संवैधानिक अभिसमय - अर्थ ,महत्त्व

B.A-II-Political Science II/2020 

प्रश्न 2. संवैधानिक अभिसमय का क्या अर्थ है ? ब्रिटिश संविधान के प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए। 

अथवा '' संविधान के अभिसमय (परम्परा) से आप क्या समझते हैं ? अभिसमयों के पीछे कौन-सी अनुशास्ति (Sanction) हैउदाहरण देकर समझाइए। ब्रिटिश संविधान में अभिसमयों का महत्त्व बताइए।
अथवा '' ब्रिटिश राजनीतिक व्यवस्था के प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए। अभिसमयों का पालन क्यों होता है ?
अथवा '' संविधान के अभिसमयों से आप क्या समझते हैं ? अभिसमयों का पालन क्यों होता है ?
उत्तर - ब्रिटिश संविधान की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह मुख्यतया अभिसमयों पर आधारित है। भारतअमेरिकारूस आदि देशों के संविधानों की भाँति ब्रिटिश संविधान निर्मित नहीं हैवरन् विकसित है। ब्रिटिश संविधान का आधारभूत स्रोत एवं संसदीय शासन संचालन की प्रेरक
British sambidhan
शक्ति उसकी अनेकानेक परम्पराएँ हैं। ब्रिटिश संविधान को बहुत अधिक सीमा तक अभिसमयों पर आधारित संविधान कहा जा सकता है। ब्रिटिश संविधान के जन्मजीवन आदि की कहानी वास्तव में अभिसमयों की ही कथा है।

अभिसमय की परिभाषा :-

अभिसमय संविधान के वे आधारभूत अलिखित नियम हैं जिनसे शासन का संचालन होता है।
 डायसी ने उन्हें 'संविधान सम्बन्धी नैतिकता के आदेशकी संज्ञा दी है। मिल ने उनको 'संविधान के अलिखित नियमकहकर पुकारा है।
डायसी के अनुसारसंविधान के अभिसमय वे रीति-रिवाज अथवा समझौते हैं जिनके अनुसार पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न विधानमण्डल के विभिन्न अंगों को अपने विवेकाधारित अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए, चाहे वे सम्राट के परमाधिकार हो या संसद के विशेषाधिकार।"
प्रो. ऑग के अनुसार, “अभिसमय उन समझौतोंआदतों या प्रथाओं से मिलकर बनते हैं जो राजनीतिक नैतिकता के नियम मात्र होने पर भी बड़ी-से-बड़ी सार्वजनिक सत्ताओं के दिन-प्रतिदिन के सम्बन्धों और गतिविधियों के अधिकांश भाग का नियमन करते हैं।"
उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर

अभिसमय का अर्थ :-

(1) अभिसमय अलिखित हैं।
(2) अभिसमय लम्बे समय से प्रचलित रीति-रिवाज हैं।
(3) अभिसमय शासन संचालन की आधारशिला हैं।
(4) अभिसमय कानून से मान्यता प्राप्त नहीं है।

अभिसमयों का पालन किए जाने के कारण:- अथवा अभिसमयों के पीछे अनुशास्ति:-

अभिसमयों (परम्पराओं) का पालन किए जाने के पीछे कारणों की विभिन्न विद्वान् लेखकों ने विवेचना की है। इनमें से प्रमुख विद्वान् लेखकों के मत अग्रवत हैं|

(1) डायसी का मत :- 

डायसी का मत है कि अभिसमय और कानून परस्पर घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध हैं। किसी अभिसमय के उल्लंघन से किसी-न-किसी कानून का उल्लंघन हो जाता है या इस उल्लंघन से उसे क्षति पहुँचती है । चूँकि कानून का उल्लंघन नहीं किया जा सकताअतः यह स्वाभाविक है कि अभिसमयों का भी पालन करना ही पड़ता है। डायसी ने अपने मत को उदाहरणों द्वारा स्पष्ट किया है। उदाहरण के लिएब्रिटेन में संसद का अधिवेशन वर्ष में एक बार बुलाए जाने की परम्परा है। यदि इस परम्परा को न माना जाएतो प्रतिवर्ष बजट स्वीकृत होने और प्रतिवर्ष सेना सम्बन्धी कानून का नवीनीकरण होने से सम्बन्धित कानूनी व्यवस्थाओं का उल्लंघन होगा और इससे सम्पूर्ण शासन तन्त्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा। इस उदाहरण में डायसी ने यह प्रतिपादित किया है कि अभिसमयों के पीछे कानून के भंग होने की आशंका रहती है।
परन्तु डायसी का तर्क आंशिक रूप से ही सत्य है। सम्प्रभु संस्था होने के कारण ब्रिटिश संसद सेना सम्बन्धी कानून कई वर्षों के लिए पारित कर सकती है। । यदि डायसी का यह मत स्वीकार कर लिया जाए कि अभिसमयों को कानून का समर्थन प्राप्त हैतो इससे संसद की व्यवस्थापन सम्बन्धी सर्वोच्चता खण्डित हो जाती हैक्योंकि तब संसद उन कानूनों के बारे में स्वच्छन्दतापूर्वक अपने अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकेगी जो अपने पालन के लिए अभिसमयों के पालन पर निर्भर हैं। डायसी ने कानून और अभिसमयों को नितान्त अन्योन्याश्रित मान लिया हैजो अनुचित है।
इसके अतिरिक्त कुछ अभिसमय ऐसे भी हैं जिनके उल्लंघन से किसी कानून का अतिक्रमण नहीं होता। उदाहरण के लिएयदि कॉमन सभा का स्पीकर अपने पद पर निर्वाचित होने के उपरान्त अपने दल की सदस्यता न छोड़े अथवा प्रधानमन्त्री लॉर्ड सभा से लिया जाएतो इससे किसी कानून का उल्लंघन नहीं होता। इससे स्पष्ट है कि अभिसमयों का पालन मूलतः कानून के भंग होने के भय से नहींअपितु उनकी उपयोगिता के कारण होता है ।

(2) लॉवेल का मत :-

लॉवेल के मतानुसार अभिसमयों का पालन किए जाने का कारण ब्रिटेन के लोगों का रूढ़िवादी स्वभाव है। ब्रिटेन के लोग पुरातनप्रिय हैं। अतः वे प्राचीन काल से चली आ रही राजनीतिक संस्थाओं और उनके बारे में म्यापित परम्पराओं को छोड़े जाने के पक्ष में नहीं हैं।
आइवर जैनिंग्स लॉवेल के मत से सहमत नहीं हैं। उनके विचार में ब्रिटेन के लोग किसी परम्परा अथवा प्रथा का समर्थन केवल इसलिए नहीं करते कि वह
पुरातन काल से चली आ रही है। उसका समर्थन वे इसलिए करते हैं कि वह परम्परा प्राचीन होने के उपरान्त भी वर्तमान परिस्थितियों में उपयोगी है।

(3) लास्की का मत :- 

लास्की के मतानुसार अभिसमयों का पालन मुख्यतः निम्नलिखित दो कारणों से होता है
(i) अभिसमय प्रचलित संवैधानिक सिद्धान्तों के अनुरूप हैं और उसके क्रियान्वयन में सहायक हैं। उदाहरण के लिएप्रधानमन्त्री द्वारा मन्त्रिमण्डल की बैठकों का सभापतित्व वर्तमान युग की लोकतान्त्रिक मान्यताओं के अनुरूप है।
(ii) ब्रिटेन के दोनों राजनीतिक दल देश की राजनीतिक एवं सामाजिक संरचना के सम्बन्ध में एकमत हैं और इस कारण इससे सम्बन्धित अभिसमय भी उन्हें समान रूप से मान्य हैं।
यद्यपि अभिसमयों का पालन किए जाने के पीछे विभिन्न कारण बताए गए हैंपरन्तु वास्तव में उनके पालन का सबसे शक्तिशाली कारण उनकी व्यावहारिक उपयोगिता है।

अभिसमयों (परम्पराओं) का वर्गीकरण :-

ब्रिटिश संविधान में बहुत अधिक अभिसमय हैं। अध्ययन की सुविधा कें दृष्टिकोण से उन्हें चार भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है,
(1) राजा एवं राजपद से सम्बन्धित अभिसमय
(i) राजा राज्य करता हैशासन नहीं।
(ii) राजा शासन में कोई भूल नहीं करता।
(iii) राजा मन्त्रिमण्डल के परामर्श के अनुसार ही शासन कार्य करता है।
(iv) राजा कॉमन सभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमन्त्री पद ग्रहण करने के लिए आमन्त्रित करता है।
(v) राजा मन्त्रिमण्डल की बैठकों में भाग नहीं लेता है।

(2) मन्त्रिमण्डल से सम्बन्धित अभिसमय :-

(i) कॉमन सभा में बहुमत दल को मन्त्रिमण्डल बनाने का अवसर प्राप्त होता
(ii) समस्त मन्त्री अनिवार्य रूप से संसद के सदस्य होते हैं।
(iii) मन्त्रिमण्डल सामूहिक रूप से कॉमन सभा के प्रति उत्तरदायी होता है ।
(iv) किसी महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पर पराजित होने के बाद मन्त्रिमण्डल त्याग-पत्र दे देता है या राजा को कॉमन सभा को विघटित करने का परामर्श देता है।
(v) मन्त्रिमण्डल घरेलू एवं वैदेशिक मामलों में अपनी नीतियों का समर्थन संसद से करवाता है।

(3) संसद से सम्बन्धित अभिसमय :-

(i) संसद के दोनों सदन-कॉमन सभा तथा लॉर्ड सभा अभिसमय पर ही आधारित हैं।
(ii) प्रतिवर्ष संसद का एक अधिवेशन बुलाना अनिवार्य है।
(iii) धन विधेयक एवं बजट प्रथमत: कॉमन सभा में ही प्रस्तुत किए जाते हैं।
(iv) प्रत्येक विधेयक के तीन वाचन (Reading) होते हैं।
(v) कॉमन सभा के अध्यक्ष का निर्विरोध एवं बार-बार चुनाव होता है।
(vi) अध्यक्ष राजनीति से अलग रहता है अर्थात् राजनीतिक दल से अपने सम्बन्ध विच्छेद कर लेता है।
(vii) सरकारी पक्ष के भाषण के उपरान्त विरोधी पक्ष को भी भाषण का अवसर दिया जाता है।

(4) अधिराज्यों से सम्बन्धित अभिसमय :-

ब्रिटेन के अधीन रहने वाले बहुत-से उपनिवेश या अधिराज्य हैं। उनकी निम्नलिखित परम्पराएँ हैं
(i) प्रत्येक अधिराज्य नाममात्र के लिए ब्रिटिश सम्राट के प्रति भक्ति रखता है । यद्यपि वह राज्य आन्तरिक तथा वैदेशिक मामलों में स्वतन्त्र स्थिति रखता है।
(ii) ब्रिटिश सम्राट के उत्तराधिकार में परिवर्तन करने वाले किसी कानून के लिए अधिराज्यों की संसदों में स्वीकृति परम्परा पर आधारित है।

ब्रिटिश संविधान में अभिसमयों का महत्त्व :-

अभिसमय ब्रिटिश संविधान का अभिन्न अंग है। ये अंग्रेजों के स्वभाव तथा राजनीतिक व्यवहार में इतने गहरे समा गए हैं कि उनके बिना शासन अव्यावहारिक हो जाएगा। वास्तव में अभिसमय संविधान की आत्मा हैं। अभिसमय कानून के सूखे ढाँचे पर मांस चढ़ाने का कार्य करते हैं। अभिसमय संविधान को कार्यरूप प्रदान करते हैं और उसे प्रगतिशील समाज की आवश्यकताओं व राजनीतिक विचारों के अनुकूल बनाए रखते हैं। ब्रिटिश संविधान में अभिसमयों के महत्त्व को निम्न प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं

(1) संविधान के विकास में सहायक :- 

अभिसमय संविधान के विकास में बहुत सहायक सिद्ध होते हैं। ब्रिटेन में राजतन्त्र का लोकतन्त्रीकरण अभिसमयों के द्वारा ही हुआ है । फाइनर के शब्दों में, “राजतन्त्री संविधान को लोकतन्त्री संविधान का रूप देने में और 17वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी तक आने में ब्रिटेन के लोगों ने नये अनुच्छेद जोड़ना पसन्द नहीं कियावे परम्पराओं के विकास पर निर्भर रहे।"

(2) शासन व्यवस्था को श्रेष्ठता प्रदान करना :-

अभिसमय शासन व्यवस्था को श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिएप्रत्येक विधेयक के तीन वाचन होने चाहिए। इस परम्परा के कारण कानून-निर्माण में जल्दबाजी की आशंका नहीं रहती। इसी प्रकार विरोधी दलों की समस्त मान्यताएँ अभिसमयों पर ही आधारित हैंजिनके कारण शासक दल अपनी सीमाओं में बँधा रहता है तथा विरोधी दल शासन कार्य में रचनात्मक सहयोग देता है।

(3) संविधान को कार्यरूप प्रदान करना :- 

अभिसमय संविधान को कार्यरूप भी प्रदान करते हैं। अभिसमयों के कारण ही राजा मन्त्रिमण्डल के परामर्श को मानता है। अभिसमयों के कारण ही राजनीतिक सम्प्रभु तथा कानूनी सम्प्रभु में सामंजस्य बना हुआ है। अभिसमयों के कारण ही कॉमन सभा और मन्त्रिमण्डल में सहयोग बना रहता है एवं मन्त्रिमण्डलसंसद और शासन की अन्य सभी सत्ताएँ अपनी-अपनी सीमा में बनी रहती हैं।

(4) राष्ट्रमण्डल तथा जन:- 

सम्प्रभुता को सफल बनाना-अभिसमयों ने राष्ट्रमण्डल को लचीलापन देकर उसे परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप बनाया है। जैनिंग्स के अनुसार ब्रिटेन में जन-सम्प्रभुता की भावना को सजग एवं सफल बनाने का श्रेय भी अभिसमयों को ही प्राप्त है।

(5) अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा :- 

अभिसमयों के द्वारा अल्पसंख्यकों के अधिकारों की भी रक्षा होती है। इससे प्रजातन्त्र अपना वास्तविक रूप प्राप्त करता है और बहुमत वर्ग का अत्याचारी शासन स्थापित नहीं हो पाता।
वास्तव में ब्रिटिश संविधान की आधारशिला अभिसमय है।


Comments

  1. Tulnatmak shashan ke kshetr aur prakriti ki vivechna kare....iska answer Chahiye

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  2. Tulnatmak shashan ke kshetr aur prakriti ki vivechna kare

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  3. संवैधानिक अभिसमय के महत्व पर चर्चा किजिए।

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