औरंगजेब की धार्मिक नीति और उसके परिणाम
MJPRU-B.A-II-History I
प्रश्न
10. औरंगजेब(Aurangzeb)की धार्मिक नीति (हिन्दू विरोधी नीति) इस्लाम के सिद्धान्तों पर कहाँ तक आधारित थी?
अथवा ''औरंगजेब(Aurangzeb)की धार्मिक नीति का
विवरण दीजिए। इसके मुगल साम्राज्य पर क्या प्रभाव पड़े?
अथवा ''औरंगजेब(Aurangzeb)की धार्मिक नीति और
उसके परिणामों का वर्णन कीजिए।
औरंगजेब - हिन्दू विरोधी नीति
उत्तर - औरंगजेब धार्मिक
कट्टरता के कारण ही गद्दी पर बैठा था और वह भारत में इस्लाम धर्म का कट्टरता के
साथ प्रचार-प्रसार करना चाहता था। इसीलिए वह अन्य सभी धर्मों, विशेषतः भारत के बहुसंख्यक
धर्म, हिन्दू धर्म से घृणा करता था। जहाँ भारत के इतिहास में
अकबर अपनी उदार एवं सहिष्णु धार्मिक नीति के कारण विख्यात है, वहीं औरंगजेब अपनी कठोर, असहिष्णु एवं संकुचित
धार्मिक नीति के कारण कुख्यात है।
पणिक्कर के अनुसार, "औरंगजेब प्रारम्भ से ही इस्लाम को भारत में फैलाना
चाहता था। उसकी दृष्टि में अकबर की राष्ट्रीय राज्य की नीति इस्लाम धर्म और नियमों
के विरुद्ध थी।"
औरंगजेब काफिरों (हिन्दुओं)
के देश को मुस्लिम देश बनाना चाहता था। उसका राज्य एक धार्मिक राज्य था। उसने अपनी
धार्मिक कट्टरता के लिए भीषण रक्तपात भी किया। उसने हिन्दुओं पर धार्मिक दृष्टि से
अनेक अत्याचार किए और
उन पर अनुचित कर भी लगाए।
वह हिन्दुओं का कट्टर विरोधी था, इसलिए उसकी धार्मिक नीति को 'हिन्दू विरोधी नीति'
भी कहा जाता है। इस्लाम धर्म के विस्तार के लिए उसने अनेक कार्य किए
और हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए कोई उपाय नहीं छोड़ा, जिनका
उल्लेख निम्न प्रकार है
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(1) इस्लाम के सिद्धान्तों के अनुसार सुधार -
औरंगजेब
ने कुरान के निर्देशों के कठोरतापूर्वक पालन के लिए तथा राज्य को इस्लामी ढाँचे
में बदलने के लिए निम्नलिखित कार्य किए-
(i) सिक्कों पर कलमा खुदवाना बन्द कर दिया, क्योंकि वह हिन्दुओं के स्पर्श से अपवित्र हो जाता था।
(ii) अकबर द्वारा मनाया जाने वाला 'नौरोज' उत्सव भी प्रतिबन्धित कर दिया।
(iii) दरबार में गाना-बजाना, नृत्य आदि बन्द कर दिए गए तथा संगीत के प्रसार पर भी निषेध लगा दिया। दरबार से सभी संगीतज्ञ निकाल दिए गए।
(iv) तुलादान की प्रथा बन्द कर दी गई।
(v) बादशाह की आज्ञाओं का पालन ठीक प्रकार से हो रहा है अथवा नहीं, यह देखने के लिए मुहतसिब रखे गए। ये कुरान में वर्जित ठहराए गए कार्यों को होने से रोकते थे।
(vi) मादक वस्तुओं, विशेषकर भाँग आदि के उत्पादन एवं सेवन पर रोक लगा दी गई।
(vii) झरोखा दर्शन की प्रथा बन्द कर दी गई।
(viii) पुरानी मस्जिदों की मरम्मत करवाई गई।
(ix) स्त्रियों को मजारों और पीरों की पूजा करने से रोका गया।
(x) अभी तक जो अनेक कर लगाए जाते थे, उन्हें बन्द कर दिया गया और कुरान सम्मत केवल चार कर ही रहने दिए गए।
(xi) वेश्यागमन को अवैध कर दिया गया।
(2) हिन्दू विरोधी कार्य -
इस देश की बहुसंख्यक जनता हिन्दू थी। औरंगजेब
इनका दमन करना अपना कर्त्तव्य समझता था। उसने हिन्दुओं के विरुद्ध निम्नलिखित
कार्य किए-
(i) जजिया (धार्मिक कर) लगाना -
मुसलमान शासक अपनी हिन्दू प्रजा पर जजिया
(धार्मिक कर) लगाते थे। अकबर ने इस घृणित कर को बन्द कर दिया था, क्योंकि इससे हिन्दू और
मुसलमानों के मध्य भेदभाव उत्पन्न होता था। औरंगजेब ने इस कर को फिर लगा दिया। जब
हिन्दुओं ने इसका विरोध किया, तो उन्हें हाथी के पैरों तले
कुचलवा दिया। इसकी वसूली सख्ती के साथ की जाती थी। बहुत-से ऐसे हिन्दू जो इस कर को
चुकाने में असमर्थ थे, मजबूरी के कारण मुसलमान बन गए।
(ii) मन्दिरों को तुड़वाना -
हिन्दुओं के मन्दिरों को तुड़वाना औरंगजेब की
धार्मिक नीति का अंग था। उसकी आज्ञा से सैकड़ों मन्दिर तोड़ दिए गए। सोमनाथ, विश्वनाथ एवं केशवदेव जैसे
प्रमुख मन्दिरों को भारी क्षति पहुँचाई गई। नये मन्दिर बनाने एवं पुराने मन्दिरों
की मरम्मत कराने की मनाही कर दी गई।
(ii) बलात् धर्म परिवर्तन -
औरंगजेब ने हिन्दुओं को मुसलमान बनाने का
हरसम्भव प्रयत्न किया। जबरदस्ती मुसलमान बनाना एक आम बात थी। जो लोग इसका विरोध
करते थे, उनका वध कर
दिया जाता था। मुसलमान बनने के लिए लोगों को भाँति-भाँति के प्रलोभन दिए जाते थे।
।
(iv) सरकारी नियुक्तियों में भेदभाव -
औरंगजेब
के राज्य में हिन्दुओं के लिए सरकारी पदों के दरवाजे बन्द थे। उसने हिन्दू
कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया और उनकी जगह मुसलमान नियुक्त किए। उन्हीं
हिन्दुओं को पद पर रहने दिया, जिनके लिए मुसलमान उपलब्ध न थे।
(v) आर्थिक भेदभाव-
औरंगजेब ने हिन्दू व्यापारियों
को दबाने की कोशिश की। हिन्दू व्यापारियों को 5% की दर से
चुंगी देनी पड़ती थी, जबकि मुसलमान व्यापारी इससे मुक्त कर
दिए गए थे।
(vi) हिन्दू पाठशालाओं का विनाश -
इस्लाम के रक्षक औरंगजेब ने
हिन्दू संस्कृति पर भी गहरी चोट की। उसने हिन्दुओं की पाठशालाएँ नष्ट करवा दी और
उनकी शैक्षिक प्रगति पर रोक लगा दी।
(vii) मूर्तियों को खण्डित करना -
औरंगजेब के समय में हिन्दू
देवीदेवताओं की मूर्तियों को तोड़ा और अपमानित किया गया। उसके राज्य में हिन्दुओं
के देवी-देवता भी सुरक्षित न थे।
(vii) अन्य प्रतिबन्ध -
औरंगजेब ने हिन्दुओं को सामाजिक समानता के
अधिकार से भी वंचित रखा। राजपूतों के अतिरिक्त कोई भी हिन्दू हाथी, घोड़ा या पालकी की सवारी नहीं
कर सकता था। हिन्दू त्योहारों के मनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। तीर्थस्थानों
पर लगने वाले धार्मिक मेले बन्द कर दिए गए।
(3) शिया और सूफियों के साथ दुर्व्यवहार -
औरंगजेब
शिया मुसलमानों का भी विरोधी था। वह सूफियों से. घृणा करता था। सूफी सन्त सरमद का
वध उसी की आज्ञा से हुआ था।
(3)औरंगजेब की धार्मिक नीति के परिणाम
औरंगजेब ने उपर्युक्त सभी
कार्य इस्लाम धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किए थे। वह जीवनभर भारत को दारुल
इस्लाम बनाने में लगा रहा, परन्तु वह सफल न हो सका। उसकी यह नीति मुगल साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध
हुई। इसके निम्नलिखित दुष्परिणाम हुए।
(1) हिन्दुओं के विद्रोह -
इस नीति के कारण औरंगजेब के शासनकाल में
सिक्खों, जाटों,
सतनामियों और राजपूतों के भयंकर विद्रोह हुए। औरंगजेब की धार्मिक
कट्टरता ने सिक्खों को संगठित किया। बाद में वे औरंगजेब के लिए एक चुनौती बन गए।
जाटों, सतनामियों एवं राजपूतों ने भी औरंगजेब को कभी चैन से
नहीं बैठने दिया। वीर दुर्गादास, छत्रसाल एवं गुरु गोविन्द
सिंह ने मुगल साम्राज्य की नींव को हिला दिया।
(2) राजपूतों का सहयोग प्राप्त न होना -
अकबर
ने राजपूतों के सहयोग से मुगल साम्राज्य को सुदृढ़ किया था। औरंगजेब ने अपनी
धार्मिक उमंग में इस पराक्रमी एवं वफादार जाति को अपना शत्रु बना लिया। जिन
राजपूतों ने मुगल साम्राज्य की रक्षा अपना खून बहाकर की, वे ही अब इसकी जड़ें खोदने में
लग गए।
(3) आर्थिक नीति -
धर्म से प्रभावित होकर औरंगजेब ने राज्य के
आर्थिक हितों की भी चिन्ता नहीं की। मुसलमानों को कर-मुक्त कर देने से राज्य की आय
कम हो गई। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
(4) द्वेष भाव में वृद्धि -
इस नीति के कारण हिन्दू और मुसलमानों के मध्य
भेदभाव बढ़ गया। अकबर के समय के सद्भाव को औरंगजेब ने द्वेष एवं संघर्ष के वातावरण
में बदल दिया। ।
(5) मुगल साम्राज्य के पतन में सहायक -
औरंगजेब की
धार्मिक पक्षपात की नीति ने साम्राज्य की नींव कमजोर कर दी। हिन्दू जनता साम्राज्य
विरोधी बन गई। वास्तव में कोई भी साम्राज्य बिना जनता के सहयोग के टिक नहीं सकता।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट
है कि औरंगजेब की धार्मिक नीति ने मुगल साम्राज्य की जड़ों को खोखला कर दिया।
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