर

कौटिल्य का सप्तांग सिद्धान्त

गोपालकृष्ण गोखले के राजनीतिक विचार

ऋणजल धनजल - सारांश

जोसेफ़ स्टालिन की गृह नीति

बाबर की भारत विजय - जीवन एवं उपलब्धिया

मैकियावली आधुनिक युग का प्रथम विचारक है

भारतीय संविधान की 17 प्रमुख विशेषताएँ