शाहजहाँ का चरित्र-चित्रण

 B.A-II, History I 

प्रश्न 9. शाहजहाँ के चरित्र एवं व्यक्तित्व का मूल्यांकन कीजिए। 

अथवा "शाहजहाँ का शासनकाल 'स्वर्ण युग' के नाम से जाना जाता है।" क्या आप इससे सहमत हैं ?

अथवा "शाहजहाँ का शासनकाल मुगल काल का स्वर्ण युग था।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।

अथवा '' शाहजहाँ के शासनकाल में कला तथा साहित्य के विकास का विवरण दीजिए।


उत्तर - मुगल सम्राटों में शाहजहाँ का विशिष्ट स्थान है। उसका युग मुगलकालीन ऐश्वर्य का युग था। शाहजहाँ का जन्म 5 फरवरी, 1592 को लाहौर में हुआ था। उसके बचपन का नाम खुर्रम था। 1612 ई. में खुर्रम का विवाह नूरजहाँ की भतीजी अर्जुमन्द बानो बेगम से हुआ, जो 'मुमताज महल' के नाम से प्रसिद्ध हुई।

शहजादे के रूप में शाहजहाँ ने अनेक युद्धों में भाग लिया। मेवाड़ पर उसी ने विजय प्राप्त की। उसकी दक्षिण भारत विजय के कारण उसे 'शाह' की उपाधि दी गई थी। खुर्रम ने बहुत. चालाकी से अहमदनगर को सन्धि करने को बाध्य कर दिया, इसी से प्रसन्न होकर जहाँगीर ने उसे 'शाहजहाँ' की उपाधि दी थी। जहाँगीर के बाद 14 फरवरी, 1628 को वह राजगद्दी पर बैठा।
Shah Jahan history in hindi

शाहजहाँ के शासनकाल की उपलब्धियाँ 

शाहजहाँ ने भारत में 1628 से 1658 ई. तक शासन किया था। इस अवधि में देश का चतुर्मुखी विकास हुआ था। प्रसिद्ध इतिहासकार एलफिंस्टन ने लिखा है-
"भारत के इतिहास में शाहजहाँ का शासनकाल सम्भवतः सबसे अधिक सम्पन्न काल था।" 
शाहजहाँ के शासनकाल की मुख्य उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं

(1) उत्कृष्ट शासन प्रबन्ध-

शाहजहाँ उच्च कोटि का शासन प्रबन्धक था। उसने जनता पर सम्राट के रूप में नहीं, बल्कि पिता के रूप में शासन किया। उसने अपनी प्रजा को पुत्रवत् स्नेह प्रदान किया। शाहजहाँ के समकालीन इतिहासकार खफी खाँ ने लिखा है- .
"निःसन्देह व्यवस्थापक एवं विजेता की दृष्टि से बाबर श्रेष्ठतम था, परन्तु अपनी भूमि व्यवस्था, अर्थव्यवस्था एवं शासन प्रबन्ध की दृष्टि से ऐसे किसी बादशाह ने भारत पर शासन नहीं किया जिसकी तुलना शाहजहाँ से की जा सके।"

(2) आर्थिक सम्पन्नता - 

आर्थिक दृष्टि से शाहजहाँ का काल साधन सम्पन्न था। कृषि कार्य के द्वारा सरकारी आय में वृद्धि करने वालों को पुरस्कार दिया जाता. था। शाहजहाँ का व्यक्तिगत जीवन ऐश्वर्यपूर्ण था। उसने बाहरी शान-शौकत को बढ़ाने के लिए 'तख्त-ए-ताऊस' का निर्माण करवाया था। भवन-निर्माण कार्य में सरकारी खजाने का बहुत बड़ा भाग व्यय किया गया। फिर भी आर्थिक दृष्टि से शाहजहाँ का काल समृद्धशाली था।

(3) साहित्यिक उन्नति - 

शाहजहाँ के काल में साहित्य का अभूतपूर्व विकास हुआ। हिन्दी, फारसी तथा संस्कृत भाषाओं को सजकीय संरक्षण प्रदान किया गया.। वह विद्वानों और कवियों का आदर करता था। गंगाधर, जगन्नाथ, सुन्दरदास और चिन्तामणि हिन्दी के विद्वान्, तथा अब्दुल हमीद लाहौरी व इनायत खाँ फारसी के प्रमुख विद्वान् थे, जिन्हें शाहजहाँ का संरक्षण प्राप्त था। उसका पुत्र दाराशिकोह अरबी, फारसी और संस्कृत का विद्वान् था। डॉ. सक्सेना ने लिखा
 "शाहजहाँ का काल प्रायः उस युग से सम्बन्धित है जिसे हिन्दी भाषा व साहित्य का शानदार युग कहा जाता है।"

(4) ललित कलाएँ - 

शाहजहाँ के काल में ललित कला के क्षेत्र की पर्याप्त उन्नति हुई। वह संगीत का विशेष प्रेमी था। इस सम्बन्ध में सर जदुनाथ सरकार ने लिखा है
"अनेक शुद्ध आत्मा, सूफी फकीर तथा संन्यासी भी शाहजहाँ के गायन को सुनकर मोहित हो जाते थे।"
शाहजहाँ ने अपने दरबार में रामदास और जनार्दन भट्ट जैसे संगीतज्ञों को आश्रयं प्रदान किया।

(5) स्थापत्य कला -

स्थापत्य कला की दृष्टि से शाहजहाँ का काल स्वर्ण युग माना जाता है। यद्यपि मुगल स्थापत्य कला का प्रारम्भ अकबर ने किया था, तथापि अपनी उदार नीति के कारण शाहजहाँ ने इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण विकास किया। उसके द्वारा बनवाई गई इमारतें कलात्मकता एवं अलंकरण की दृष्टि से अतुलनीय हैं। इन इमारतों में ताजमहल सर्वश्रेष्ठ है। शाहजहाँ ने इसका निर्माण अपनी बेगम मुमताज महल की स्मृति में करवाया था। ताजमहल की गणना संसार की सर्वोत्कृष्ट इमारतों में की जाती है। इसके अतिरिक्त मयूर सिंहासन भी उसकी अमूल्य कृति है, जिसके निर्माण में अपार धन व्यय हुआ था। शाहजहाँ ने दिल्ली में भव्य लालकिले का निर्माण करवाया। लालकिले के अन्दर मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम, शीशमहल, मुसम्मन बुर्ज आदि इमारतें अत्यन्त गौरवमयी हैं।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि साहित्य, कला, शासन प्रबन्ध, भवन-निर्माण आदि की दृष्टि से शाहजहाँ का शासनकाल आकर्षक तथा वैभवपूर्ण है। इसलिए इस कालं को 'मुगल साम्राज्य का स्वर्ण युग' कहा जाता है।

शाहजहाँ के चरित्र एवं व्यक्तित्व का मूल्यांकन

शाहजहाँ के चरित्र एवं व्यक्तित्व का मूल्यांकन निम्न प्रकार किया जा सकता है

(1) परिवार प्रेमी - शाहजहाँ अपने परिवार के सदस्यों से विशेष प्रेम करता. था। वह अपनी बेगम मुमताज महल से विशेष प्रेम करता था और उसकी स्मृति में उसने विश्व प्रसिद्ध इमारत ताजमहल का निर्माण करवाया। वह अपनी पुत्री जहाँआरा को भी बहुत प्यार करता था। अपने पुत्रों में विशेषकर दाराशिकोह को अत्यन्त स्नेह की दृष्टि से देखता था। 

(2) महत्त्वांकाक्षी शासक -

शाहजहाँ अत्यन्त महत्त्वाकांक्षी शासक था। वह आरम्भ से ही शासक बनने के स्वप्न देखा करता था। उसने सिंहासन पर अधिकार करने के लिए अपने भाई खुसरो का वध करवा डाला। उसने बंदख्शाँ तथा कन्धार " पर आक्रमण करके अपनी महत्त्वाकांक्षा का परिचय दिया था।

(3) योग्य सैनिक तथा कुशल सेनानायक - 

शाहजहाँ एक योग्य सैनिक तथा कुशल सेनापति था। उसमें सैनिक गुणों का बाहुल्य था, किन्तु उसमें अकबर तथा बाबर के समान नैतिक गुण नहीं थे। फिर भी उसमें वीरता, साहस तथा धैर्य की मात्रा अत्यधिक थीं। वह युद्ध की भीषण परिस्थितियों से विचलित नहीं होता था।

(4) न्यायप्रिय - 

शाहजहाँ अत्यन्त न्यायप्रिय शासक था। वह पंजा को अपनी सन्तान के समान मानता था और उसके साथ सद्व्यवहार करता था। वह निष्पक्ष रूप से न्याय करके वास्तविक अपराधी को कठोर दण्ड देता था।

 (5) कला प्रेमी - 

शाहजहाँ कला का विशेष प्रेमी था। उसके काल में संगीत कला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला की अभूतपूर्व उन्नति हुई थी। उसके द्वारा बनवाया गया ताजमहल विश्व के सात आश्चर्यों में से एक है। 

(6) साहित्य प्रेमी-

शाहजहाँ को साहित्य से भी विशेष प्रेम था। उसके दरबार में अनेक उच्च कोटि के विद्वान् थे। उसने फारसी, हिन्दी तथा संस्कृत साहित्य को विशेष प्रोत्साहन दिया था। उसके काल में अनेक उच्च कोटि के ग्रन्थों की रचना भी हुई।

(7) धार्मिक उदारता -

शाहजहाँ उदार धार्मिक प्रवृत्ति वाला शासक था। वह कट्टर सुन्नी मुसलमान होते हुए भी अपने पूर्वजों के समान सभी धर्मों के साथ उदारता का व्यवहार करता था। उसने कभी भी धर्म को राजनीति में स्थान नहीं दिया।

(8) चारित्रिक दोष -

कुछ इतिहासकारों ने शाहजहाँ के चरित्र की कटु आलोचना की है। कतिपय इतिहासकार उसे चरित्रहीन की संज्ञा देते हैं, किन्तु प्रमाणों के अभाव में इन दोषों को मानना न्यायसंगत नहीं है। इसके अतिरिक्त अपनी बेगम मुमताज महल के प्रति उसका प्रेम इस बात को सिद्ध करता है कि वह व्यभिचारी नहीं था।

Comments

  1. Waise to language easy h but Aur thoda Agr explaination hota to Aur Acha rahega

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