अमेरिका की दलीय प्रणाली व्यवस्था

प्रश्न 11. अमेरिका की दलीय प्रणाली की विशेषताएँ बताइए।

अथवा अमेरिका की दलीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइए और अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।

उत्तर– वर्तमान समय में अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक-दो प्रधान दल हैं। इन दोनों दलों की शक्तियाँ और प्रभाव लगभग समान हैं। वहाँ जनमत कभी एक दल के पक्ष में, तो कभी दूसरे दल के पक्ष में रहता है। इन दो प्रमुख दलों के अतिरिक्त अमेरिका में अन्य राजनीतिक दल भी हैं, किन्तु वे बहुत छोटे और प्रभावहीन हैं।

- अमेरिका की दलीय व्यवस्था की विशेषताएँ अमेरिका की दलीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं

(1) दलों का संविधानत्तर विकास-

संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में दलों का कोई वर्णन नहीं है। वस्तुतः अमेरिकी संविधान निर्माता राजनीतिक दलों को सन्देह की दृष्टि से देखते थे और वे इनके विरोधी थे। चूँकि जनतन्त्रात्मक व्यवस्था का संचालन राजनीतिक दलों के बिना सम्भव नहीं है, इसलिए समय के साथ अमेरिका में राजनीतिक दलों का विकास होता गया।

अमेरिका की दलीय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ

(2) द्विदलीय प्रणाली

इंग्लैण्ड की भाँति अमेरिका में भी द्विदलीय प्रणाली प्रचलित है। वहाँ पर प्रायः डेमोक्रेटिक तथा रिपब्लिकन दल ही राजनीति में प्रभावशाली रहे हैं। अन्य दल यदि आते भी हैं, तो निर्वाचन में सफलता के निकट नहीं पहुंच पाते । अमेरिकी राजनीति में राष्ट्रीय स्तर के तीसरे दल के निर्माण के सारे प्रयत्न विफल हो चुके हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि छोटे-छोटे दल जिस कार्यक्रम को लेकर उभरते हैं, वे उक्त दोनों दलों द्वारा अपना लिए जाते हैं। इस सम्बन्ध में कोहन ने लिखा है, “अमेरिका में द्विदलीय प्रणाली की आधारशिला उसी समय स्थापित हो गई थी जबकि संविधान का निर्माण किया गया था।"

(3) मौलिक सैद्धान्तिक मतभेदों का अभाव-

अमेरिका के राजनीतिक दलों में मौलिक सैद्धान्तिक मतभेदों का अभाव है। उनका कोई सुपरिभाषित सामाजिक उद्देश्य नहीं है। विदेश नीति के क्षेत्र में दोनों दल परस्पर सहमत हैं। दोनों दलों की नीतियाँ समान हैं। एमसिन के अनुसार, “हमारे यहाँ राजनीतिक दल परिस्थितियों के परिणाम हैं, सिद्धान्त के नहीं।"

(4) वर्गीय मतभेद-

अमेरिका के राजनीतिक दलों में सैद्धान्तिक मतभेद न होकर वर्गीय मतभेद है। वहाँ राजनीतिक दलों में विचारधारा के स्थान पर परम्परा एवं भौगोलिक प्रभाव का आधार अधिक है। कोई अमेरिकी दल को प्रायः इसी कारण नहीं अपनाता है कि वह दल उसकी विचारधारा के अनुकूल है, अपितु इसलिए ग्रहण करता है कि उसके पिता या सम्बन्धियों ने उसे अपना रखा है या वह दल उसके समाज, जाति या धर्म के साथ जुड़ा है।

(5) दलों का शिथिल संगठन

संयुक्त राज्य अमेरिका में दलीय संगठन भारत, फ्रांस और इंग्लैण्ड के समान कठोर नहीं है। अमेरिका के राजनीतिक दलों में सदस्यों की भर्ती की न तो कोई निश्चित प्रक्रिया है और न ही राजनीतिक दल के सदस्य सदैव दलीय अनुशासन में बँधकर कार्य करते हैं । वहाँ दलीय अनुशासन का सर्वथा अभाव रहता है। लास्की के मतानुसार, "केवल निर्वाचन के समय राजनीतिक दल राष्ट्रीय दल हैं, अन्यथा प्रभावशाली स्थानीय संस्थाओं के समान

(6) दबाव गुटों का महत्त्व-

अमेरिका की दलीय व्यवस्था में दबाव गुटों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये राजनीतिक दलों पर दबाव डालकर शासन की नीति को अपनी स्वार्थ-सिद्धि हेतु निर्मित करवाने में सक्रिय रहते हैं।

(7) लूट की प्रथा-

यह अमेरिका की दलीय व्यवस्था की दूषित प्रथा है। इस प्रथा के अन्तर्गत नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पूर्ववर्ती राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त शासकीय अधिकारियों को हटाकर उनके स्थान पर अपने दल के सदस्यों को नियुक्त करता है। इन नियुक्तियों का आधार योग्यता न होकर दलबन्दी होता है। धीरे-धीरे यह प्रथा कम होती जा रही है।

अमेरिका में राजनीतिक दलों के कार्य अथवा भूमिका

अमेरिका में राजनीतिक दलों के कार्य अथवा भूमिका को निम्न प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं

(1) जन-साधारण को शिक्षित करना

राजनीतिक दल जन-साधारण को देश की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराते हैं तथा उनके समाधान के उपाय बताकर उनको शिक्षित करते हैं। राजनीतिक दलों के अभाव में जन-साधारण को सरकार के कार्यों और राजनीतिक परिस्थितियों का ज्ञान नहीं हो पाता । दलों की सहायता से ही उनके राजनीतिक ज्ञान में वृद्धि होती है।

(2) जन-साधारण को संगठित करना

राजनीतिक दल जन-साधारण को संगठित करते हैं। इनके अभाव में जनता का संगठित होना सम्भव नहीं है। राजनीतिक दल अपने उद्देश्यों, कार्यक्रमों तथा नीतियों का प्रचार कर जनता को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

(3) कांग्रेस तथा कार्यकारिणी को मिलाना

 अमेरिका में शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्त को अपनाया गया है और साथ ही उसको उचित रूप से कार्यान्वित करने के लिए नियन्त्रण और सन्तुलन के सिद्धान्त को अपनाया है। इसके द्वारा शासन के तीनों अंगों-व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका का एक-दूसरे पर नियन्त्रण रहता है। इनमें आपस में गतिरोध उत्पन्न हो सकता है यदि राष्ट्रपति उस दल का सदस्य न हो जिस दल का कांग्रेस में बहुमत होता है। ऐसी स्थिति में राजनीतिक दल ही दोनों को एक-दूसरे से मिलाने का कार्य करते हैं।

(4) राष्ट्रीय एकीकरण-

अमेरिका में राजनीतिक दलों ने विभिन्न क्षेत्रों में निवास करने वाले विभिन्न जनसमूहों में एकता स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। राजनीतिक दलों के द्वारा सम्पूर्ण राष्ट्र को ध्यान में रखकर कार्यक्रम बनाए जाते हैं। सत्तारूढ़ होने पर इन कार्यक्रमों को लागू करने के लिए शासन के विभिन्न अंगों को एक साथ गतिशील किया जाता है। इस प्रकार राजनीतिक दल सम्पूर्ण देश को एकता के सूत्र में बाँधकर राष्ट्रीय एकीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।

(5) जनता के प्रति पूर्ण रूप से उत्तरदायी-

अमेरिका में दो ही राजनीतिक दल हैं । वहाँ पूर्ण बहुमत प्राप्त दल सत्तारूढ़ होता है और अपनी नीतियों के निर्माण व क्रियान्वयन के लिए स्वतन्त्र होता है। वह अपने द्वारा किए प्रत्येक कार्य अथवा निर्णय के लिए जनता के प्रति पर्ण रूप से उत्तरदायी होता है।

(6) राष्ट्रपति का निर्वाचन-

संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्यक्षीय शासन व्यवस्था को स्वीकार किया गया है तथा संविधान द्वारा संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित की गई है जिसका निर्वाचन दलीय आधार पर होता है । जो दल चुनाव में विजयी होता है, उस दल का राष्ट्रपति बनता है। उसके हाथ में कार्यपालिका की वास्तविक शक्ति आ जाती है।

इस प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका में राजनीतिक दलों की भूमिका महत्त्वपूर्ण राजनीतिक दलों ने अमेरिकी प्रजातन्त्र को सजीवता एवं गतिशीलता प्रदान की है , राजनीतिक दलों के कारण ही संयुक्त राज्य अमेरिका अधिनायकवाद, राजनीतिक अस्थिरता तथा अराजकता की स्थितियों से अपने अस्तित्व की रक्षा कर सका है और निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर रहा है। यद्यपि अमेरिकी प्रजातन्त्र की सफलता राजनीतिक दलों पर ही आधारित है, तथापि अमेरिका के राजनीतिक दल "आलोचना से अछूते नहीं हैं। 

लास्की के अनुसार अमेरिकी राजनीतिक दलों का कोई सैद्धान्तिक आधार नहीं है। विचारधारा सम्बन्धी भेद के अभाव में ये दल सत्ता प्राप्ति मात्र के लिए संघर्ष करने वाले गुट बनकर रह गए हैं। अमेरिकी राजनीतिक दलों के सदस्य अपने दल के प्रति निष्ठावान नहीं होते और उनके द्वारा दलीये अनुशासन की अवहेलना की जाती है। राजनीतिक दलों ने ही अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था में लूट की प्रथा को जन्म दिया। वर्तमान समय में राजनीतिक दलो के द्वारा राष्ट्रपति तथा अन्य चुनावों में बहुत अधिक धनराशि व्यय की जाती है  जिससे राजनीतिक भ्रष्टता को बढ़ावा मिलता है।

अमेरिका के राजनीतिक दलों के प्रति की गई इन आलोचलाओं में पर्याप्त सत्यता के बावजूद यह तथ्य भी सत्य है कि अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था राजनीतिक दलों पर ही आधारित है।

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