अंशों का हरण - Forfeiture of shares
प्रश्न 9. अंशों के हरण या अपहरण (Forfeiture of shares) से आप क्या समझते हैं ? अंशों के हरण तथा हरण किये गये अंशों के पुनः निर्गमन से सम्बन्धित कानूनी व्यवस्थाओं (कानून एवं व्यवहार) की विस्तृत विवेचना कीएि।
उत्तर-
अशों का हरण या अपहरण (Forfeiture of Shares)
कम्पनी अंश पूंजी एकत्रित करने के लिए
अंशों पर बकाया राशि निर्धारित समय पर याचनाओं के रूप में माँगती है, जो
अंशधारी कम्पनी द्वारा माँगी गयी याचना या याचनाओं का भुगतान करने में
असमर्थ होता है या नहीं करता तो कम्पनी को दोषी अंशधारी के विरुद्ध वाद प्रस्तुत
करने का तथा उसके अंशों को हरण करने का अधिकार है, बशर्ते कि अन्तर्नियम
इसकी अनुमति दे ।
इस प्रकार कम्पनी द्वारा किसी भी सदस्य के याचना या याचनाओं को भुगतान न करने की दशा में, अंशों के स्वामित्व को समाप्त कर देना व उनको अपने स्वामित्व में ले लेना ही अंशों का हरण कहलाता है।
एस.ए.शार्लेकर के अनुसार, “अंशों
का देय याचना, किश्त या प्रब्याजि का भुगतान करने पर अन्तिम
उपचार के रूप में अनिवार्यतः दण्ड स्वरूप सदस्य तथा अंशधारी के स्वामित्व को
समाप्त करना ही अंश हरण है।".
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि सदस्य
अंशधारी द्वारा याचना राशि का भुगतान न करने पर दण्ड स्वरूप अंशों का अनिवार्य रूप
से ले लेना और सदस्यता समाप्त कर देना ही अंशों का हरण कहलाता है।
अंशों के हरण की विधि
(Procedure for Share Forfeiture)
अंशों के हरण के सम्बन्ध में कम्पनी
अधिनियम में कोई व्यवस्था नहीं है। तालिका 'अ' के नियम संख्या 29 के हरण सम्बन्धी नियम दिये गये हैं जो हरण को वैध बनाते हैं। ये
निम्नलिखित हैं-
(1) याचना न भेजने वाले सदस्यों की सूची बनाना-
भुगतान की अन्तिम तिथि समाप्त हो जाने
पर सचिव द्वारा याचना का भुगतान न करने वाले अंशधारियों की एक सूची तैयार करके उसे
संचालक मण्डल की सभा में आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया जाता है।
(2) दो स्मरण-पत्र भेजना-
संचालक मण्डल की सभा में प्रस्ताव पारित
कर उनके आदेशानुसार संचित याचना राशि का भुगतान न करने वाले दोषी सदस्यों को याचना
का प्रथम तथा फिर द्वितीय स्मरण-पत्र भेजता है।
(3) हरण का चेतावनी पत्र भेजना-
द्वितीय स्मरण के फलस्वरूप भी अंशधारी यदि
याचना की बकाया राशि का भुगतान नहीं करते तो उन्हें हरण की चेतावनी का पत्र भेजा
जाता है।
(4) अंशों के हरण का प्रस्ताव-
यदि चेतावनी पत्र के पश्चात् भी याचना
राशि का भुगतान नहीं किया जाता तो संचालक गण अपनी सभा में ऐसे सभी अंशों के हरण
हेतु एक-एक औपचारिक प्रस्ताव पारित करते हैं।
(5) अंश हरण की सूचना-
संचालक मण्डल द्वारा प्रस्ताव पारित
करने के बाद सचिव सम्बन्धित सदस्यों के पास पंजीकृत डाक द्वारा अंश हरण की सूचना
भेजता है।
(6) अंशधारी का नाम सदस्य रजिस्टर से काटना-
जिन अंशधारियों के अंशों का हरण किया
जाता है उनके नाम हरण की सूचना के बाद सदस्य रजिस्टर से काट दिया जाता है।
हरण किये हुए अंशों का पुनर्निर्गमन
(Re-Issue of Forfeited Shares)
कम्पनी द्वारा हरण किये अंशों पर कम्पनी
का अधिकार हो जाता है एवं उन्हें बेचने का अधिकार कम्पनी को ही होता है। इसके
पुनर्निर्गमन की विधि अन्तर्नियमों में दी जाती है जिसके अनुसार ही यह कार्य किया
जाना चाहिए। इसके पुनर्निर्गमन की पद्धति इस प्रकार है
(1) सार्वजनिक सूचना-
यदि त्रुटि करने वाले सदस्य ने अपना
अंश-पत्र निर्सन के लिए नहीं लौटाया है तो सार्वजनिक सूचना देनी होगी जिसके द्वारा
जनता को बताया जाना चाहिए कि अमुक अंशों के प्रमाण-पत्र से सम्बन्धित अंशों का हरण
कर लिया गया है और इसमें व्यवहार न करें।
(2) वैधानिक घोषणा-
संचालकों को अंशों के सम्पूर्ण विवरण
एवं उनकी हरण तिथि के साथ यह लिखित घोषणा करनी पड़ती है कि इन अंशों का अमुक तिथि
को अपहरण किया गया था। इसके संचालक अन्य प्रस्ताव से अपहृत अंशों का पुननिर्गमन कर
सकते हैं । ऐसे अंशों को जब कोई व्यक्ति खरीद लेता है तो उसे अंश प्रमाण-पत्र उसके
नाम में दिया जाता है एवं उसका नाम भी सदस्यों के रजिस्टर में लिख लिया जाता है।
(3) संचालक मण्डल का प्रस्ताव-
ऐसे अपहृत अंशों में नवीन सदस्य को
अधिकारी बनाने के लिए संचालकगण एक प्रस्ताव पारित करते हैं |
(4) रसीद-
क्रेता को चाहिए कि अंशों के क्रय-मूल्य
का भुगतान करने के लिए कम्पनी की अधिकृत रसीद के निर्गमन पर जोर दें।
उपर्युक्त पद्धति से किया गया
पुनर्निगमन पूर्ण और वैध माना जायेगा।
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