चार्ल्स पंचम - गृह नीति का मूल्यांकन

MJPRU-B.A I-History II/ 2021 

प्रश्न 6. हैप्सबर्ग राजवंश के सम्राट् चार्ल्स पंचम की गृह नीति का मूल्यांकन काजिए।

अथवा '' चार्ल्स पंचम की गृह नीति का वर्णन कीजिए।
अथवा '' चार्ल्स पंचम का संक्षिप्त परिचय देते हुए उसकी समस्याओं का वर्णन कीजिए तथा उसकी गृह नीति का उल्लेख कीजिए।

उत्तरचार्ल्स पंचम 16वीं शताब्दी में यूरोप के योग्यतम शासकों में से एक था। उसका जन्म 1500 ई. में नीदरलैण्ड्स के गेण्ट नामक नगर में हुआ था। उसकी माता जोआना स्पेन के सम्राट फर्डिनेण्ड की पुत्री थी। चार्ल्स का पिता फिलिप पवित्र रोमन सम्राट् मैक्सिमिलियन का पुत्र था। 1506 ई. में फिलिप की मृत्यु हो जाने के पश्चात् मात्र 6 वर्ष की आयु में उसे नीदरलैण्ड्स का शासन संभालना पड़ा। 1516 ई. में अपने नाना फर्डिनेण्ड की मृत्यु के पश्चात् चार्ल्स सम्पूर्ण स्पेनी साम्राज्य का
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उत्तराधिकारी हुआ और 'चार्ल्स पंचम' के नाम से सिंहासन पर बैठा। इस प्रकार स्पेन, नेपिल्स, सिसली, सार्जीनिया, अमेरिका तथा अफ्रीकी उपनिवेशों पर चार्ल्स का आधिपत्य हो गया। 1519 ई. में उसके पितामह मैक्सिमिलियन की मृत्यु होने पर उनके सम्पूर्ण ऑस्ट्रियन साम्राज्य पर भी चार्ल्स का आधिपत्य हो गया। 1520 ई. में पवित्र रोमन सम्राट के रूप में चार्ल्स का राज्याभिषेक सम्पन्न हुआ और उसने 'चार्ल्स पंचम' की उपाधि धारण की।

चार्ल्स पंचम की समस्याएँ

अपने सम्पूर्ण शासनकाल (1520-1556 ई.) में चार्ल्स पंचम को अनेक कठिनाइयों व समस्याओं का सामना करना पड़ा। इन समस्याओं का सामना व समाधान करने में ही चार्ल्स पंचम ने आजीवन संघर्ष किया। उसकी प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित थीं
(1) विशाल साम्राज्य - चार्ल्स पंचम को उत्तराधिकार में अपने नाना फर्डिनेण्ड का स्पेनी साम्राज्य, अपने पितामह मैक्सिमिलियन का ऑस्ट्रियन साम्राज्य एवं पवित्र रोमन सम्राट् की गुरुतर जिम्मेदारी मिली थी। यह विशाल साम्राज्य अल्पायु शासक के लिए बहुत बड़ा उत्तरदायित्व तथा चुनौती थी।
(2) विविधतापूर्ण साम्राज्य - वस्तुत: चार्ल्स पंचम का साम्राज्य 'राजवंशीय साम्राज्य' था। इसमें कोई एक-सी केन्द्रीय सरकार नहीं थी, वरन् यह एक विशेष राजवंश-हैप्सबर्ग राजवंश के अधीन अनेक राज्यों व प्रदेशों का असम्बद्ध समूह मात्र था। साम्राज्य की एकता सिर्फ व्यक्तिगत थी अर्थात् सभी राज्यों व प्रदेशों का शासक सम्राट् चार्ल्स पंचम था। इतने बड़े साम्राज्य के अन्तर्गत विभिन्न प्रान्तों की
परस्पर विरोधी विशेषताएँ एवं विविधताएँ एवं उनमें समन्वय तथा सामंजस्य का कार्य एक बहुत बड़ी चुनौती थी।
(3) धर्म सुधार आन्दोलन जर्मनी में बढ़ते हुए धर्म सुधार आन्दोलन के प्रसार व प्रभाव को रोकने के लिए चार्ल्स को अधिकाधिक धन, समय एवं शक्ति का व्यय करना पड़ा। वस्तुतः धर्म सुधार आन्दोलन उसके साम्राज्य व धर्म के लिए अभिशाप सिद्ध हुआ।
(4) फ्रांस से प्रतिद्वन्द्विताचार्ल्स पंचम को फ्रांस से स्पेन की परम्परागत शत्रुता विरासत में मिली। पवित्र रोमन सम्राट के रूप में चार्ल्स पंचम के चयन ने इस शत्रुता एवं प्रतिद्वन्द्विता को और बढ़ावा दिया। अपने शासनकाल के दौरान चार्ल्स पंचम ने अपने प्रमुख व प्रबल प्रतिद्वन्द्वी फ्रांस के सम्राट् फ्रांसिस प्रथम से कई बार युद्ध किए।
(5) पोप तथा सम्राट् हेनरी अष्टम की विद्वेषपूर्ण विदेश नीति जर्मनी में बढ़ते हुए धर्म सुधार आन्दोलन की प्रगति का सफल प्रतिरोध करने में चार्ल्स पंचम को रोम के पोप व इंग्लैण्ड के सम्राट हेनरी अष्टम की ओर से सहायता की उम्मीद थी। परन्तु यह आशा फलीभूत न हो सकी, क्योंकि इटली में चार्ल्स पंचम के बढ़ते हुए प्रभाव से आशंकित होकर रोम के पोप व सम्राट् हेनरी अष्टम ने चार्ल्स पंचम के प्रति विद्वेषपूर्ण विदेश नीति अपनाई।
(6) तुर्कों की शक्ति में वृद्धि - पूर्वी यूरोप में डेन्यूब नदी की ओर तुर्कों का निरन्तर प्रसार व भूमध्य सागर में उनका बढ़ता हुआ प्रभाव चार्ल्स पंचम के लिए बड़ा खतरा बन गया। तुर्कों की यह बढ़ती हुई शक्ति चार्ल्स पंचम की चिन्ता का कारण थी।

चार्ल्स पंचम की गृह नीति

स्पेन का प्रशासन - 1516 ई. में अपने नाना फर्डिनेण्ड की मृत्यु के पश्चात् चार्ल्स पंचम स्पेनी साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना। परन्तु स्पेनवासियों ने चार्ल्स पंचम को कोई विशेष सम्मान नहीं दिया। चार्ल्स पंचम का विदेशी होना, स्पेनी भाषा का ज्ञान न होना एवं उसके दरबार में स्वार्थी नीदरलैण्डवासी सलाहकारों की प्रधानता होना इसके प्रमुख कारण थे। स्पेन में चार्ल्स पंचम का शासन पूर्णतया निरंकुश था। यद्यपि आरम्भ में अरागॉन व कैस्टाईल की संसदों ने चार्ल्स पंचम की निरंकुशता पर अंकुश लगाना चाहा व स्पेन के वित्त सम्बन्धी तथा विधान सम्बन्धी कार्यों में सलाह देने का अधिकार प्राप्त करने की कोशिश की, परन्तु उनके समस्त प्रयास असफल सिद्ध हुए। 1520-22 ई. के मध्य चार्ल्स पंचम की निरंकुशता के विरुद्ध स्पेन के मामन्तों तथा प्रतिनिधियों ने भयंकर विद्रोह किए,
परन्तु सामन्तों की पारस्परिक फूट के कारण चार्ल्स पंचम ने सभी विद्रोह दबा दिए। चार्ल्स पंचम ने नगर प्रशासन सम्बन्धी स्थानीय अधिकार भी सीमित कर दिए तथा प्रत्येक नगर के प्रशासन में एक राजकीय पदाधिकारी नियुक्त किया। चार्ल्स पंचम ने अरागॉन व कैस्टाईल की संसदों को समाप्त नहीं किया, परन्तु उनकी वास्तविक शक्ति व महत्ता समाप्त हो गई। इस प्रकार संसद की शक्ति को पंग करके चार्ल्स पंचम ने स्पेन में निरंकुश शासन स्थापित कर लिया। 1522 ई. के उपरान्त चार्ल्स पंचम ने लोकप्रिय शासक के रूप में स्पेन पर शासन किया। चार्ल्स पंचम ने स्पेनी जनता को प्रसन्न करने एवं अपने राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए 1526 ई. में पुर्तगाल की राजकुमारी ईसाबेला से विवाह कर लिया। चार्ल्स पंचम एवं ईसाबेला का यह विवाह भविष्य में बड़ा महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ एवं फिलिप द्वितीय के राज्यकाल में स्पेन तथा पुर्तगाल के एकीकरण में सहायक
चार्ल्स पंचम ने अधिकांश पदों पर स्पेनवासियों को ही नियुक्त करना प्रारम्भ कर दिया। चार्ल्स पंचम ने स्पेन के एकीकरण व राष्ट्रीयकरण के लिए विशेष प्रयास किए। यद्यपि चार्ल्स पंचम ने स्पेन के विविध राज्यों की पारस्परिक भिन्नता को कम करने का प्रयास नहीं किया, परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय जगत् में स्पेनी प्रभुता की स्थापना के लिए निरन्तर प्रयास किए। इन्हीं प्रयासों के परिणामस्वरूप उसे कई युद्ध लड़ने पड़े व स्पेन के आर्थिक संसाधनों का निरन्तर उपयोग करना पड़ा। वस्तुत: चार्ल्स पंचम की साम्राज्यवादी नीति का मुख्य आधार स्पेनी राजकोष था। अनेक युद्धों के कारण हजारों स्पेनी सैनिक मारे गए व करारोपण का भार तीन गुना हो गया। साथ ही स्पेनी राजकोष पर 2 करोड़ पौण्ड का कर्ज भी हो गया। चार्ल्स पंचम के अनवरत् युद्धों व भारी करारोपण के फलस्वरूप स्पेन का आर्थिक विकास प्रभावित हुआ। चार्ल्स पंचम की मूर विरोधी धार्मिक नीति के फलस्वरूप उद्योगशील मूर जाति स्पेन से पलायन कर गई। इसके परिणामस्वरूप स्पेन का आर्थिक व औद्योगिक विकास अवरुद्ध हो गया। स्पेन के अमेरिकी उपनिवेशों से प्राप्त अथाह धन के बावजूद भी स्पेन निर्धन होता जा रहा था।
यद्यपि चार्ल्स पंचम की साम्राज्य-विस्तार नीति स्पेन के राष्ट्रीय विकास एवं सम्पन्नता के लिए हानिकारक सिद्ध हुई, परन्तु औपनिवेशिक विस्तार की दृष्टि से चार्ल्स पंचम का शासनकाल उल्लेखनीय रहा। अमेरिकी गोलार्द्ध के मेक्सिको, मध्य अमेरिका, वेनेजुएला, न्यू ग्रेनाडा, पेरु, बोलोविया तथा चिली में स्पेनी उपनिवेश स्थापित हो चुके थे। साथ ही अर्जेण्टीना, पराग्वे, कैलिफोर्निया व क्लोरिडा में भी स्पेनी उपनिवेश बसाने के प्रयास हो रहे थे। परन्तु परोक्ष रूप से
यह औपनिवेशिक साम्राज्य-विस्तार स्पेन के राष्ट्रीय विकास के सर्वथा प्रतिकूल सिद्ध हुआ, क्योंकि अमेरिकी प्रदेशों से प्राप्त अतुल स्वर्ण राशि ने स्पेन के निवासियों में विलासिता व अकर्मण्यता उत्पन्न कर दी। फलस्वरूप राष्ट्र का आर्थिक विकास बाधित हो गया व राष्ट्र का नैतिक पतन होने लगा।

नीदरलैण्ड्स का प्रशासन

चूँकि चार्ल्स पंचम का जन्म व पालन-पोषण नीदरलैण्ड्स में हुआ था, इसलिए उसके हृदय में अपनी मातृभूमि के प्रति अत्यन्त स्नेह व सम्मान की भावना थी। सम्राट् बनने के पश्चात् उसने नीदरलैण्ड्स के 17 छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर उनका एक संघ बनाया। नीदरलैण्ड्स के कुशल प्रशासन के लिए उसने तीन समितियों और एक संसद का भी गठन किया। यद्यपि चार्ल्स पंचम की साम्राज्यवादी नीति के कारण नीदरलैण्ड्स की जनता को अतिरिक्त करों का भार वहन करना पड़ा, तथापि उसके शासनकाल में देश में व्यापार व वाणिज्य का पर्याप्त विकास हुआ, क्योंकि चार्ल्स पंचम ने नीदरलैण्ड्स के व्यापार व वाणिज्य के क्षेत्र में किसी प्रकार का प्रतिबन्ध नहीं लगाया।
धार्मिक क्षेत्र में चार्ल्स पंचम ने कठोर नीति को अपनाया। उसने नीदरलैण्ड्स के प्रोटेस्टैण्ट अनुयाइयों के प्रति कठोर दमन नीति को लागू किया तथा हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। यद्यपि उसके शासनकाल में प्रोटेस्टैण्ट विद्रोह को बलपूर्वक कुचल दिया गया, तथापि असन्तोष की आग धीरे-धीरे सुलगती रही। कालान्तर में चार्ल्स पंचम के उत्तराधिकारी फिलिप द्वितीय के शासनकाल में प्रोटेस्टैण्ट समर्थकों को अपने प्रयासों में सफलता प्राप्त हुई और उन्होंने पृथक् रूप से डच रिपब्लिक की स्थापना की।
इस प्रकार नीदरलैण्ड्स में चार्ल्स पंचम की नीति पूर्णतया विफल रही।


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