राजनीति विज्ञान के क्षेत्र की विवेचना

 B. A. I, Political Science I / 2021

प्रश्न 2. राजनीति विज्ञान के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
अथवा "राजनीति विज्ञान राज्य और सरकार की सामान्य समस्याओं का अध्ययन करता है।" इस कथन के सन्दर्भ में परम्परागत तथा आधुनिक दृष्टिकोण से राजनीति विज्ञान की व्याख्या कीजिए। 
अथवा "राजनीति विज्ञान का प्रारम्भ तथा अन्त राज्य से होता है।" इस कथन के सन्दर्भ में राजनीति विज्ञान के क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
अथवा '' राजनीति विज्ञान के विषय-विस्तार पर प्रकाश डालिए।

उत्तर - सामान्यतः किसी विषय के क्षेत्र से आशय उस विषय की विषय-सामग्री से होता है अर्थात् उसमें किन-किन बातों का अध्ययन किया जाता है। राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के सम्बन्ध में विद्वानों में परस्पर मतभेद है। अतः राजनीति विज्ञान के क्षेत्र का अध्ययन निम्न दो दृष्टिकोणों के आधार पर किया जा सकता है
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राजनीति विज्ञान का क्षेत्र : परम्परागत दृष्टिकोण

राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों के अपने-अपने अलग-अलग मत रहे हैं । प्रो. विलोबी ने राजनीति विज्ञान को राज्य व सरकार का, ब्लण्टशली ने राज्य की प्रकृति, विविध रूप व उसके विकास का, फ्रेड्रिक पोलक ने सैद्धान्तिक संस्थाओं का,गैटेल ने राज्य के भूत, वर्तमान व भविष्य का तथा यूनेस्को ने उसे राजनीतिक सिद्धान्तों, संस्थाओं तथा अन्तर्राष्टीय सम्बन्धों का अध्ययन माना
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले विषयों का विवेचन निम्न प्रकार किया जा सकता है

(1) राज्य की प्रकृति का अध्ययन- 

प्रो. गार्नर के अनुसार राज्य राजनीति विज्ञान के क्षेत्र का प्रारम्भ और अन्त,दोनों ही है । वास्तव में राज्य इस विषय का केन्द्र-बिन्दु है। यह अनिवार्य और प्राकृतिक संस्था है। इसके बिना एक व्यक्ति सभ्य और आदर्श जीवन व्यतीत नहीं कर सकता। सुकरात, प्लेटो, अरस्तू आदि यूनानी विचारकों ने सद्जीवन के लिए राज्य को आवश्यक माना है। उनके अनुसार राज्य. शक्ति और समाज के विकास के लिए सर्वोत्तम संस्था है । अरस्तू ने इसकी महत्ता के विषय में यहाँ तक कहा कि राज्य मानव के पूर्व पृथ्वी पर ईश्वर का आगमन माना जाता है। अत: राजनीति विज्ञान के क्षेत्र का प्रारम्भ राज्य की प्रकृति, आवश्यकता, उसकी अनिवार्यता तथा उसकी महत्ता में होता है।

(2) राज्य के अतीत का अध्ययन-

जब हम राज्य की भूतकालीन अवस्था का अध्ययन करते हैं, तो हम उसके ऐतिहासिक रूप का विवेचन करते हैं । इसके अन्तर्गत राज्य के उद्भव, उत्पत्ति के विभिन्न सिद्धान्त, विकास तथा विभिन्न राजनीतिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। हम इस बात का पता लगाते हैं कि राज्य किस प्रकार से अपने आदिम स्वरूप से विकसित होता हुआ तथा विभिन्न सोपानों के माध्यम से अपने वर्तमान विकसित स्वरूप को प्राप्त कर सका है। इसके साथ-साथ हम अतीत की राज्य विषयक उन विभिन्न विचारधाराओं एवं सिद्धान्तों का भी अध्ययन करते हैं जिनका प्रतिपादन राज्य के विकास के सम्बन्ध में समय-समय पर हुआ है । अतीत का अध्ययन वर्तमान के लिए आवश्यक होता है,क्योंकि अतीत एक दिन वर्तमान रहा होता है। वर्तमान ही व्यतीत हो जाने पर भूत बन जाता है । अतः राज्य के अतीत का अध्ययन वर्तमान के अध्ययन के लिए आवश्यक है।

(3) राज्य के वर्तमान स्वरूप का अध्ययन-

 राज्य का वर्तमान स्वरूप राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग है । यूनान के 'नगर राज्य के लघु स्वरूप से प्रारम्भ होकर राज्य आज राष्ट्र राज्य' (Nation State) की स्थिति प्राप्त कर चुका है और वह 'विश्व राज्य' (World State) की स्थिति की ओर अग्रसर है। आज व्यक्ति के जीवन का शायद ही कोई ऐसा पहलू है जो राज्य की गतिविधियों से प्रभावित न होता हो। अतः वर्तमान राज्य के उद्देश्य, कार्य,प्रशासन तथा उसकी अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों का अध्ययन आवश्यक रूप से राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में आता है।

(4) राज्य के भावी या आदर्शवादी स्वरूप का अध्ययन - 

राजनीति विज्ञान आदर्शात्मक विषय भी है। अतः इसके अध्ययन का एक प्रमुख विषय राज्य के भावी स्वरूप का निर्धारण करना भी है। वर्तमान और भविष्य का घनिष्ठ सम्बन्ध है। वर्तमान में भविष्य छिपा रहता है। भविष्य ही विद्यमान हो जाने पर वर्तमान बन जाता है। अतः राज्यों के कार्य,उद्देश्य, शासन व्यवस्था के आदर्श स्वरूप का निर्धारण आवश्यक है। राज्य के आदर्शवादी भावी स्वरूप के अन्तर्गत लोक-कल्याणकारी राज्य, विश्व-बन्धुत्व पर आधारित विश्व राज्य तथा धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक समाजवाद के उदात्त और मानवीय रूपों का अध्ययन आता है।

(5) शासन या सरकार का अध्ययन - 

शासन या सरकार राज्य का एक आवश्यक तत्त्व है। शासन के माध्यम से ही राज्य अपनी सम्प्रभुता का प्रयोग करता है। शासन राज्य का मूर्त रूप है। अतः शासन के अध्ययन के बिना राज्य का अध्ययन अपूर्ण है। शासन के अध्ययन के अन्तर्गत शासन कार्यशासन के विभिन्न प्रकार राजतन्त्र, कुलीन तन्त्र व जनतन्त्र; शासन प्रणालियाँ-संघात्मक, एकात्मक, संसदात्मक व अध्यक्षात्मक एवं सरकार के अंग विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका आदि का अध्ययन किया जाता है।

(6) संविधान का अध्ययन -

संविधान लिखित तथा अलिखित नियमों का वह समूह होता है जिसके द्वारा किसी देश की शासन व्यवस्था का संचालन होता है । लॉर्ड ब्राइस के शब्दों में, “संविधान ऐसे नियमों का एक संग्रह होता है जिनमें सरकार की गतिविधि प्रतिपादित होती है और जिनके द्वारा उसका संचालन होता है।अतः राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत विश्व के विभिन्न देशों की शासन प्रणालियों का अध्ययन किया जाता है।

(7) राजनीतिक विचारों का अध्ययन -

राजनीतिक विचारों के इतिहास तथा राज्य विषयक विभिन्न विचारधाराओं का अध्ययन राजनीति विज्ञान की विषय-वस्तु का प्रमुख अंग है । इसके अन्तर्गत राजनीतिक विचारकों के विचार तथा राजनीतिक विचारधाराओं का अध्ययन किया जाता है।

(8) अन्तर्राष्ट्रीय विधि का अध्ययन -

राजनीति विज्ञान के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय विधि का भी अध्ययन किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय विधि के विविध पहलुओं; जैसे अन्तर्राष्ट्रीय कानून की परिभाषा,प्रकृति, विकास,क्षेत्र; शान्ति के नियम; युद्ध के नियम; तटस्थता के नियम आदि का अध्ययन इसमें किया जाता है।

(9) अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का अध्ययन - 

विश्व के विभिन्न देशों की विदेश नीति,उनके पारस्परिक सम्बन्ध तथा अनेक विश्व संगठनों का अध्ययन भी राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। वर्तमान युग अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का युग है। प्रत्येक छोटा और बड़ा राष्ट्र एक-दूसरे से किसी-न-किसी रूप में सम्बन्धित है। अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों तथा अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों-संयुक्त राष्ट्र संघ,राष्ट्रमण्डल आदि का भी अध्ययन इस विषय में किया . जाता है।

(10) अन्य विषयों का अध्ययन - 

उपर्युक्त विषयों के अतिरिक्त अन्य अनेक विषयों; जैसे-कानून, अधिकार, नागरिकों के कर्त्तव्य, समाज, समुदाय, स्वतन्त्रता, समानता, सम्प्रभुता, राजनीतिक दल, प्रतिनिधित्व, संवैधानिक कानून, लोक प्रशासन आदि का अध्ययन भी इसके अन्तर्गत किया जाता है।

राजनीति विज्ञान का क्षेत्र : आधुनिक दृष्टिकोण

वर्तमान समय में राजनीति विज्ञान का क्षेत्र बहुत व्यापक,विशिष्ट तथा मौलिक हो गया है । इसका अध्ययन हम निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कर सकते हैं,

(1) शक्ति का अध्ययन - 

आधुनिक राजनीति विज्ञान का केन्द्रीय विषय 'शक्ति' है। कैटलिन ने राजनीति विज्ञान को 'शक्ति का विज्ञान' कहा है । लासवेल के अनुसार भी राजनीति विज्ञान के अध्ययन में शक्ति एक सर्वाधिक मौलिक धारणा है।

(2) राजनीतिक क्रियाकलापों का अध्ययन -

आधुनिक राजनीति विज्ञान में विभिन्न राजनीतिक क्रियाकलापों का भी अध्ययन किया जाता है। आज राजनीति विज्ञान में विभिन्न राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन के साथ-साथ राज्य, कानून, सम्प्रभुता, अधिकार, न्याय आदि अवधारणाओं और सरकार के कार्यों का भी अध्ययन किया जाता है।

(3) सामाजिक मूल्यों का अध्ययन - 

आधुनिक राजनीति विज्ञान सामाजिक मूल्यों को भी अपने क्षेत्र के अन्तर्गत सम्मिलित करता है।

 (4) समस्याओं और संघर्षों का अध्ययन - 

आधुनिक राजनीति विज्ञान के क्षेत्र के अन्तर्गत विभिन्न राजनीतिक समस्याओं और संघर्षों का भी अध्ययन किया जाता है, जिनका राजनीतिक जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

(5) सहमति और सामान्य अभिमतों का अध्ययन - 

आधुनिक राजनीति विज्ञान विभिन्न वर्गों की सहमति और अभिमतों का अध्ययन करता है।

(6) राजनीतिक व्यवहार का अध्ययन - 

आधुनिक राजनीति विज्ञान के अनुसार राजनीति की प्रकृति विशिष्ट है और राजनीति तथ्यों, घटनाओं, प्रक्रियाओं व गतिविधियों का किसी-न-किसी रूप में शान्ति,शासन तथा सत्ता से सम्बन्ध होता है। इसलिए आधुनिक राजनीति विज्ञान इन्हीं से सम्बन्धित व्यवहार का अध्ययन है,जिसे राजनीतिक व्यवहार कहा जाता है।

(7) अन्तर-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण - 

व्यवहारवादियों ने राजनीति विज्ञान को निश्चित सीमा रेखा में बाँधने की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में मानव की सम्पूर्ण गतिविधियों को विभाजित नहीं किया जा सकता है । वे परस्पर आबद्ध हैं, इसलिए उनका अध्ययन समग्र रूप में ही किया जा सकता है।



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