प्लासी का युद्ध - कारण, महत्त्व और परिणाम
B.A. III, History I / 2020
प्रश्न 2. प्लासी के युद्ध (1757 ई.) के कारण और
परिणामों का वर्णन कीजिए।
(6) कम्पनी को चौबीस परगने के भूभाग
भी मिल गए।
प्रश्न 2. प्लासी के युद्ध (1757 ई.) के कारण और
परिणामों का वर्णन कीजिए।
अथवा , भारतीय इतिहास
में प्लासी के युद्ध का महत्त्व बताइए।
अथवा , प्लासी के युद्ध
के प्रमुख कारण क्या थे ? विवेचना कीजिए।
उत्तर - भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना 1757 ई. में मानी जाती है, क्योंकि इसी वर्ष
क्लाइव ने बंगाल के नवाब को प्लासी के मैदान में धोखे से पराजित करके ईस्ट इण्डिया
कम्पनी को एक राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित किया।
प्लासी के युद्ध के कारण
प्लासी के युद्ध के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
(1) सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों का षड्यन्त्र -
अंग्रेजों ने बंगाल के
नवाब सिराजुद्दौला को सत्ता से हटाने के लिए षड्यन्त्र रचा, क्योंकि अंग्रेज नवाब को अपने हाथों की कठपुतली बनाना चाहते
थे। इसके लिए अंग्रेजों ने नवाब के सेनापति मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने का
लालच देकर अपनी ओर मिला लिया। अंग्रेजों ने अमीचन्द तथा जगत सेठ जैसे दरबारी
अमीरों को पहले ही अपनी ओर कर लिया था। अंग्रेज बहुत चालाक थे, इसलिए उन्होंने नवाब से नाराज चल रहे अमीरों का
पता लगाकर उन्हें भी अपनी ओर मिला लिया था। इसी कारण प्लासी के मैदान में नवाब
सिराजुद्दौला की सेना पूर्ण निष्ठा के साथ नहीं लड़ी।
(2) अंग्रेजों और नवाब सिराजुद्दौला में तनाव -
अंग्रेजों और सिराजुद्दौला के बीच सम्बन्धों
में तनाव चल रहा था। इसके कई कारण थे, जिनमें प्रमुख थेबंगाल का नवाब बनने पर अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला को कोई
उपहार नहीं भेजा था, अंग्रेज नवाब के
विद्रोहियों को सहायता व शरण देते थे, नवाब ने अंग्रेजों के व्यापार पर काफी कठोर प्रतिबन्ध लगा दिए थे।
(3) अंग्रेजों द्वारा किलेबन्दी -
इस समय अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने कलकत्ते
तथा कासिम बाजार की किलेबन्दी प्रारम्भ कर दी। सिराजुद्दौला ने इसका विरोध किया।
फ्रांसीसी तो नवाब के आदेश को मान गए, परन्तु अंग्रेजों ने उसकी परवाह न करते हुए किलेबन्दी जारी रखी, जिससे नवाब नाराज हो गया।
(4) कासिम बाजार व कलकत्ता पर अधिकार -
अंग्रेजों द्वारा किलेबन्दी से क्रुद्ध होकर
नवाब ने कासिम बाजार व कलकत्ते में अपनी सेना भेजकर विजय प्राप्त की। अनेक
अंग्रेजों को बन्दी भी बना लिया गया।
(5) काल कोठरी की घटना -
नवाब ने अनेक अंग्रेजों को एक तंग कोठरी में
बन्द करा दिया, फलतः अनेक
अंग्रेजों की मृत्यु हो गई। यह घटना इतिहास में 'काल कोठरी' (Black Hole)
के नाम से प्रसिद्ध है।
प्लासी का युद्ध
क्लाइव ने शीघ्र ही नवाब के विरुद्ध षड्यन्त्र की योजना तैयार कर ली, किन्तु मूर्ख नवाब अंग्रेजों की कूटनीतिक चालों
को समझने में पूर्णतया असमर्थ रहा। यदि उसकी आँखें समय पर खुल जाती और वह मीर.
जाफर, अमीचन्द आदि को बन्दी बना
लेता, तो शायद अंग्रेज कभी भी
अपने षड्यन्त्र में सफल न होते। 12 जून,1757 को मीर जाफर ने क्लाइव
को पत्र भेजकर सूचित किया कि अब वह नवाब के विरुद्ध सीधी कार्यवाही आरम्भ कर सकता
है। शीघ्र ही क्लाइव ने सिराजुद्दौला को एक पत्र लिखा और उस पर अनेक आरोप लगाकर
युद्ध की धमकी दी। पत्र को पाकर नवाब की आँखें खुल गईं, किन्तु अब परिस्थिति उसके हाथ से निकल चुकी थी। फिर भी उसने
अंग्रेजों से युद्ध करने का निश्चय किया। शीघ्र ही वह मीर जाफर के साथ सेना लेकर
प्लासी के मैदान में पहुँच गया। उसकी सेना में 50 हजार सैनिक थे। इधर क्लाइव भी सेना लेकर प्लासी के मैदान
में आ गया। पहले तो क्लाइव नवाब की विशाल सेना देखकर भयभीत हो गया, किन्तु सेना में अपने सहयोगी मीर जाफर को देखकर
उसे सन्तोष प्राप्त हुआ। मीर जाफर द्वारा संकेत मिलते ही क्लाइव ने नवाब की सेना
पर आक्रमण कर दिया। 23 जून,1757 को प्लासी का युद्ध
आरम्भ हुआ। नवाब की सेना ने बड़ी वीरता और साहस के साथ युद्ध किया, किन्तु अन्त में वह पराजित हुई। मीर जाफर
चुपचाप नवाब की पराजय को देखता रहा। उसने युद्ध में भाग नहीं लिया। अब नवाब को
उसकी गद्दारी का पता चला। उसने अपने प्राणों की रक्षा के लिए युद्धभूमि से भागने
का प्रयत्न किया, किन्तु बन्दी
बनाकर मीर जाफर के पुत्र मीरन द्वारा मार डाला गया। इस प्रकार विश्वासघात और
धूर्तता के साथ लड़ा गया प्लासी का ऐतिहासिक युद्ध समाप्त हो गया।
प्लासी के युद्ध के परिणाम
प्लासी के युद्ध के निम्नलिखित परिणाम निकले
(1) युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए और परोक्ष रूप से भारत में अंग्रेजी सत्ता का उदय हुआ
(2) मीर जाफर को बंगाल का नया नवाब बनाया गया।
(3)
भारत में
फ्रांसीसियों की शक्ति पूर्णतया समाप्त हो गई।
(4)
क्लाइव को
मीर जाफर से 30 हजार पौण्ड वार्षिक आय की जागीर प्राप्त
हुई।
(5)
अंग्रेजों
के लिए भारत में राज्य स्थापित करने का मार्ग खुल गया।
(6) कम्पनी को चौबीस परगने के भूभाग
भी मिल गए।
प्लासी के युद्ध का महत्त्व
भारतीय इतिहास में प्लासी के युद्ध का ऐतिहासिक महत्त्व है। इस युद्ध के कारण
अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में सफल हो सके। प्लासी की सफलता और
बंगाल की विजय ने अंग्रेजों द्वारा कालान्तर में उत्तर भारत की विजय के प्रयासों
को सफल बनाया। प्लासी ने अंग्रेजों की शक्ति और साधनों में व्यापक वृद्धि कर दी।
इसके फलस्वरूप कम्पनी को अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय को बक्सर के
युद्ध में हराने में कोई कठिनाई नहीं हुई। यदि प्लासी का निर्णय अंग्रेजों के
विरुद्ध होता, तो उत्तर भारत
में उनकी सत्ता की स्थापना संदिग्ध हो जाती।
Sir want ur no
ReplyDeletemjprustudypoint@gmail.com
Deleteपर आप अपनी समस्या या समाधन भेज सकते है ,
Yes
DeleteWow
DeleteSir please buxar ke yudh ke Karan avm parinaam pr notes bnaiye.. please I request you
ReplyDeleteOsm knowledge
ReplyDeleteGood👍
ReplyDeleteGood but a little need to improvement in this article
ReplyDeleteAgree
DeleteThat's right
DeleteAmazing article
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteSuper information bhai 👌
ReplyDeleteThank you sir
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ReplyDeleteI need deeply contant
DeleteAwesome sir
ReplyDeleteGood information
ReplyDeleteOsam simple language mein samjhaya love you
ReplyDeleteSupar bhai simpal bhasa me samajh aa gaya
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ReplyDeleteइसमे बहुत सारे अच्छी इन्फॉर्मेशन दे गई जो युजफुल रहेगी ब्लॉग बहुत पसंद आ गया.Thank you so much
ReplyDeleteThis knowledge most important for me ☺️
ReplyDeleteये जानकारी मेरे लिए महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteThanks 🙏
ReplyDeletesir ye bahut short h .......
ReplyDeletegood knowledge article about Gardar Meer zafar
ReplyDeleteThanku
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ReplyDeletemaja aa gya
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