भर्ती का अर्थ एवं परिभाषा
BA-III-Political Science I
प्रश्न.9 लोक सेवाओं में भर्ती की विभिन्न पद्धतियों का वर्णन कीजिए।
अथवा ''भर्ती से क्या तात्पर्य है ? भर्ती के विभिन्न प्रकार बताइए।
उत्तर- प्रशासकीय संरचना में भर्ती की प्रक्रिया का सम्पूर्ण प्रशासन तन्त्र की दृष्टि से विशेष महत्त्व है, क्योंकि इसके द्वारा लोक सेवाओं का स्तर तथा योग्यता निश्चित होती है और इसी से शासन की उपयोगिता एवं समाज तथा शासन तन्त्र के सम्बन्ध निर्धारित होते हैं। भर्ती ही शक्तिशाली लोक सेवा की कुंजी है, जैसा कि रूटाल का कथन है-"यह सम्पूर्ण लोक कर्मचारियों के ढाँचे की आधारशिला है।"
भर्ती
का अर्थ एवं परिभाषाएँ-
भर्ती का सामान्य अर्थ प्रशासनिक कार्यों को सम्पन्न करने के लिए आवश्यक मानव संसाधन जुटाना है। लोक प्रशासन में भर्ती का अर्थ परीक्षा साक्षात्कार आदि के आधार पर नियुक्ति से होता है।
एल. डी. हाइट के अनुसार, "स्पर्धात्मक
परीक्षाओं, रिक्त स्थानों और पदों के लिए व्यक्तियों को
आकर्षित करना ही भर्ती है।"
लथर गुलिक के अनुसार, "भर्ती का
तात्पर्य प्रारम्भ में विज्ञापन दिए जाने से लेकर परीक्षण द्वारा किसी व्यक्ति को
प्रशासनिक सेवा में स्थापित करना है।"
डिमॉक ने भर्ती के अर्थ को स्पष्ट
करते हुए लिखा है, "विशिष्ट कार्यों के लिए उचित व्यक्तियों को खोजना और कर्मचारियों के बड़े
समह के लिए किसी उच्च दक्षता प्राप्त व्यक्ति की खोज ही भर्ती है।"
भर्ती के प्रकार अथवा
पद्धतियाँ भर्ती की विभिन्न पद्धतियाँ प्रचलित हैं। ईसा से पूर्व दूसरी शताब्दी
में सर्वप्रथम चीन में प्रतियोगी परीक्षाओं द्वारा भर्ती की पद्धति का आरम्भ किया
गया था। वर्तमान समय में प्रशा ऐसा पहला देश है जहाँ प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम
से भर्ती का आयोजन किया गया था।
वर्तमान में भर्ती की तीन पद्धतियाँ प्रचलित हैं
(1) नकारात्मक तथा सकारात्मक भर्ती-
यदि लोक कर्मचारियों की भर्ती
का उद्देश्य अयोग्य तथा अनुचित व्यक्तियों को सेवाओं से दूर रखना है, तो उसे. नकारात्मक
भर्ती कहा जा सकता है। कर्मचारी चयन तथा बैंकिंग सेवा जैसे विभिन्न आयोगों द्वारा
स्पर्धात्मक परीक्षा आयोजित करके भर्ती करना। इसके विपरीत खुलेआम भर्ती के स्थान
पर योग्यता को मापने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करना सकारात्मक भर्ती
कहलाती है। इसका उद्देश्य अनुचित तथा अयोग्य व्यक्तियों को केवल सेवाओं से बाहर
रखना ही नहीं है, बल्कि उनके स्थान पर कार्यकुशल एवं कर्मठ
व्यक्तियों को आकर्षित करना है। तकनीकी पदाधिकारी वर्ग के लिए यह पद्धति प्रयोग
में लाई जाती है। अभ्यर्थियों के सम्बन्ध में कार्यवाही पूरी करने के लिए
आवेदन-पत्र बाद में मॅगाए जा सकते हैं।
(2) व्यक्तिगत तथा सामूहिक भर्ती-
व्यक्तिगत भर्ती केवल उन पदों
के लिए ही उचित एवं आवश्यक समझी जाती है जिनके लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता होती
है और जिनकी संख्या भी अधिक नहीं होती है। ऐसे पदों के लिए साक्षात्कार ही
पर्याप्त होता है। जिन पदों की संख्या बहुत अधिक होती है और बड़े पैमाने पर
कर्मचारियों की भर्ती करनी होती है,
वहाँ पर सामूहिक भर्ती पद्धति प्रयोग की जाती है। सामूहिक भर्ती
पद्धति का प्रयोग केवल उन्हीं पदों के लिए होता है जिनके लिए विशेष योग्यताओं की
आवश्यकता नहीं होती है।
(3) प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष भर्ती-
इसे अन्दर से तथा बाहर से
भर्ती की संज्ञा भी दी जाती है। प्रत्यक्ष भर्ती बाह्य या बाहर से भर्ती कहलाती
है। इसमें सभी इच्छुक व्यक्तियों के लिए रोजगार के समान अवसरों को ध्यान में रखते
हुए अभ्यर्थियों का चयन करना होता है। यह भर्ती सभी को भर्ती का समान अवसर देती
है। भारत में लोक सेवा आयोग द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा तथा
भारतीय पुलिस सेवा आदि उच्चतर सेवाओं के लिए लोक सेवकों की भर्ती प्रत्यक्ष पद्धति
से की जाती है।
अप्रत्यक्ष भर्ती अथवा अन्दर
से भर्ती का
तात्पर्य संगठन के अन्दर ही अनुभव व वरिष्ठता के आधार पर लोक सेवकों व कर्मचारियों
का चयन करना है। यह पद्धति लोक सेवकों को पदोन्नति के पर्याप्त अवसर प्रदान करती
है, जो
व्यक्ति को अधिक मनोयोग, ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ-साथ
अधिक परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है।
जहाँ तक भर्ती की उचित
या अनुचित पद्धति का प्रश्न है,
सर्वोत्तम प्रशासन हेतु विभिन्न विभागों में उक्त तीनों पद्धतियों का
व्यावहारिक रूप से प्रयोग किया जाता है, जिसके लिए नागरिकता,
मूल निवास, आयु, लिंग
आदि अर्हताएँ होती हैं तथा शिक्षा, अनुभव एवं वैयक्तिक
अर्हताएँ पृथक्-पृथक् होती हैं, जिनका निर्धारण सरकार,
भर्ती करने वाली संस्था, संगठन या व्यक्ति
समूह द्वारा किया जाता है।
Bharti ki visasata
ReplyDeleteBharti k dosh
ReplyDeleteWow
ReplyDelete