आयकर का अर्थ और विशेषता

प्रश्न 1. "आयकर आय पर लगने वाला कर है, प्राप्तियों पर लगने वाला नहीं।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए और आय के प्रमुख लक्षण बताइए।

उत्तर-आयकर का अर्थ 

'आयकर' दो शब्दों के योग से बना है-'आय' एवं 'कर' अर्थात् आय पर लगने वाला कर। आयकर एक प्रत्यक्ष वार्षिक कर है, जो किसी व्यक्ति द्वारा गत वर्ष में अर्जित या प्राप्त शुद्ध कर-योग्य आय पर चालू कर-निर्धारण वर्ष में निर्धारित आयकर की दरों से गणना करके केन्द्र सरकार द्वारा वसूल किया जाता है। यह केन्द्र सरकार की आय का प्रमुख साधन है। 

अतः भारतीय राजस्व में आयकर का महत्त्वपूर्ण स्थान है। परिवार का प्रत्येक व्यक्ति एवं अविभाजित परिवार, जिसकी गत वर्ष की कुल आय कर-मुक्त आय की अधिकतम सीमा से अधिक हो, इस आधिक्य आय पर आयकर चुकाया जाता है। इसके अतिरिक्त फर्म, कम्पनी, सहकारी समिति तथा व्यक्तियों के समूह द्वारा भी आयकर चुकाया जाता है।

आयकर की विशेषताएँ/तत्त्व

आयकर की प्रमुख विशेषताएँ अथवा तत्त्व निम्नलिखित हैं-

आयकर का अर्थ और विशेषता

(1) आयकर एक प्रत्यक्ष कर है-

जब कोई कर किसी व्यक्ति पर लगाया जाता है और वही व्यक्ति उसका भार वहन करता है, किसी अन्य व्यक्ति को उसे हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता, तो ऐसे कर को प्रत्यक्ष कर कहते हैं और आयकर ऐसा ही कर है।  

(2) आयकर एक केन्द्रीय कर है-

आयकर केन्द्र सरकार द्वारा लगाया जाता है 

(3) आयकर गत वर्ष की शुद्ध कर-योग्य आय पर लगाया जाता है

एक व्यक्ति की गत वर्ष की शुद्ध कर-योग्य आय पर आयकर की गणना आयकर अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के अन्तर्गत की जाती है।

(4) कर-मुक्त सीमा-

आयकर अधिनियम में करदाता की शुद्ध कर-योग्य आय का एक निर्धारित भाग कर से मुक्त होने का उल्लेख रहता है। इस निर्धारित भाग को कर-मुक्त आय की सीमा कहते हैं । यदि कुल आय इस सीमा से अधिक है, तभी करदाता द्वारा आयकर चुकाया जाएगा। प्रत्येक कर-निर्धारण वर्ष के लिए कर-मुक्त आय की सीमा बदल सकती है।

(5) व्यक्ति की आय पर-

आयकर किसी व्यक्ति की आय पर लगाया जाता है। आयकर के लिए व्यक्ति से आशय एक व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार, कम्पनी, फर्म, स्थानीय सत्ता एवं कृत्रिम व्यक्ति से है।

आय के मुख्य लक्षण आय के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-

(1) आय की वैधानिकता-

आयकर वैधानिक तथा अवैधानिक, दोनों ही प्रकार की आयों पर लगता है। इस प्रकार कालाबाजारी या तस्करी से होने वाली प्राप्ति आय मानी जाएगी।

(2) आय बाहर से प्राप्त होनी चाहिए-

एक क्लब के सदस्य आपस में चन्दा एकत्रित करके क्लब चलाते हैं। चन्दे द्वारा एकत्रित धनराशि में से क्लब के व्यय घटाने के बाद बचा हुआ आधिक्य कर-योग्य आय नहीं मानी जा सकती, क्योंकि यह कहीं बाहर से प्राप्त नहीं हुई है। किन्तु बाहरी व्यक्तियों से, जो क्लब के सदस्य नहीं हैं, प्राप्त चन्दा या शुल्क या क्लब की पूँजी सम्पत्ति के उपयोग से प्राप्त आय मानी जाएगी।

(3) एकमुश्त या किस्तों में आय-

आय के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह धीरे-धीरे विभिन्न किस्तों में ही प्राप्त हो। यदि किसी एक ही व्यवहार से एकमुश्त राशि प्राप्त की जाती है, तो वह भी आय मानी जाएगी।

(4) स्थायी या अस्थायी आय

यह आवश्यक नहीं है कि आय स्थायी ही हो। आय अस्थायी प्रकृति की भी हो सकती है अर्थात् कभी आय हो गई और कभी नहीं हुई। स्थायी आय सामान्यतः वेतन, ब्याज, कमीशन, फीस आदि की होती है। व्यापार अथवा पेशे तथा पूँजी लाभों से प्राप्त आयें अस्थायी प्रकृति की । होती हैं। पुराने माल को नीलामी द्वारा क्रय करके लाभ कमाने वालों की आय अस्थायी प्रकृति की होती है।

(5) मौद्रिक एवं अमौद्रिक आय

आय चाहे मुद्रा में प्राप्त हो या सेवा के रूप में, दोनों ही कर-योग्य होती हैं। वस्तु या सेवा के रूप में प्राप्त आय का मुद्रा में मूल्यांकन कर लिया जाता है।

(6) प्राप्त या अर्जित आय-

आयकर की दृष्टि से प्राप्त आय और अर्जित आय, दोनों ही कर-योग्य होती हैं। यदि करदाता प्राप्ति के आधार पर ही कर देना चाहता है, तो वह प्राप्त आयों को ही आधार मानकर आयकर देगा। अर्जित आयों की जब तक प्राप्ति नहीं होगी, उन्हें आय नहीं माना जाएगा। किन्तु यदि वह अर्जित आयों पर आयकर देता है, तो आय के अर्जित होते ही वह उस पर

आयकर देगा, भले ही वह प्राप्त हुई हो अथवा नहीं।

(7) नियमित या अनियमित आय-

आय नियमित रूप से; जैसे साप्ताहिक, मासिक, त्रैमासिक भी प्राप्त हो सकती है और वर्ष में एक बार भी प्राप्त हो सकती है।

(8) प्राप्त होते ही आय के स्वरूप का निर्धारण-

कोई प्राप्ति आय है अथवा नहीं, इसका निर्धारण उसकी प्राप्ति के समय ही हो जाता है। यदि कोई धनराशि प्राप्त होते समय आय नहीं है, भले ही बाद में आय हो जाए, किन्तु आयकर अधिनियम के अन्तर्गत उसे आय नहीं माना जाएगा।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि "आयकर आय पर लगने वाला कर है, प्राप्तियों पर लगने वाला नहीं।"

 

 

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