अंश की परिभाषा और प्रकार
प्रश्न 8. अंश की परिभाषा दीजिए। एक कम्पनी द्वारा निर्गमित किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के अंशों का वर्णन कीजिए।
अथवा 'अंश' से आप क्या समझते हैं ? अंशों के विभिन्न प्रकारों को
समझाइए।
उत्तर- साधारण शब्दों में अंशों द्वारा सीमित कम्पनी में एक 'अंश' कम्पनी की पूँजी में एक निश्चित
भाग को सम्बोधित करता है । पूँजी बराबर बराबर के अनेक भागों में विभक्त होती है और
प्रत्येक भाग एक अंश होता है ।
कम्पनी अधिनियम की धारा 2 (46) के अनुसार, “अंश का आशय कम्पनी की पूँजी में
एक अंश (भाग) से है।"
अंशों में विभिन्न प्रकार या रूप (Kinds of Shares)-
कम्पनी अधिनियम 1956 के अनुसार,प्रत्येक अंश पूँजी वाली सीमित
कम्पनी जिसका निर्माण इस अधिनियम के क्रियान्वयन के बाद हुआ है,मात्र निम्न दो प्रकार के अंशों
का निर्गमन कर सकती है-
(1) समता अंश,
(2) पूर्वाधिकार अंश।
(1) समता अंश-
कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 85 (2) के अनुसार "समता अंश वह है जो कि पूर्वाधिकार अंश नहीं है।" इसका तात्पर्य है कि एक अंश जिसमें पूर्वाधिकार अंश की विशेषताएँ नहीं होती, समता अंश है। ऐसे अंशों का , स्वामी कम्पनी के शुद्ध लाभ में से पूर्वाधिकार अंशधारियों को एक निश्चित लाभांश देने के पश्चात् शेष बचे हुए लाभ में से लाभांश पाने का अधिकारी होता है। इसी प्रकार कम्पनी के समापन पर पूर्वाधिकार अंश पूँजी की वापसी हो जाने के बाद शेष बची हुई राशि इन समता अंशों को बराबर-बराबर वापस की जाती है।
(2) पूर्वाधिकार अंश-
वे अंश जिन्हें कम्पनी के लाभों में (1) एक निश्चित दर से लाभांश
पाने का अधिकार होता है तथा (2) कम्पनी के समापन पर कम्पनी के
बाह्य ऋणों एवं लेनदारों का भुगतान करने के पश्चात् शेष राशि में पहले अपनी पूँजी
वापस पाने का अधिकार होता है, उन्हें पूर्वाधिकार अंश
कहते हैं। पूर्वाधिकार अंश भी अनेक प्रकार के होते हैं।
पूर्वाधिकार अंशों के प्रकार-
अपने अलग-अलग प्रकारों के अधिकारों के आधार पर पूर्वाधिकार
अंशों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है I
(1) संचयी पूर्वाधिकार अंश-
वे पूर्वाधिकार अंश जिनका लाभांश लाभ की कमी के कारण यदि किसी वर्ष
में न दिया जा सके तो उसका भुगतान आगे के किसी भी वर्ष के लाभों में किया जा सकता
है, पूर्वाधिकार अंश कहलाते हैं। जब अन्तर्नियमों
में पूर्वाधिकार अंशों के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं दी गयी होती है तो
संचयी पूर्वाधिकार अंश ही माने जाते हैं।
(2) असंचयी पूर्वाधिकार अंश-
वे पूर्वाधिकार अंश जिन्हें किसी वर्ष लाभ न होने के कारण यदि
लाभांश न मिल सके तो उन्हें आगे के वर्षों के लाभ में से पिछला बकाया लाभांश
प्राप्त करने का अधिकार नहीं होता, असंचयी पूर्वाधिकार अंश
कहलाते हैं।
(3) शोध्य पूर्वाधिकार अंश-
कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 80 (1) के अनुसार यदि किसी कम्पनी के
अन्तर्नियम स्वीकृति दें तो वे ऐसे पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन कर सकती है जिसकी
पूँजी कम्पनी एक निश्चित अवधि के पश्चात् वापस कर सकती है, ऐसे पूर्वाधिकार अंश शोध्य या
शोधनीय पूर्वाधिकार अंश कहलाते हैं ।
(4) अशोध्य पूर्वाधिकार अंश-
वे पूर्वाधिकार अंश जिनकी पूँजी का भुगतान कम्पनी के जीवन काल में
न्यायालय की आज्ञा के बिना नहीं किया जा सकता, अशोध्य या अविमोचनशील पूर्वाधिकार कहलाते हैं।
(5) परिवर्तनशील पूर्वाधिकार-
वे पूर्वाधिकार अंश जिनके अंशधारियों को यह अधिकार होता है कि यदि
वे चाहें तो एक निश्चित अवधि के भीतर अपने अंशों को समता अंशों में परिवर्तित कर
सकते हैं, परिवर्तनशील पूर्वाधिकार
अंश कहलाते हैं।
(6) अपरिवर्तनशील पूर्वाधिकार अंश-
वे पूर्वाधिकार अंश जो कभी भी में समता अंशों में नहीं बदले जा
सकते, अपरिवर्तनशील
पूर्वाधिकार अंश कहलाते हैं।
(7) भागित पूर्वाधिकार अंश-
वे पूर्वाधिकार अंश जिनको एक निश्चित दर से लाभांश प्राप्त करने के
बाद भी उस आधिक्य में से अतिरिक्त लाभांश प्राप्त करने का अधिकार होता है,जो समता अंशधारियों को एक
निश्चित दर से लाभांश देने के पश्चात् शेष बचता है, तो ऐसे पूर्वाधिकार अंश भागित पूर्वाधिकार अंश कहलाते
हैं ।
(8) अभागित पूर्वाधिकार अंश-
वे पूर्वाधिकार अंश जिनको केवल एक निश्चित दर से ही लाभांश पाने का
अधिकार होता है । अत्यधिक लाभ होने पर भी उन्हें अतिरिक्त लाभांश नहीं मिलता, अभागित पूर्वाधिकार अंश कहलाते
हैं।
Ajay Kumar
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