निवासस्थान के आधार पर आयकर
प्रश्न 3. "आयकर का भार करदाता की निवास स्थिति पर निर्भर करता है।" सविस्तार समझाइए।
उत्तर-
निवासीय स्तर का निर्धारण
करदाता की निवास स्थिति आयकर दायित्व को
उत्पन्न करती है। इसके अनुसार प्रत्येक श्रेणी के करदाता को उसकी भारतवर्ष की कुल
आय पर कर-निर्धारण वर्ष में लागू वित्त अधिनियम के अनुसार आयकर देना होता है।
आयकर अधिनियम की धारा 6 के अनुसार करदाताओं
को उनके निवासस्थान के आधार पर निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा जा सकता है
(1) सामान्य निवासी (Resident),
(2) असाधारण निवासी (Not Ordinarily
Resident), तथा
(3) अनिवासी (Non-resident) |
(1) एक व्यक्ति करदाता का निवास-
स्थान आयकर अधिनियम की धारा 6(1) के
अनुसार एक व्यक्ति करदाता के निवासीय स्तर को तीन श्रेणियों में विभाजित
किया जा सकता है-
निवासी-
एक व्यक्ति करदाता को गत वर्ष में उसी समय निवासी माना जाएगा जबकि वह निम्नलिखित शर्तों में से कम-से-कम एक शर्त पूरी करता हो I
(क) वह भारत में गत
वर्ष में कुल मिलाकर 182 दिन या उससे अधिक दिन रहा हो।
(ख) वह गत वर्ष से पूर्व 4 वर्षों में कुल मिलाकर कम-से-कम 365 दिन भारत में रहा हो और गत वर्ष में वह कम-से-कम 60 दिन भारत में रहा हो।
अपवाद
(अ) जो भारत का नागरिक
है, यदि गत वर्ष में किसी भारतीय समुद्री जहाज के कर्मीदल के सदस्य के रूप में
विदेश जाता है अथवा वह व्यक्ति विदेश में सेवा कार्य के लिए भारत से गत वर्ष में
जाता है, तो उपर्युक्त (ख) को पूरा करने के लिए उसे गत वर्ष
में 60 दिन की बजाय कम-से-कम 182 दिन
भारत में रहना आवश्यक है।
(ब) जो भारत का नागरिक
है अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति है, यदि वह व्यक्ति भारत के बाहर रह रहा है और गत वर्ष
में भारत में भ्रमण पर आता है, तो उपर्युक्त शर्त (ख) को
पूरा करने के लिए उसे गत वर्ष में 60 दिन की बजाय कम-से-कम 182
दिन भारत में रहना आवश्यक है।
अतिरिक्त शर्ते–
वास्तव में एक व्यक्ति को निवासी बनाने
के लिए उपयुक्त (क) और (ख) शर्तों में से कोई एक शर्त पूरी करने के साथ-साथ निम्न
शर्ते भी पूरी करनी होती हैं-
(i) वह गत वर्ष से पूर्व के 10 वर्षों
में कम-से-कम 2 वर्ष भारत में निवासी के रूप में रहा हो।
(ii) वह गत वर्ष से पूर्व के 7 वर्षों
में कुल मिलाकर कम-से-कम 730 दिन भारतवर्ष में रहा हो।
असाधारण निवासी-
यदि कोई व्यक्ति निवासी की (क) और (ख)
में से कम-से-कम एक शर्त पूरी कर देता हो, परन्तु निम्न दोनों शर्तों में से कम-से-कम एक भी
शर्त पूरी नहीं करता हो, वह असाधारण निवासी कहलाएगा।
(i) वह गत वर्ष से पूर्व के 10 वर्षों में से 9 वर्ष भारत में अनिवासी के रूप में
रहा हो।
(ii) वह गत वर्ष से पूर्व के 7 वर्षों में कुल मिलाकर 729 दिन या इससे कम भारत में
अवश्य रहा हो।
अनिवासी–
यदि कोई व्यक्ति निवासी के शीर्षक में
दी हुई आधारभूत शर्ते (क) और (ख) में से कोई शर्त पूरी न करता हो, तो
वह अनिवासी कहलाएगा।
(2) हिन्दू अविभाजित परिवार का निवास स्थान-
एक हिन्दू अविभाजित परिवार का निवासीय
स्तर उसके प्रबन्ध एवं नियन्त्रण तथा उसके कर्ता के निवासीय स्तर द्वारा निर्धारित
होता है। आयकर अधिनियम की धारा 6(2) के अनुसार एक हिन्दू अविभाजित
परिवार की निवासीय स्थिति गत वर्ष में निम्न प्रकार हो सकती है-
निवासी-
एक हिन्दू अविभाजित परिवार गत वर्ष में
उस समय निवासी होगा जबकि उसका प्रबन्ध तथा नियन्त्रण पूर्णतया भारत में स्थित हो
तथा उसका कर्त्ता
एक व्यक्ति करदाता सम्बन्धी शर्तों के आधार पर गत
वर्ष में निवासी माल गया हो।
असाधारण निवासी-
एक हिन्दू अविभाजित परिवार गत वर्ष में
अगर निवासी होगा, यदि उसका कर्ता एक व्यक्ति करदाता सम्बन्धी शर्तों
के आधा गत वर्ष में अनिवासी हो तथा उसके व्यवसाय का प्रबन्ध तथा नियन्त्रण पार
अथवा आंशिक रूप से भारत में स्थित हो।
अनिवासी-
एक हिन्दू अविभाजित परिवार को गत वर्ष
में उस पर अनिवासी माना जाता है जबकि उसका प्रबन्ध पूर्णतया भारत के बाहर से किया
जाता हो।
(3) फर्म तथा व्यक्तियों के अन्य समुदाय का निवास स्थान
एक फर्म तथा व्यक्तियों के अन्य समुदाय
की स्थिति गत वर्ष में निवासी तथा अनिवासी की हो सकती है अर्थात् गत वर्ष में यह
कभी भी असाधारण निवासी नहीं होते। आयकर अधिनियम की धारा 6(2) के
अनुसार इनकी निवासीय स्थिति निम्न प्रकार हो सकती है-
निवासी-
गत वर्ष में फर्म या व्यक्तियों के अन्य
समुदाय की स्थिति उस समय निवासी की होती है जबकि उसका प्रबन्ध तथा नियन्त्रण
पूर्णतया अथवा आंशिक रूप से भारत में स्थित हो।
अनिवासी-
गत वर्ष में फर्म या व्यक्तियों के अन्य
समुदाय अनिवासी माने जाते हैं जबकि उनका प्रबन्ध तथा नियन्त्रण पूर्णतया भारत से
बाहर स्थित हो।
(4) कम्पनियों का निवास स्थान-
आयकर अधिनियम की धारा 6(3) के
अनुसार कम्पनी गत वर्ष में निवासी या अनिवासी ही हो सकती है अर्थात् उसकी
स्थिति कभी भी असाधारण निवासी की नहीं होती। निवासीय स्तर को निम्नलिखित दो भागों
में विभाजित किया जा सकता है-
निवासी-
एक कम्पनी भारत में गत वर्ष में निवासी
होगी, यदि-
(i) वह एक भारतीय कम्पनी है अर्थात् उस कम्पनी का
रजिस्ट्रेशन भारत में हुआ हो।
(ii) गत वर्ष में उसका प्रबन्ध तथा नियन्त्रण पूर्णतया
भारत में ही स्थित हो।
अनिवासी-
यदि कोई कम्पनी निवासी सम्बन्धी शर्तों
को पूरा करने में असमर्थ रहे, तो उसे अनिवासी कहेंगे।
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