इटली में फासीवाद के उदय के कारण
MJPRU-BA-III-History II / 2022
प्रश्न 10. इटली में फासिस्टवाद के उदय के कारणों का वर्णन कीजिए!
उत्तर - प्रथम विश्व युद्ध में इटली मित्र राष्ट्रों के साथ था। उसने युद्ध में इसलिए भाग लिया था कि युद्ध की लूट में पर्याप्त भाग मिल सके, किन्तु उसे निराशा ही हाथ. लगी। वर्साय सन्धि में उसे बहुत थोड़ा हिस्सा मिला, जबकि युद्ध में उसकी अपार क्षति हुई थी। वर्साय सन्धि ने उसकी आशाओं पर तुषारापात किया। इससे उसका घोर अपमान हुआ और उसके अभिमान को गहरी चोट पहुँची।
फासीवाद क्या है ?
प्रश्न 10. इटली में फासिस्टवाद के उदय के कारणों का वर्णन कीजिए!
अथवा '' फासीवाद क्या है ? इटली में फासीवाद के उत्थान एवं पतन का विवरण दीजिए।
अथवा ''इटली में फासीवाद के उत्कर्ष और उसके विकास के कारणों पर प्रकाश डालिए।उत्तर - प्रथम विश्व युद्ध में इटली मित्र राष्ट्रों के साथ था। उसने युद्ध में इसलिए भाग लिया था कि युद्ध की लूट में पर्याप्त भाग मिल सके, किन्तु उसे निराशा ही हाथ. लगी। वर्साय सन्धि में उसे बहुत थोड़ा हिस्सा मिला, जबकि युद्ध में उसकी अपार क्षति हुई थी। वर्साय सन्धि ने उसकी आशाओं पर तुषारापात किया। इससे उसका घोर अपमान हुआ और उसके अभिमान को गहरी चोट पहुँची।
विपुल युद्ध व्यय के कारण इटली की मुद्रा का मूल्य 70% घट गया। भयंकर महँगाई बढ़ गई। वस्तुओं के मूल्य आकाश छूने लगे। साधारण जनता को जोवननिर्वाह करना कठिन हो गया। इटली का पूर्णतया आर्थिक पतन हो गया। जगह-जगह विद्रोह तथा हड़तालें होने लगीं। इस अर्द्ध-अराजकता की स्थिति में धनिक वर्ग साम्यवाद के प्रसार से भयभीत होने लगा। उसी समय मुसोलिनी के नेतृत्व में एक फासिस्टवादी राजनीतिक दल का उदय हुआ । सन् 1921 में इस दल ने प्रतिनिधि सभा में 35 स्थान प्राप्त किए। सन् 1922 में नेपिल्स अधिवेशन में फासिस्टों ने यह घोषणा की कि हमें सत्ता सौंप दो, अन्यथा हम रोम पर चढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने 27 अक्टूबर, 1922 को 40 हजार सैनिकों की फौज के साथ रोम पर चढ़ाई कर दी। तत्कालीन सम्राट् इमैनुअल तृतीय ने देश को गृह युद्ध से बचाने के , लिए उस समय के मन्त्रिमण्डल का त्याग-पत्र दिलवाकर 31 अक्टूबर, 1922 को मुसोलिनी को प्रधानमन्त्री बना दिया। इस प्रकार फासिस्टों ने सरकार पर कब्जा कर लिया। मुसोलिनी सर्वेसर्वा तानाशाह बन गया।
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प्रश्न 9. हिटलर के अधीन नाजी जर्मनी की विदेश नीति क्या थी ? द्वितीय विश्व युद्ध के लिए यह कहाँ तक उत्तरदायी थी ?
मुसोलिनी ने पहला काम समाजवादी आन्दोलन को कुचलने का किया। अनेक समाजवादी और साम्यवादी नेताओं को जेल भेज दिया गया। सन् 1926 में मुसोलिनी ने अपने दल को छोड़कर सभी दलों पर पाबन्दी लगा दी । मुसोलिनी अब युद्ध की तैयारी करने लगा। युद्ध की महिमा के गुण गाए जाने लगे । यह प्रचार किया गया कि युद्ध ही मनुष्य को महान् बनाता है। मुसोलिनी चुनाव जीतकार बहुमत से सत्ता में नहीं आया था,वरन् जनता को लोकतन्त्र में आस्था नहीं रही थी और वे शोषण के भय से समाजवाद और साम्यवाद से डरते थे। अतः फासिस्टों को सत्ता सौंप दी गई।
प्रश्न 9. हिटलर के अधीन नाजी जर्मनी की विदेश नीति क्या थी ? द्वितीय विश्व युद्ध के लिए यह कहाँ तक उत्तरदायी थी ?
मुसोलिनी ने पहला काम समाजवादी आन्दोलन को कुचलने का किया। अनेक समाजवादी और साम्यवादी नेताओं को जेल भेज दिया गया। सन् 1926 में मुसोलिनी ने अपने दल को छोड़कर सभी दलों पर पाबन्दी लगा दी । मुसोलिनी अब युद्ध की तैयारी करने लगा। युद्ध की महिमा के गुण गाए जाने लगे । यह प्रचार किया गया कि युद्ध ही मनुष्य को महान् बनाता है। मुसोलिनी चुनाव जीतकार बहुमत से सत्ता में नहीं आया था,वरन् जनता को लोकतन्त्र में आस्था नहीं रही थी और वे शोषण के भय से समाजवाद और साम्यवाद से डरते थे। अतः फासिस्टों को सत्ता सौंप दी गई।
फासीवाद क्या है ?
प्रथम विश्व युद्ध के
बाद जर्मनी इटली,पोलैण्ड,
पुर्तगाल, हंगरी स्पेन आदि देशों में जो
लोकतन्त्र विरोधी अधिनायकवादी लहर आई, वह ‘फासीवाद' कहलाती है। 'फासीवाद'
का अंग्रेजी पर्याय शब्द 'फासिज्म'
(Facism) इटैलियन भाषा के 'फेसियो' (facio)
से निकला है, जिसका अर्थ लकड़ियों का बँधा हुआ
बोझ तथा 'कुल्हाड़ी' होता है। प्राचीन काल में रोम का राज्य चिह्न भी 'फेसियो'
था, जिसमें बँधी लकड़ियाँ 'राष्ट्रीय एकता' का और कुल्हाड़ी 'शक्ति' की प्रतीक मानी जाती थी। मुसोलिनी के
फासी दल ने इसी चिह्न को स्वीकृत किया।
मुसोलिनी ने फासीवाद
की परिभाषा देते हए कहा है कि “फासीवाद संगठित केन्द्रीकृत सत्तावादी लोकतन्त्र है।” इस प्रकार फासीवाद एक दल का शासन है, जिस पर एक अधिनायक का नियन्त्रण होता है । यह अधिनायक निरंकुश सर्वाधिकारवादी
राज्य की स्थापना करता
इटली में फासीवाद के उदय के कारण
इटली में फासीवाद के उदय के निम्न कारण थे
(1) व्यापक जन-असन्तोष -
पेरिस सम्मेलन में इटली को आशातीत लाभ प्राप्त नहीं हुआ, जिसके कारण वहाँ की जनता में असन्तोष फैल गया। मुसोलिनी ने इस असन्तोष का पूरा लाभ उठाया। उसने इस असन्तोष के लिए इटली की सरकार को उत्तरदायी ठहराया और कहा,“उपनिवेशों की शानदार दावत में इटली की सरकार को कुछ नहीं मिला और पेरिस सम्मेलन से इटली के प्रतिनिधि निराश होकर लौटे।" इस प्रकार वर्साय सन्धि के प्रति इटली की सरकार द्वारा अपनाई गई नीति के फलस्वरूप असन्तोष का उदय हुआ, जिसका पूरा लाभ मुसोलिनी ने उठाया और जनता में अपने .सिद्धान्तों का प्रचार किया।
(2) आर्थिक असन्तोष -
प्रथम विश्व युद्ध में जन-धन का व्यापक स्तर पर विनाश हुआ। सरकार पर राष्ट्रीय ऋण का बोझ बढ़ जाने तथा मुद्रा का मूल्य गिर जाने से उद्योग-धन्धों को हानि हुई,जिससे बेरोजगारी बढ़ गई । सरकार ने सैनिकों की छंटनी करके इस समस्या को और अधिक बढ़ा दिया। तत्कालीन सरकार जनता के असन्तोष तथा समस्याओं का निवारण करने में सफल नहीं हो सकी । फासिस्ट दल ने जनता को उसकी आर्थिक समस्याएँ हल करने का आश्वासन दिया। फलस्वरूप यह दल जनता में लोकप्रिय हो गया !
(3) राष्ट्रीयता की भावना पर आघात -
19वीं शताब्दी में यूरोप के अधिकांश देशों ने
साम्राज्यवादी नीति को अपनाया था । इटली की सरकार ने भी अन्य महाद्वीपों में
उपनिवेश स्थापित करने के प्रयास किए, किन्तु सफलता प्राप्त
नहीं हुई। ट्यूनिस पर अधिकार करने के प्रश्न पर इटली को बिस्मार्क की कूटनीति के
कारण सफलता प्राप्त नहीं हुई। अबीसीनिया पर अधिकार करने में भी इटली की सरकार सफल
नहीं हो सकी। जनता ने इन असफलताओं को इटली का राष्ट्रीय अपमान समझा तथा इसके लिए
सरकार को दोपी ठहराया । यहाँ की जनता ऐसी सरकार चाहती थी जो वैदेशिक क्षेत्र में
इटली के राष्ट्रीय गौरव को स्थापित करती। किन्तु वहाँ की गणतन्त्रीय सरकार की
निष्क्रिय व असफल विदेश नीति द्वारा राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को आघात पहुँचा। फासिस्ट
दल इसका सही विकल्प हो सकता था।
(4) उग्र राष्ट्रीयता का प्रचार -
इटली में कुछ दार्शनिकों एवं
विचारकों द्वारा उग्र राष्ट्रीयता का प्रचार किया जा रहा था। इन विद्वानों का मत
था कि राजा ईश्वर का प्रतिनिधि होता है, जो कभी गलती नहीं कर सकता। उन्होंने राज्य को सर्वोपरि बतलाते हुए जनता
में उग्र राष्ट्रीय विचारों का प्रचार किया । इटली का फासिस्ट दल इस सिद्धान्त का
कट्टर समर्थक था। फलस्वरूप उसकी लोकप्रियता में वृद्धि होना स्वाभाविक था।
(5) साम्यवाद का विरोध -
इटली में दिनोंदिन साम्यवाद का
प्रसार बढ़ रहा था। मध्यवर्गीय व्यवसायी सोचता था कि मूल्यों को निश्चित कर उनके
मुनाफे पर अंकुश लगा दिया जाएगा। पूँजीपति सोचता था कि उसकी पूँजी छीन ली जाएगी, विचारक सोचता था कि उसकी अभिव्यक्ति पर अंकुश लगा
दिया जाएगा। साम्यवादियों के प्रभाव से कारखानों में तालाबन्दी और हड़ताले
प्रारम्भ हो गईं, जिससे कारखानों के स्वामी रुष्ट हो गए। इस
प्रकार इटली के सभी वर्ग साम्यवादियों से घृणा करने लगे। लोग सोचने लगे कि मुसोलिनी
ही हमारे खोए हुए गौरव को पुनः स्थापित कर सकता
(6) मुसोलिनी का प्रभावशाली व्यक्तित्व -
मुसोलिनी सिद्धान्तवादी कम और व्यवहारवादी अधिक था। वह काम करने के बाद ही उसे सिद्धान्त के ढाँचे में व्यवस्थित करता था। वह साध्य की चिन्ता करता था, साधन की नहीं, भले ही वह ' कितना ही अनुचित क्यों न हो । वह प्रबल राष्ट्रवादी था और पुराने रोमन साम्राज्य के सपने देखता था। देश में राष्ट्रीय एकता स्थापित करने के लिए उसने अथक प्रयास किया। जनता को तीन नारे दिए
(i) मुसोलिनी सदैव सही होता है। ..
(ii) उसके
आदेशों पर जनता को विश्वास करना चाहिए तथा उनका पालन करना चाहिए।
(iii) व्यवस्था, अनुशासन तथा सत्ता।
'मुसोलिनी युद्ध को समस्त
समस्याओं का समाधान मानता था। वह पुरुष के जीवन में युद्ध का वही स्थान मानता था
जो नारी के जीवन में मातृत्व का। उसका कथन था कि मेरा उद्देश्य काम करना है,बातचीत करना नहीं । इन नारों से इटली की जनता मुसोलिनी की अन्धभक्त
हो गई और उसे अपना सर्वोच्च नेता और अधिनायक मान लिया।
उपर्युक्त
परिस्थितियों में फासिस्ट दल को अपने पैर जमाने में सहायता मिली। सन् 1919 में मुसोलिनी फासिस्ट दल की स्थापना कर चुका था। इस दल का प्रमुख उद्देश्य बढ़ते हुए साम्यवाद को रोकना था। सन् 1921 में फासिस्टों ने राष्ट्रवादियों से एक राजनीतिक दल के रूप में अपना गठबन्धन कर लिया। अगस्त, 1922 की हड़ताल से फासिस्टों को अपनी शक्ति बढ़ाने का अवसर मिला। सरकार ने हड़ताल को विफल करने के लिए फासिस्टों की सहायता ली। फासिस्ट दल ने 24 घण्टे के अन्दर हड़ताल का दमन कर दिया। मुसोलिनी ने राजा के प्रति भक्ति प्रदर्शित करते हुए संसद को भंग करने को कहा। ऐसा न होने पर उसने रोम पर धावा बोलने की चेतावनी दी । 27 अक्टूबर को मुसोलिनी ने लगभग 40 हजार स्वयंसेवकों के साथ रोम की ओर प्रस्थान किया और समस्त कार्यालयों, रेलवे स्टेशनों,डाकखानों आदि , पर अधिकार कर लिया। गृह युद्ध से बचने के लिए इटली के सम्राट ने 31
अक्टूबर, 1922 को मुसोलिनी को प्रधानमन्त्री नियुक्त कर दिया। इस प्रकार मुसोलिनी बिना रक्त बहाये इटली का सर्वेसर्वा बन गया। मुसोलिनी ने प्रजातान्त्रिक प्रणाली को समाप्त करके तानाशाही शासन की स्थापना की।
Hi, bahut achche notes he mujhe modern history and world history ke notes mil jayenge kya in hindi
ReplyDeleteThik hai
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर क्योंकि आपका यह नोट्स हमें बहुत पसंद आया और यह b.a. परीक्षा के दृष्टिकोण से काफी मददगार हो सकती है ।
ReplyDeleteधन्यवाद सर की आपने हमें यह नोट्स प्रोवाइड किया।
आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद , अगर कोइ सुझाव , सहायता या सम्स्या हो तो (mjprustudypoint@gmail.com) पर सूचित करें , अपना कीमती समय देने के लिये आपका धन्यवाद , अगर आप चाहे तो इस website को अपने सहपाठियों के साथ साझा करे,
DeleteBht acche notes h sir dhnywaad apka 🙏🏼💐
ReplyDeletenajiwad kya hai aur iske uday ke karan par ek notes plzz upload kijiye
ReplyDeleteधन्यवाद सर बीए तृतीय में काफी काम आयेगा थैंक यू
ReplyDeleteThankiu 🙏
DeleteThankiyu
DeleteThank you so much
Delete𝓣𝓱𝓪𝓷𝓴 𝔂𝓸𝓾 𝓼𝓲𝓻
ReplyDeleteThank you dear sir 😘
ReplyDelete😍