1871 इटली का एकीकरण - समस्याएँ और समाधान

MJPRU-BA-III-History II / 2020 
प्रश्न 3. एकीकरण के उपरान्त इटली के समक्ष कौन-कौन-सी समस्याएँ थीं ? उसने उनका किस प्रकार समाधान किया ?
अथवा, 1871 ई. के पश्चात् इटली को किन आन्तरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा?
उत्तर - 1870 ई. में एकीकरण के पश्चात् इटली का संविधान बनाया गया, किन्तु उसकी कठिनाइयों का अन्त नहीं हुआ। इटली की प्रमुख समस्याओं या कठिनाइयों और उनके समाधान या निवारण का विवेचन निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है

(1) एकता सम्बन्धी प्रारम्भिक कठिनाइयाँ और उनका निवारण -

एकीकरण के पश्चात् इटली के सामने सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या एकीकरण के सुदृढ़ीकरण की थी। इटली के लोग सदियों से विभाजित रहे थे और एक-दूसरे से लड़ते रहते थे। उनमें राष्ट्रीय एकता का अभाव था। लोगों में प्रादेशिकता और संकीर्णता की भावनाएँ थीं।
1871 इटली का एकीकरण - समस्याएँ और समाधान
उत्तरी और दक्षिणी इटली में बहुत अन्तर था । उत्तरी इटली में पीडमॉण्ट राज्य में प्रजातान्त्रिक संस्थाओं का विकास हो चुका था, जबकि दक्षिणी इटली में नेपिल्स और सिसली राज्यों को स्वायत्त शासन का किसी प्रकार का अनुभव नहीं था। नवनिर्मित इटली की सरकार के समक्ष यह विकट समस्या थी कि इटली के विभिन्न भागों में राजनीतिक जागरूकता और आर्थिक सुदृढ़ता कैसे लाई जाए।
इटली की सरकार ने इन सभी समस्याओं का निराकरण करने के लिए निम्न प्रयत्न किए

(i) सम्पूर्ण इटली को एक ही प्रकार का संवैधानिक शासन प्रदान किया गया।

(ii) नागरिकों के मौलिक अधिकारों की घोषणा की गई तथा सभी को कानून के समक्ष समता प्रदान की गई।

(iii) संसद की अनुमति के बिना कोई भी कर लगाना निषिद्ध ठहरा दिया गया।

(iv) रेलवे का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

(v) स्थल सेना और जल सेना को पुनर्गठित किया गया। सैनिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गई।

(vi) राष्ट्रीय और सामाजिक कुरीतियों को दबाने का प्रयत्न किया गया।

(2) पोप और राज्य में वैमनस्य एवं उसकी समाप्ति -

इटली के एकीकरण के पश्चात् राज्य और पोप के सम्बन्ध क्लिष्ट हो गए। एक ही नगर में दो प्रधान हो गए, जिनमें एक की शक्ति लौकिक थी और दूसरे की पारलौकिक । पोप और राज्य में किसी प्रकार का समझौता न हो सका। अतः इटली की सरकार ने कुछ कानून बनाए। इसके अनुसार पोप को भी इटली के सम्राट के बराबर अधिकार दिए गए। पोप को स्वतन्त्र राजा के रूप में स्वीकार किया गया। वह विदेश में अपने राजदूत भेज सकता था अथवा विदेशों से राजदूत स्वीकार कर सकता था। उसे महल में रहने की अनुमति दी गई, जिस पर वह अपना झण्डा फहरा सकता था। चूँकि पोप के राज्य का अधिकांश भाग इटली में मिला लिया गया था,अतः उसे प्रतिवर्ष 19 लाख 35 हजार रुपये पेंशन देना मंजूर किया गया। इसके अतिरिक्त उसे निःशुल्क रेलवे एवं डाकघर के उपभोग का भी अधिकार दिया गया। किन्तु पोप पायस ने इन कानूनों की निन्दा की। उसने न तो पेंशन लेना स्वीकार किया और न ही वेटिकन सिटी में बन्द रहना स्वीकार किया। उसने समस्त कैथोलिक प्रजा से अपील की कि वह चुनाव में भाग न ले और इटली के सम्राट् के अधीन कोई नौकरी स्वीकार न करे । इस प्रकार पोप और राज्य के मध्य संघर्ष प्रारम्भ हो गया।
20वीं शताब्दी के आरम्भ में दोनों की कटुता में कमी आने लगी। इटली में समाजवाद का प्रभाव बढ़ने लगा,जिसके भय से पोप और सम्राट् एक-दूसरे के निकट आने लगे। दोनों ही समाजवाद को अपना शत्रु समझते थे। सन् 1905 में पोप पायस दशम ने कैथोलिकों पर राजनीति में भाग लेने के प्रतिबन्ध को हटा लिया । धीरे-धीरे राज्य और पोप, दोनों में सहयोग बढ़ गया। सन् 1919 में मुसोलिनी के साथ पोप का फिर समझौता हुआ तथा पोप और इटली सरकार का संघर्ष सदैव के लिए समाप्त हो गया।

(3) आर्थिक कठिनाइयाँ एवं उनका निराकरण -

नवनिर्मित इटली को अनेक आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इटली पर पहले से ही अत्यधिक राष्ट्रीय ऋण था और अब प्रशासन तथा विकास पर व्यय के लिए बहुत अधिक धन की  आवश्यकता थी। सरकार ने कई नये-नये कर लगाए । नये करों में सबसे अधिक अप्रिय अनाज पिसाने का कर (Grist Tax) था, जिसे 'भूख पर कर' कहा जाता था। यूरोप के किसी भी देश में इतना भारी कर भार नहीं था। जनता के लिए करों के इस बोझ को सहना असह्य हो गया । अत: लोगों ने क्रान्तिकारी उपायों का आश्रय लिया। गुप्त समितियों का गठन होने लगा। करों की वृद्धि से तंग आकर हजारों इटलीवासी अमेरिका और अफ्रीका चले गए। पा- इस विकट समस्या का समाधान करने के लिए इटली की सरकार ने औद्योगिक प्रगति पर विशेष ध्यान दिया। देश में औद्योगीकरण की नीति अपनाई गई। पानी से बिजली उत्पन्न करने के कारखाने चालू किए गए। बड़े पैमाने पर जहाजों का निर्माण किया गया । राष्ट्रीय उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए संरक्षण नीति अपनाई गई। विदेशों में गए हुए इटलीवासियों ने अपने देश की वस्तुएँ बेचना प्रारम्भ किया। इससे इटली का व्यापार बहुत बढ़ा। सन् 1913 तक इटली का व्यापार उन्नति की चरम सीमा तक पहुँच गया । कृषि प्रधान इटली एक औद्योगिक राष्ट्र बन गया।

(4) समाजवाद का प्रभाव और विद्रोह तथा उस पर काबू पाने के प्रयत्न -

इटली के लोग जब आर्थिक समस्याओं से तंग आ गए, तो लोगों का राजतन्त्र से विश्वास उठने लगा तथा समाजवाद और प्रजातन्त्र में उनका विश्वास दृढ़ होने लगा। 1889 ई. में ट्यूरिन, मिलान और रोम में विद्रोह हुआ। 1893 ई. में सिसली के मजदूरों ने विद्रोह कर दिया तथा 1893 ई. में ही इटली के कई भागों में खूनी विद्रोह हुए। दक्षिण और मध्य इटली में तो रोटी की समस्या के कारण विद्रोह हुए, परन्तु उत्तरी इटली में क्रान्तिकारी भावनाओं ने विद्रोह को जन्म दिया।
समाजवाद का प्रभाव कम करने के लिए दमनकारी उपायों के साथ ही सरकार ने मजदूरों की दशा सुधारने के कार्य भी किए । बीमारी तथा दुर्घटना की स्थिति में मजदूरों के लिए अनिवार्य बीमे की व्यवस्था की गई। कारखाना अधिनियम बनाया गया। कारखानों में काम करने की दशा सुधारी गई । सेन् 1908 में सप्ताह में एक दिन की छुट्टी की व्यवस्था की गई। ट्रेड यूनियनों को मान्यता दी गई। इन सब बातों से श्रमिकों की दशा में सुधार हुआ और 20वीं शताब्दी के आरम्भ में इटली की कठिनाइयाँ कम हो गईं। फिर भी समाजवादी दल अन्य देशों की तरह इटली में भी उन्नति करता रहा।

(5) शिक्षा का प्रसार

इटली की सरकार ने अशिक्षा की समस्या को दूर करने का प्रयास किया। शिक्षा का दायित्व स्थानीय अधिकारियों के हाथ में था और केन्द्र सरकार ने इस कार्य के लिए अधिक धन स्थानीय अधिकारियों को नहीं दिया था, इसलिए शिक्षा के प्रसार का कार्य ठीक ढंग से नहीं चल सका। किन्तु सरकार ने अपना प्रयत्न जारी रखा। 9 वर्ष के बालकों के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी गई। सन् में प्रत्येक कम्यून में एक विद्यालय खोलने की योजना बनाई गई । वयस्कों की शिक्षा के लिए रात्रि पाठशालाओं का प्रबन्ध किया गया। इससे अशिक्षितों की संख्या में काफी कमी आई।

(6) मताधिकार का विस्तार

 इटली में मताधिकार के विस्तार की माँग जोर पकड़ती जा रही थी। अत: सरकार ने 1882 ई.में एक अधिनियम बनाकर सम्पत्ति की योग्यता में कमी कर दी, जिससे मताधिकार का कुछ विस्तार हुआ। सन् 1912 में साक्षरता की योग्यता भी समाप्त कर दी गई। इससे जनता को वयस्क पुरुष मताधिकार प्राप्त हुआ।

(7) सेना का पुनर्गठन -

 नवनिर्मित इटली की सुरक्षा के लिए सरकार ने सेना का पुनर्गठन किया । जंगी जहाज तैयार किए गए तथा सैनिकों के लिए नये अस्त्र-शस्त्रों की व्यवस्था की गई। में इस प्रकार इटली के एकीकरण के पश्चात् उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । किन्तु इटली की सरकार ने उनका सूझ-बूझ से समाधान निकाला और एक सुदृढ़ एकीकृत इटली की स्थापना का प्रयत्न किया ।


Comments

  1. Ye notes MA HISTORY ME BHI KAM AA JYNGE

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